आशु भटनागर I उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अपने शो विंडो कहे जाने वाले गौतम बुद्ध नगर में अस्पतालों को आम आदमी को लूटने की पूरी छूट दे दी है । पूरे शहर में यहां वहां विज्ञापन पर भारी खर्च करने वाले बड़े अस्पताल उसका पैसा आम आदमी से 10 गुना ज्यादा कीमत वसूल कर पूरा कर रहे हैं । ताजा मामला जिले में डेंगू जांच के नाम पर हो रही मनमानी का है प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग की ओर से अभी तक कोई दर निर्धारित नहीं की गई है इसका फायदा उठाकर सभी बड़े अस्पताल डेंगू का NS1 AG टेस्ट 1500 से₹2200 तक कर रहे हैं ।
शनिवार को एनसीआर खबर को भेजी अपनी शिकायत में एक पीड़ित ने फेलिक्स अस्पताल का बिल भेजते हुए कहा कि जो टेस्ट निजी लैब में 325 और 355 रुपए का हो जा रहा है वह टेस्ट निजी अस्पतालों में 2100 और 2200 रुपए का हो रहा है । ऐसे में इन अस्पतालों में गरीब आदमी अगर एक बार गलती से चला जाए तो डेंगू से पहले उसकी जांच के नाम पर वह ज्यादा बीमार हो जाएगा ।
पीड़ित ने कहा कि जहां एक और फेलिक्स अस्पताल के मालिक शहर भर की रामलीलाओं में भगवान राम के चरित्र का गुणगान करते कर रहे हैं वहीं उनके अस्पताल लोगों की जीवन में टेस्ट के नाम पर रावण बन कर लूट रहे हैं और योगी सरकार इस सबसे अनभिज्ञ है । एनसीआर खबर ने इस टेस्ट के मूल्य को लेकर फेलिक्स हॉस्पिटल के मालिक डॉक्टर डीके गुप्ता से बात करी तो उन्होंने इसके बारे में अभिज्ञता जताई ।
एनसीआर खबर ने फेलिक्स के बाद यथार्थ, फोर्टिस कई अन्य बड़े और चर्चित अस्पतालो से भी रेट की जानकारी ली तो वहां भी ₹2100 का ही टेस्ट बताया गया, जिसमे NS1, IgM और IgG एंटीबॉडी शामिल हैं जबकि kailash, Jaypee , Numed और life अस्पतालो ने प्रति टेस्ट 600 रुपए कीमत बताई ।
हैरानी की बात यह है कि कर्नाटक जैसे राज्य में डेंगू के मामलों की वृद्धि के फौरन बाद जुलाई में ही निजी अस्पतालों और डायग्नोस्टिक प्रयोगशालाओं में डेंगू एलिसा NS1 एंटीजन और डेंगू एलिसा IgM एंटीबॉडी परीक्षणों पर ₹300 की कीमत सीमा तय की। रैपिड कार्ड स्क्रीनिंग टेस्ट (NS1, IgM और IgG एंटीबॉडी) के लिए, सरकार ने ₹250 की कीमत तय कर दी थी । महाराष्ट्र, हरियाणा जैसे अन्य राज्यो में ये 600 रुपए है । ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है की उत्तर प्रदेश सरकार आखिर उत्तर प्रदेश में अस्पतालों को लूट का लाइसेंस क्यों दे रही है ।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार डेंगू और चिकनगुनिया के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से एलिसा टेस्ट करवाया जाता है लेकिन सभी निजी अस्पताल डेंगू की जांच NS1 एंटीजन रैपिड कार्ड से करते हैं जिनको स्वास्थ्य विभाग मानता ही नहीं है वही जिला स्तर पर भी स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन इसको लेकर कोई राशि तय नहीं कर रहा है इसलिए लैब से लेकर बड़े अस्पतालों तक अलग-अलग राशि वसूली जा रही है ।
इस पूरे प्रकरण पर जिला प्रशासन अभी तक अनभिज्ञ है एनसीआर खबर ने इसके लिए जिलाधिकारी मनीष वर्मा से बात की तो उन्होंने बताया कि वह उसकी जांच के आदेश सीएमओ को दे रहे हैं जल्दी ही जांच कर कर इसको सही किया जाएगा।