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25 साल बाद अंसल गोल्फ लिंक 2 निवासियों को मिली न्याय की आशा,  यूपीएसआईडीसी के आर एम अनिल शर्मा ने बिल्डर अंसल से साफ कहा, प्रोजेक्ट पूरा करो, सीसी लो नहीं तो 12 करोड़ दो

एक सुंदर घर दिल्ली के पास हो इस आशा के साथ 25 साल पहले 1996 में अंसल बिल्डर के अंसल गोल्फ लिंक टू प्रोजेक्ट में तमाम लोगों ने घर खरीदे कि अब उनके सपनों का घर मिलेगा और वह आराम से रह पाएंगे किंतु यह उनके जीवन का सबसे बड़ा दुस्वप्न बन गया ।

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दिल्ली एनसीआर की कमोवेश हर सोसाईटी की तरह यहाँ भी तिलपता चौक के पास यूपीएसआईडीसी की प्राइम लोकैशन की जमीन पर बसी इस कॉलोनी के लोगों के लिए सड़क बिजली सीवर जैसी आवश्यक सुविधाओं को भी बिल्डर ने पूरी तरीके से विकसित नहीं की और लोगों से इसका मेंटेनेंस वसूलने लगा I थक हार कर कई लोगों ने बिल्डर की शिकायत यूपीएसआईडीसी के क्षेत्रीय कार्यालय से लेकर कोर्ट तक की I आरोप है कि UPSIDC भी बिल्डर को पत्र भेजती रही किन्तु बिल्डर ने हमेशा उसको इग्नोर किया। किंतु कई वर्षों की लड़ाई के बाद अब जाकर बिल्डर की आरसी से 12 करोड़ रिकवरी का आदेश डीएम ने जारी किया । तब भी बिल्डर कोर्ट चला गया । कोर्ट के आदेश के बाद मंगलवार को यूपीएसआईडीसी के क्षेत्रीय अधिकारी अनिल शर्मा स्थानीय निवासी और बिल्डर के प्रतिनिधियों की एक बैठक आंसर गोल्फ लिंक टू सोसाइटी में हुई ।

हाउसिंग सोसाइटी में हुए डिस्कशन के बीच क्षेत्रीय प्रबंधक अनिल शर्मा ने अंसल बिल्डर के प्रतिनिधियों को स्पष्ट कहा कि अनुबंध के अनुसार अंसल बिल्डर को यह सोसाइटी 5 साल में विकसित करके upsidc को वापस देनी थी और 5 साल या विकसित न होने के समय तक इसमें कोई मेंटेनेंस नहीं लिया जाना था । आज 25 साल बाद भी इस प्रोजेक्ट का सीसी कंप्लीशन सर्टिफिकेट बिल्डर के पास नहीं है ऐसे में जो काम अधूरे हैं उनका पूरा करके या तो बिल्डर सीसी सर्टिफिकेट ले और नहीं तो यूपीएसआईडीसी के द्वारा थर्ड पार्टी सर्वे के बाद जारी किए गए 11 करोड़ 64 लाख के बिल को जमा करें । ताकि बचे हुए काम और रिपेयर वर्क को पूर्ण कर यूपीएसआईडीसी सोसाइटी को निवासियों के आरडब्ल्यूए को सौंप सके।

यद्यपि आरंभ में अंसल बिल्डर के प्रतिनिधियों ने मूल विषय के जगह घूम घुमा फिरा कर बातें करना शुरू करें किंतु क्षेत्रीय प्रबंधक ने जब स्पष्ट और कड़े शब्दों में अंसल बिल्डर के प्रतिनिधियों को फटकार लगाई तब जाकर वह सर्वे के लिए राजी हुए । क्षेत्रीय प्रबंधक अनिल शर्मा ने फटकार लगाते हुए कहा की 11 करोड़ 64 लाख के बिल को आप अपने संसाधनों से ₹11 या 11 पैसे कितने में कर सकते हो वह आपका कार्य है आप हमसे इसके वैल्यूएशन पर चर्चा कर सकते हैं किंतु अन्य बातों के लिए अब समय नहीं है क्योंकि उनके बार-बार पत्र लिखे जाने के बावजूद बुलाने के बावजूद बिल्डर ने कुछ नहीं किया अब कोर्ट के आदेश पर सिर्फ कार्य के मूल्य को लेकर सर्वे होना है ।

इस पूरे प्रकरण में महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि अंसल बिल्डर प्रतिनिधि लगातार डिनायल मोड में दिखाई दे रहे थे । किंतु क्षेत्रीय प्रबंधक की फटकार के बाद वह सर्वे और अपूर्ण कार्यों के सर्वे के लिए तैयार हुए । रेजोल्यूशन के अनुसार अब यूपीएसआईडीसी और राइट्स के सर्वे के अनुसार दिए गए 11 करोड़ 64 लाख के बल पर वह अपनी रिपोर्ट देंगे वही क्षेत्रीय प्रबंधक भी अपने रिपोर्ट यूपीएसआईडीसी के सीईओ मयूर माहेश्वरी को सबमिट कर देंगे ।

अंसल सोसाइटी के RWA अध्यक्ष रईस राम भाटी ने एनसीआर खबर को बताया कहा कि लंबी लड़ाई के बाद क्षेत्रीय प्रबंधक ने समिति के संबंध में आंसर बिल्डर और यूपीएसआईडीसी के बीच हुए MOU को पढ़ने के बाद पाया कि अंसल बिल्डर ने यूपीएसआईडीसी और हाउसिंग सोसायटी के लोगों के साथ बहुत बड़ा खेल कर दिया है बिल्डर ने लोगों सिर्फ लोगों के साथ मनमाने ढंग से मेंटेनेंस वसूल है बल्कि 5 साल के अंदर विकसित करके यूपीएसआईडीसी को वापस शौक ने सौंपने की शर्ट का भी उल्लंघन किया है ।

अंसल सोसाइटी RWA के सचिव राजेश बैरागी ने कहा की निवासियों ने अपने अधिकार की लड़ाई 25 साल तक लड़ी है और अगर बिल्डर आप भी अपनी मनमानी से बाज नहीं आया तो उच्च न्यायालय के बाद हम सुप्रीम कोर्ट भी जाने के लिए तैयार है किंतु बिल्डर द्वारा अन्य जगह की गई धोखेबाजी यहां नहीं होने देंगे ।

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पूरे उत्तर भारत में असल के प्रोजेक्ट में अनियमिताओं और परेशान बायर्स की कहानी अनगिनत हैं एनसीआर खबर ने जब गूगल में अंसल बिल्डर और इशू लिखकर सर्च किया तो दिल्ली से लेकर लखनऊ तक तमाम लोगों के मुकदमे इसके नाम पर दिखाई दिए सब जगह एक जैसी ही समस्या थी कहीं बिल्डर ने तय मानको के अनुसार लोगों को सुविधाएं विकसित करके नहीं दी थी तो कहीं कुछ अन्य इश्यू।

गूगल पर आ रहे अनगिनत केस को देखकर जब एनसीआर खबर ने अंसल के लीगल पदाधिकारी मिस्टर आलम को दिखाकर पूछा तो उन्होंने इसे उनके वाले अंसल और बाकी अंसल में अंतर बताते हुए बात घुमाने की कोशिश की, किंतु एनसीआर खबर को जांच में पता लगा की अंसल के नाम से ये एक ही परिवार के विभिन्न भाइयों के प्रोजेक्ट हैं ।
रियल एस्टेट बिल्डर कमोबेश हर प्रोजेक्ट के लिए अपने ब्रांड नाम के साथ एक नई कंपनी बनता है ताकि पुरानी कंपनी के मुद्दे या कानून उल्लंघन की बातें हैं लोगों के सामने छुपाई जा सके ।

नोएडा ग्रेटर नोएडा दिल्ली गाजियाबाद में बिल्डरों की इस तरीके की प्रैक्टिस और उनसे प्रताड़ित लोगों की कहानी अब आम हो गई हैं । चाहे वह ग्रेटर नोएडा वेस्ट में सुपरटेक के 17 प्रोजेक्ट में परेशान बायेर्स हो या फिर आम्रपाली के 10 से ज्यादा प्रोजेक्ट में एनसीईएलटी और कोर्ट में गए फ्लैट बायर्स सब जगह बिल्डर द्वारा प्रोजेक्ट पूरा ना करके देने रजिस्ट्री ना होने देने और मेंटेनेंस वसूलने के नाम पर लगातार लोगों को परेशान करने की घटनाएं आम है ।

एनसीआर खबर की विशेष एसआईटी जांच में यह भी पाया गया है कि हर बिल्डर ने मेंटेनेंस के लिए अपनी ही एक अलग सब्सिडियरी कंपनी खोल दी है और जब भी उनकी सोसाइटी में रहने वाले निवासी उनसे प्रोजेक्ट पर बात करना चाहते हैं वह मेंटेनेंस को आगे कर देते हैं । ग्रेटर नोएडा वेस्ट की हवेलिया वैलेंसिया में तो इसी तरीके से मेंटेनेंस कंपनी को आगे करके बिल्डर ने निवासियों के ऊपर तमाम मुकदमे तक करवा देने के आरोप लगे तो कई सोसाइटियों में बिल्डर की शहर पर समानांतर RWAऔर AOA बनाकर लोगों के मुद्दे को डाइल्यूट करवाने के खेल भी आम बात है । देश में रियल एस्टेट कंपनियों के विरुद्ध बायर्स के लिए कमजोर कानून अक्सर आम लोगों को परेशान करते रहते हैं।

बिल्डर के प्रतिनिधियों में मेंटेनेंस हेड साबू और लीगल हेड आलम हीना के अलावा  अन्य कर्मचारी मौजूद रहे । यूपीएसआईडीसी की तरफ से क्षेत्रीय प्रबंधक अनिल शर्मा के साथ एक जैन भी मौजूद रहे । सोसाइटी के निवासियों में अध्यक्ष रईस राम भाटी सचिव राजेश बैरागी एवं अन्य लोग उपस्थित रहे ।

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