देशभर में हिंदू एकता और हिंदुत्व की बड़ी बात करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में जब मंडल अध्यक्षों की घोषणा करी तो मंडल अध्यक्षों के नाम के आगे वर्ग के नाम पर उनके जातियों का उल्लेख कर पूरे खेल को जातियों और उपजातियां में भी बांट दिया है । अब इस वर्गीकरण पर लोग भाजपा के हिंदुत्व के ढोंग पर चर्चा करने में लग गए हैं। लोगों का कहना है कि अखिलेश यादव के पीडीए के जवाब में भारतीय जनता पार्टी अपने पीडीए के नाम पर पिछड़ा दलित और आधी आबादी का जो नारा दे रही थी उसकी जगह जातियां के नाम पर भारी कन्फ्यूजन पैदा किया जा रहा है।
लोगों ने आरोप लगाया है भारतीय जनता पार्टी की लिस्ट में जहां एक तरफ को जातियों को पिछड़ा वर्ग ओबीसी करके लिखा गया है वही क्षत्रिय वर्ग को क्षत्रिय राजपूत और ठाकुर में बांट दिया गया। वहीं गौतम बुद्ध नगर में गुर्जर समुदाय से आने वाले भाटी और नागर को एक जगह गुर्जर और एक जगह ओबीसी लिखकर नया वर्गीकरण कर दिया गया है ।
संघ से कई जुड़े कई लोगों ने इस वर्गीकरण को सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित करने को भारतीय जनता पार्टी का तमाशा करार दिया है तो कई लोगों ने यह भी पूछा है कि क्या प्रदेश की अन्य जातिवादी पार्टियों से लड़ाई लड़ने के नाम पर भारतीय जनता पार्टी स्वयं इस तरीके का जातिवाद प्रदर्शित करेगी जिससे हिंदु एकता पर प्रश्न उठे ।
वहीं विपक्ष से जुड़े कई नेताओं ने आरोप लगाते हुए कहा है कि अगर भाजपा अपने संगठन में लोगों को पदों पर सुशोभित करने के साथ उनकी जातियों को इस तरीके से प्रदर्शित करने का ओछापन कर रही है तो फिर भारतीय जनता पार्टी को जातीय जनगणना करने में क्या समस्या है ?
सवाल ये भी है कि भारतीय जनता पार्टी को इन बातों को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि आखिर संगठन में नियुक्त किए गए पदाधिकारी के नाम के साथ उनकी जाति लिखकर भेजने का औचित्य क्या है और अगर जातियां ही महत्वपूर्ण है तो फिर भारतीय जनता पार्टी के हिंदुत्व की आईडियोलॉजी क्या है ?