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नोएडा प्राधिकरण की गौशाला में गायों को खिलाया जा रहा है नकली पशु आहार! -कौन है जिम्मेदार?

राजेश बैरागी I क्या नोएडा प्राधिकरण द्वारा सेक्टर135 में संचालित गौशाला पशु आहार आपूर्ति करने वाले ठेकेदारों और अधिकारियों की मोटी आमदनी का जरिया बन गई है? यहां चौकर (गेंहू का छिलका) के नाम पर आपूर्ति किए जा रहे कथित पशु आहार को देखकर ही कोई भी बता सकता है कि यह चौकर तो नहीं है जबकि बोलकर बताने में असमर्थ गौवंश इस पशु आहार को देखकर ही मुंह दूसरी ओर घुमा लेते हैं।

समाज द्वारा ठुकराई गईं और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा अपनाई गईं गायों के साथ सरकारी गौशालाओं में पशु आहार के नाम पर धड़ल्ले से खिलवाड़ किया जा रहा है। नोएडा प्राधिकरण द्वारा सेक्टर-135(यमुना डूब क्षेत्र) में संचालित गौशाला में हर समय लगभग साढ़े आठ सौ गौवंश रहते हैं। इनके खान-पान और सेवा सुश्रुषा के लिए प्राधिकरण करोड़ों रुपए खर्च करता है। प्राधिकरण का यह काम नहीं है परंतु सरकार के आदेश और समूचे शहर की नगरीय व्यवस्थाओं के लिए जिम्मेदार नोएडा प्राधिकरण द्वारा यह जिम्मेदारी भी उठाई जाती है।

प्राधिकरण की अन्य परियोजनाओं की भांति इस गौशाला में भी ठेकेदारों और अधिकारियों के गठजोड़ ने मोटी आमदनी का जरिया तलाश लिया है। गौशाला में गौवंश के लिए ठेकेदार द्वारा आपूर्ति किए जा रहे पशु आहार की गुणवत्ता संदिग्ध है।कल गुरुवार को गौशाला भ्रमण के दौरान वहां गौवंश को प्रतिदिन खिलाए जा रहे चौकर (गेंहू का छिलका) को देखकर हतप्रभ रह जाना पड़ा। यह लकड़ी के पुराने बुरादे जैसी कोई सामग्री थी। गौशाला में नियुक्त चिकित्सा कर्मी व सुपरवाइजर आदि कर्मचारियों ने बताया कि यहां रहने वाले सभी गौवंश को सुबह-शाम दो बार चारा खिलाया जाता है।चारे में हरा चारा 70 कुंतल,सूखा भूसा 15 कुंतल व साढ़े सात कुंतल चौकर एक साथ मिलाकर खिलाया जाता है। इनमें से चौकर एक प्रमुख पशु आहार है जो पशुओं के स्वास्थ्य एवं पोषण के लिए आवश्यक है। इसी में बड़ा खेल किया जा रहा है।

कल गौशाला में लगभग पांच सौ बोरे चौकर तथाकथित गोदरेज कंपनी की पैकिंग में मौजूद था। हालांकि गूगल पर उपलब्ध गोदरेज कंपनी के किसी पशु आहार की ऐसी पैकिंग दिखाई नहीं पड़ी।इसी को गायों को दोनों समय चारे के साथ मिलाकर खिलाया जाता है। प्रथमदृष्टया यह चौकर नहीं लगा। इसमें से एक मुट्ठी भरकर एक गाय को खिलाने का प्रयास किया गया तो उसने दूसरी ओर मुंह फेर लिया। कर्मचारियों ने गायों का पेट भरा होने की दलील दी परंतु संभवतः उन्हें यह मालूम नहीं था कि पेट भरा होने पर भी पशु चौकर पर टूटकर पड़ता है। परंतु उसे खाने के लिए दिया जा रहा सामान चौकर न हो तो? उस बेजुबान जानवर ने उस नकली चौकर से ही नहीं मुझसे भी मुंह मोड़ लिया है। मुझे लगा कि उसे मुझसे नकली चौकर खिलाने की आशा नहीं थी। इस संबंध में गौशाला प्रबंधन देख रहे प्राधिकरण के वरिष्ठ अभियंता आर के शर्मा ने जांच कराने की बात कही है।

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राजेश बैरागी

राजेश बैरागी बीते ३५ वर्षो से क्षेत्रीय पत्रकारिता में अपना विशिस्थ स्थान बनाये हुए है l जन समावेश से करियर शुरू करके पंजाब केसरी और हिंदुस्तान तक सेवाए देने के बाद नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा के संपादक और सञ्चालन कर्ता है l वर्तमान में एनसीआर खबर के साथ सलाहकार संपादक के तोर पर जुड़े है l सामायिक विषयों पर उनकी तीखी मगर सधी हुई बेबाक प्रतिक्रिया के लिए आप एनसीआर खबर से जुड़े रहे l

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