आशु भटनागर । बीते सप्ताह यातायात माह मना रहे गौतम बुद्ध नगर में एक्सप्रेस वे पर अस्पताल से अपने 2 साल के बच्चे को एडमिट करा कर लौट रहे एक कार के सड़क पर गलत तरीके से खड़े डंपर में घुस जाने से एक ही परिवार के पांच लोगों की मृत्यु हो गई । समाचार माध्यम और सोशल मीडिया पर इसको लेकर हाहाकार मचा तो दो पुलिसकर्मी सस्पेंड कर दिए गए । पूरे प्रकरण में गलती किसकी है? इसको लेकर एक बड़ी बहस को जन्म दे दिया गया । पांच लोगों की मृत्यु की आड़ में कई समाजसेवियों, नेताओं और कुछ पत्रकारों ने पुलिस कमिश्नर से अपनी कुंठा निकालने के लिए अलग-अलग तरीके से इसके लिए सिर्फ नोएडा पुलिस ओर कमिश्नरेट को ही दोषी ठहरा दिया।
आलोचना और दबाव के बीच आप किस तरीके से बेहतर परिणाम की तरफ आगे बढ़ते हैं उसी से एक लीडर का व्यक्तित्व सामने आता है। ऐसे में सभी को कमिश्नर लक्ष्मी सिंह के अगले कदम का इंतजार था। बुधवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान गौतम बुध नगर की पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने एक वीडियो जारी करते हुए नगर वासियों से सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए दूसरों के लिए नहीं वरन अपने लिए सेल्फिश होने का संदेश जारी किया । वीडियो में संदेश दिया गया कि अगर आप 24 सेकंड में अपना पूरा परिचय नहीं बता पाते हैं तो किसी भी रेड लाइट पर या जल्दबाजी में गलत दिशा या गलत कट लेने से आप क्या कर लेंगे आपकी जान बेहद कीमती है आपके साथ-साथ आपकी गलती के कारण दूसरों की जाने वाली जान भी बहुत कीमती है ।
आइए थोड़े से सेल्फिश हो जाए, सड़क दुर्घटनाओं को लेकर गौतम बुद्ध नगर की कमिश्नर लक्ष्मी सिंह का बड़ा संदेश, इसको नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा #NCRKhabar #RoadSafety @CP_Noida @noidapolice @Uppolice @myogiadityanath pic.twitter.com/xdivrNhZNg
— NCRKHABAR (@NCRKHABAR) November 14, 2024
पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह का यह संदेश आमतौर पर घोषित पुलिसिया कानून से अलग संवेदना दिखाता हुआ भले ही है किंतु इसके पीछे एक मनोविज्ञान भी छिपा है कि आखिर पुलिस कितना लोगों को दंडित कर सकती है? क्या दंड से ही लोग सुधार ला सकते हैं या फिर इसके लिए एक बेहतर समाज और की आवश्यकता है और ऐसे में एक बेहतर समाज की संरचना के लिए उनको सही ट्रैफिक नियमों के पालन के लिए उनको दण्डित करने से अलग उनको इसके शिक्षित करना बेहद आवश्यक है।
सड़क परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट से मिले आंकड़ों की अनुसार गलत दिशा में ड्राइविंग के कारण होने वाली मृत्यृ का प्रतिशत बहुत अधिक है रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय राजमार्गों जिसमें एक्सप्रेसवे भी शामिल है, वहां गलत दिशा में गाड़ी चलाने की रिपोर्ट्स अक्सर आती है उदाहरण के लिए 2021 में 35% सड़क दुर्घटनाएं गलत दिशा से ड्राइविंग के कारण हुए । वहीं शहरी क्षेत्र में अक्सर 200 मी का रनवे बचाने के लिए लोग गोल चक्कर से यू टर्न लेने से बचते हैं या फिर भी सड़क पर बने यू टर्न पर गलत साइड के लिए यू टर्न ले लेते हैं । जिसके चलते न सिर्फ उनकी जान खतरे में पड़ती है बल्कि उनके चलते कई और लोगों की जान भी खतरे में आती है ।
तेजी से बढ़ते शहर और यहां के पुराने बसे गांव के बीच का बड़ा अंतर भी ट्रैफिक दुर्घटनाओं का कारण बनता है ग्रामीण परिवेश में रह रहे लोग शहर के प्रभाव में आ तो गए हैं किंतु उनकी सोच अभी भी बदली नहीं है या फिर यूं कहें कि वह शहरी समाज के ट्रैफिक नियमों से परिचित नहीं है । इसके चलते अक्सर नोएडा ग्रेटर नोएडा की सड़कों पर आप सेक्टर के मुकाबले गांव में बने घरों से निकलने वाले लोग रॉन्ग साइड ड्राइविंग करते हुए दिख जाएंगे क्योंकि उन्हें इसमें कुछ गलत नहीं लगता है तो इसको लेकर कोई अपराध की भावना या गलत होने का की सोच उनके मन में नहीं आ पाती है । हां अक्सर दुर्घटना होने पर मृत्यु होने की दशा में शव को सड़कों पर रखकर जाम लगा देने जैसी घटनाएं शहर में आम बात है ।
नोएडा जैसे औद्योगिक शहर में निरंतर होते बदलाव के बीच यहां प्राधिकरणों और यहां के निवासियों में अभी तक ट्रैफिक को लेकर सही जानकारी का ना होना भी बड़ा कारण है नोएडा में ट्रैफिक जाम के लिए जाने वाले सभी चौराहो पर अक्सर अपनी लेन में ना चलना, अपने लेन का ना पता होना या फिर किसी भी तरीके से जोड़-तोड़ जुगाड़ करके अपनी गाड़ी को सबसे आगे निकलने की होड़ यहां के लोगों में अभी तक रची बची है।
वही प्रेस कांफ्रेंस के बाद निजी बातचीत में ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन और दुर्घटनाओं पर बातचीत में कमिश्नर स्वयं भी लोगों के साथ-साथ नोएडा ग्रेटर नोएडा की चौड़ी सड़कों के कई जगह अचानक संकरे हो जाने को भी कारण माना । ग्रेटर नोएडा वेस्ट में 130 मीटर पर बने मॉल द्वारा बस वे को कब्जा करके अपनी एंट्री सामने से करने की जानकारी पर उन्हें हैरत जताई ।
आपको बता दें कि लेआउट प्लान के अनुसार सभी मॉल की मुख्य एंट्री शहर की तरफ रखी गई थी किंतु मॉल बनाने वालों ने चतुराई से इसको दोनों तरफ बनाकर 130 मीटर के साथ बने बस वे पर अवैध अतिक्रमण तक कर लिया है ।इन बड़े बिल्डर का प्राधिकरण अधिकारियों पर किस कदर प्रभाव है इसका उदाहरण आप गौर सिटी मॉल के पीछे बनी सड़क को मॉल प्रबंधन द्वारा पार्किंग एंट्री में कन्वर्ट कर देने या पीके एस माल प्रबंधन द्वारा बस वे को मूल ऊंचाई से 2 फुट ऊंचा उठा कर माल से मिला लेने से भी देख सकते हैं।
प्राधिकरण के कार्यों में लगे ट्रैक्टर, ऑटो और स्कूल बसे भी ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन में सबसे आगे
यह भी विडंबना ही कही जाएगी कि पूरे शहर की लाइफ लाइन को बनाने के लिए लगे लोग भी शहर में दुर्घटनाओं का बड़ा कारण है इनमें तीनों प्राधिकरण में हॉर्टिकल्चर से लेकर सामान ढोने के लिए चलने वाले ट्रैक्टर्स और गाड़ियों की बात करें या फिर शहर में सार्वजनिक परिवहन न होने की दशा में एक मात्र विकल्प के तौर पर मौजूद ऑटो और ई-रिक्शा की बात करें दोनों ही इसमें सबसे आगे है ।
इनके बाद सबसे बड़ा रोल जिले में चलने वाले सारे बड़े निजी स्कूलों की स्कूल बसों का है शहर का दुर्भाग्य देखिए जिन बच्चों को हम पूरे दिन ट्रैफिक नियमों की बात सीखने के लिए प्रेरित करते हैं वही बच्चे प्रतिदिन गलत दिशा में दौड़ रही बे-लगाम तेज रफ्तार बसों में ही स्कूल आते और जाते हैं । हालांकि इस पर प्रश्न उठाने पर लक्ष्मी सिंह निजी स्कूल संचालकों से बात करने का भरोसा देती हैं किंतु प्राधिकरण हो या निजी स्कूल दोनों ही जिम्मेदार संस्था होने के बावजूद अक्सर इन सभी बातों पर अपने कर्तव्यों से पल्ला झाड़ लेते हैं। आंकड़ों की माने तो तीनों प्राधिकरण ओर स्कूलों में लगी गाड़ियों के फिटनेस, पॉल्यूशन और इंश्योरेंस की अगर जांच कर ली जाए इस शहर से आधी गाड़ियां समाप्त हो सकती है ।
ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर कार्यवाही नरम हो सख्त
भारत जैसे विभिन्न संस्कृति और अधिकतम ग्रामीण परिवेश वाले देश में ट्रैफिक नियमों को लेकर लोगों से लेकर शासन प्रशासन तक कार्यवाही कैसी हो इस पर लंबी बहस हमेशा चलती रही है । भारत के उलट फ्रांस जैसे देश में ट्रैफिक स्टांप पर पुलिस गोली चल देती है यूरोप में तकनीक के उच्चतम इस्तेमाल के चलते ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर चालान आपके हाथों-हाथ मिल जाता है । 2017 में फ्रांस के कानून में बदलाव के बाद पुलिस को कई ऐसे मामलों में गोली चलाने का आदेश दे दिया गया है ।
कई लोग ऐसे ही नियमों सख्त नियमों की आवश्यकता भारत में भी करने की वकालत करते हैं लोगों का मानना है कि जब तक नियमों में सख्ती नहीं आएगी तब तक भारत के लोग ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करेंगे । कुछ हद तक यह सही भी माना जा सकता है किंतु इसके उलट जब गौतम बुध नगर की कमिश्नर लक्ष्मी सिंह लोगों से स्वयं उनकी जान की रक्षा के लिए सेल्फिश होने का संवेदनशील संदेश देकर ट्रैफिक नियमों के पालन करने का प्रयास करती हैं तो यह भारत की संस्कृति को भी दर्शाता है और पुलिस कमिश्नर के पद पर बैठी सख्त महिला के मन में छपी एक मां की भावना को भी ।
यह सच है सख्त कानून व्यवस्था कई बार नियमों के पालन के लिए कारगर होती है किंतु यही सख्त कानून व्यवस्था अक्सर भ्रष्टाचार के लिए बड़ी खाद का भी काम करती है क्योंकि अक्सर नियमों के सख्त होने पर लोग उनसे बचने के लिए भ्रष्टाचार का सहारा लेना शुरू कर देते हैं । पूरे शहर में अक्सर अवैध अतिक्रमण ओर बढ़ते अपराध के लिए पुलिस वसूली जैसे आरोपो को इसी प्रक्रिया में देखा जा सकता है
ऐसे में अगर गौतम बुद्ध नगर की पुलिसकमिश्नर शहर के बढ़ते ट्रैफिक में के बीच लोगों को शिक्षित कर उनको सेल्फिश बनने के संदेश के साथ किसी परिवर्तन की अपेक्षा कर रही हैं तो उसका स्वागत किया जाना चाहिए । साथ ही शहर के स्कूलों, प्राधिकरण के अधिकारियों और समाजसेवियों को सड़क सुरक्षा से संबंध नियमों के बारे में विशेष शिक्षा अभियान चलाया जाना चाहिए भी आवश्यक है। यद्यपि यह सोचना अवास्तविक है कि हम दुर्घटनाओं की संख्या को शून्य तक कम कर सकते हैं, फिर भी दुर्घटनाओं में एक भी कमी लाने के लिए लोगो को शिक्षित करने प्रयास सही दिशा में उठाया गया कदम है।
और अंत में सड़क दुर्घटनाओं से बचने के लिए कुछ सुझाव
- वाहन चलाते समय ध्यान भटकाने वाली चीजों से बचें, जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करना या गाड़ी चलाते समय खाना खाना।
- गति सीमा और यातायात संकेतों का पालन करें, और आक्रामक ड्राइविंग व्यवहार से बचें।
- कभी भी शराब पीकर या नशीली दवाओं के प्रभाव में वाहन न चलाएं।
- खराब मौसम और सड़क की स्थिति के अनुसार अपनी ड्राइविंग आदतों को समायोजित करें।
- अपने वाहन को अच्छी स्थिति में रखें तथा नियमित रूप से उसकी सर्विसिंग और रखरखाव करवाएं।
- सड़क पर अन्य चालकों, विशेषकर अनुभवहीन या बुजुर्ग चालकों के प्रति सचेत रहें।
- पैदल चलने वालों और साइकिल चालकों पर ध्यान दें, और उन्हें चलने के लिए पर्याप्त जगह दें।