main newsNCRKhabar Exclusiveउत्तर प्रदेशराजनीतिराज्य

सत्यम शिवम सुंदरम : उत्तर प्रदेश उपचुनावों में सपा को मिली करारी हार, कांग्रेस ने छोड़ा साथ तो हवा हुआ पीडीए का दावा, अखिलेश को भारी पड़ा कांग्रेस का हाथ छोड़ना

आशु भटनागर । उत्तर प्रदेश में 9 सीटों पर उपचुनाव के परिणाम आ गए हैं जहां भारतीय जनता पार्टी ने 7 सीटों पर जीत हासिल कर समाजवादी पार्टी को मात्र दो सीटों पर सिमटने पर मजबूर कर दिया वहीं समाजवादी पार्टी अपनी जीती हुई सीटों में से दो हार कर हाशिये पर आ गई । अखिलेश यादव ने अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल रखने के लिए भले ही परिणाम के बाद यह कहा कि अभी तो संघर्ष शुरू हुआ है किंतु अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी दोनों के लिए अब संघर्ष से पहले आत्ममंथन की आवश्यकता है ।

screenshot 2024 11 24 09 46 17 44 40deb401b9ffe8e1df2f1cc5ba480b121848773267063059992

कांग्रेस ने छोड़ा साथ तो हवा हुआ पीडीए का दावा

कदाचित 2024 क्वे लोकसभा चुनाव में मिली जबरदस्त जीत को अखिलेश यादव ने अपनी रणनीति यानी PDA की जीत समझ लिया था इसके बाद से लगातार समाजवादी हर जगह कांग्रेस को मिली जीत को  भी उत्तर प्रदेश में उनके सहारे बता रहे थे ।

उत्तर प्रदेश में  उपचुनाव के समय जब कांग्रेस ने 10 में से 5 सीटों पर अपना दावा किया तो समाजवादी पार्टी के लोगों ने न सिर्फ कांग्रेस का मजाक उड़ाया बल्कि उनको एक या दो सीटों पर ही अपना दावा करने को कहा । बाद में 9 सीटों पर उपचुनाव होने की दिशा में अखिलेश यादव ने कांग्रेस को गाजियाबाद और खेर जैसी सीटें जिन पर समाजवादी पार्टी का कोई वजूद नहीं था देने की बात रखी ।

चुनाव से 1 दिन पहले एक दलित महिला को भाजपा को वोट देने के नाम पर समाजवादी पार्टी के यादव कार्यकर्ता द्वारा हत्या करने के आरोप प्रकरण भी दलित और पिछड़ों को सपा से दूर कर दिया । दलितों को यह विश्वास हो गया कि सामंतवादी व्यवस्था में दमनकारी रहे अखिलेश यादव के यादव, मुस्लिम और गुर्जर वोट उन पर हमेशा भारी रहेंगे और यहीं पर अखिलेश यादव को कांग्रेस की कमी खली होगी क्योंकि कांग्रेस के साथ होने से इसमें संतुलन बन जाता I

इसके उलट कांग्रेस मीरापुर, फूलपुर और कुंदरकी जैसे सीटों पर अपना दांव आजमाना चाह रही थी । सीटों पर बंटवारे के चलते कांग्रेस को राष्ट्रीय परिपेक्ष में बड़ा नुकसान ना दिखे और भाजपा उस संघर्ष का फायदा ना उठा ले । फलस्वरूप चलते कांग्रेस ने चुपचाप समाजवादी पार्टी से उत्तर प्रदेश में हो रहे उपचुनाव में कोई भी सीट लेने से मना कर दियाI कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के द्वारा यह भरोसा भी दिलाया गया कि वह चुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों के प्रचार करेंगे । किन्तु वो अखिलेश के मन में क्या है ये समझ ना सके I

अखिलेश को भारी पड़ा कांग्रेस का हाथ छोड़ना

लोकसभा चुनावों के उलट पीडीए के अहंकार में डूबे अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी में पूरे उपचनाव में कांग्रेस को बिल्कुल किनारे कर दिया । वह यह भूल गए कि पिछड़े और दलित वोटो का लोकसभा सीट में चुनाव में मिला लाभ पीडीए के चलते नहीं कांग्रेस के चलते था । इसका परिणाम यह हुआ की सिर्फ गाजियाबाद को छोड़कर किसी अन्य सीट पर कांग्रेस उत्तर प्रदेश में बाकी ८ सीटो पर प्रचार करती नहीं दिखाई दी।

स्वयं को मुस्लिम वोटो का एकमात्र ठेकेदार समझने के समाजवादी पार्टी का अहंकार चुनाव में तार तार हुआ है कुंदरकी जैसी मुस्लिम बाहुल्य सीट पर पार्टी के उम्मीदवार को मुस्लिम वोट न मिलाना इसका परिचायक है।

सूत्रों की माने तो समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों और स्थानीय संगठन ने कांग्रेसियों को चुनाव प्रचार के लिए आमंत्रित ही नहीं किया । समाजवादी पार्टी में पीडीए को लेकर अति आत्मविश्वास और कांग्रेस को लेकर तिरस्कार की भावना ने पूरे घटनाक्रम को अंजाम दिया किंतु इसके दुष्परिणाम स्वरूप यह हुआ कि सभी 9 सीटों पर कांग्रेस का वोटर कंफ्यूज रहा इससे दलित, मुस्लिम और पिछड़ी वोटो ने भाजपा को वोट देने में ही अपनी भलाई समझी ।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के कई नेताओं ने यह स्वीकार किया कि चुनाव में प्रचार के लिए बुलावा ना मिलते देख उन्होंने झारखंड और महाराष्ट्र का रुख कर लिया और पार्टी के कहने पर वहां पर प्रचार में लग गए यदि भी राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस को दोनों ही चुनाव में बहुत बड़ा फायदा नहीं मिला किंतु उत्तर प्रदेश की स्थिति समाजवादी पार्टी ओर आखिलेश यादव की जिद के चलते भाजपा के लिए वरदान बन गई ।

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष को अखिलेश यादव द्वारा जिस तरीके से सम्मान ना देने की घटनाएं अक्सर सामने आई हैं। उससे भी स्थानीय स्तर पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच हमेशा ऊंच नीच की स्थिति बनी रहती है कांग्रेस के सूत्रों की माने तो समाजवादी पार्टी कहीं भी कांग्रेस को दोयम दर्जे की पार्टी से ज्यादा न होने का एहसास हमेशा कराती रहती है जिसके कारण उपचुनाव में समन्वय नहीं दिखा अगर समाजवादी पार्टी में कांग्रेस को सभी सीटों पर प्रचार के लिए आमंत्रित किया होता तो संभवतः स्थिति कुछ और होती ।

ऐसे में अखिलेश यादव के लिए संघर्ष शुरू करने के संदेश से ज्यादा समाजवादी पार्टी की कोर टीम के साथ यह मंथन करने की आवश्यकता है कि 2027 की तैयारी के लिए पीडीए का ढोल पीटने की जगह कांग्रेस का सकारात्मक साथ कैसे लिया जाए । तमाम दावों के बावजूद कांग्रेस के कोर वोटर में दलित मुस्लिम और पिछड़ा अभी भी प्रमुख रूप से शामिल है इसके साथ ही ब्राह्मण वोटो का एक हिस्सा भी खुलकर कांग्रेस के साथ हमेशा रहा है । साथ ही समाजवादी पार्टी को कांग्रेस से बड़ी पार्टी माने की गलतफहमी को दूर करने की भी आवश्यकता है । उत्तर प्रदेश में अगर 2027 के चुनाव में भाजपा का रथ रोकने के लिए साइकिल के दोनों पहियों को बराबरी के साथ चलना पड़ेगा नहीं तो 27 में करो या मरो की स्थिति वाले चुनाव का अखिलेश के हाथ से निकलना भी तय है ।

दिल्ली नोएडा, गाज़ियाबाद, ग्रेटर नोएडा समेत देश-दुनिया, राजनीति, खेल, मनोरंजन, धर्म, लाइफस्टाइल से जुड़ी हर खबर सबसे पहले पाने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें या एनसीआरखबर वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें।
Show More

आशु भटनागर

आशु भटनागर बीते 15 वर्षो से राजनतिक विश्लेषक के तोर पर सक्रिय हैं साथ ही दिल्ली एनसीआर की स्थानीय राजनीति को कवर करते रहे है I वर्तमान मे एनसीआर खबर के संपादक है I उनको आप एनसीआर खबर के prime time पर भी चर्चा मे सुन सकते है I Twitter : https://twitter.com/ashubhatnaagar हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I एनसीआर खबर पर समाचार और विज्ञापन के लिए हमे संपर्क करे । हमारे लेख/समाचार ऐसे ही सीधे आपके व्हाट्सएप पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक मूल्य(501) हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये देकर उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे

Related Articles

Back to top button