आशु भटनागर । गौतम बुध नगर में लगातार पर्यावरण और भूजल के स्तर को संरक्षित करने के लिए जमीनों पर अर्बन फॉरेस्ट के साथ-साथ तालाबों के निर्माण के लिए लगातार आवाज़ उठती रही है। इस प्रक्रिया में कई संस्थाओं को नोएडा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने बाकायदा 10 एकड़ में तालाब बनाकर दिए हैं । किंतु इन तालाबों के माध्यम से क्या वाकई गौतम बुध नगर जिले में संस्थाओं द्वारा कुछ कार्य भी किया जा रहा है या फिर इन तालाबों की आड़ में इन संस्थाओं द्वारा कंपनियों के CSR और डोनेशन का खेल खेला जा रहा हैI एनसीआर खबर क्षेत्र के जलाशोयो को लेकर एक विस्तृत सीरीज “ऑपरेशन जलाशय”आरम्भ कर रहा है I ऐसे ही एक तालाब की जानकारी आज एनसीआर खबर आपको देगा ।
नोएडा के सेक्टर 135 में प्राधिकरण ने सेफ (SAFE – Social Action for Forest & Environment) नामक एक संस्था को 10 एकड़ में तालाब बना कर दिया इस तालाब में जल की व्यवस्था की जाए इसके लिए भी प्राधिकरण के जल विभाग ने बाकायदा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से संशोधित पानी को प्रॉपर 20 किलोमीटर लंबी लाइन डालकर 50 एमएलडी पानी प्रतिदिन की व्यवस्था करी। किंतु एनसीआर खबर ने जब इस तालाब का निरीक्षण किया तो पाया 50 एमएलडी पानी प्रतिदिन के हिसाब से यह तालाब अगले 10 साल में भी भरने के काबिल नहीं होगा । इसके साथ ही तालाब की हालतदेख कर ये भी महसूस हुआ कि इसका संरक्षण करने वाली संस्था सेफ (SAFE – Social Action for Forest & Environment) अपने कर्तव्य के पालन में सक्षम नहीं दिख रही थी । तालाब के पास लगे बोर्ड के अनुसार इस संस्था को तालाब के संरक्षण के लिए कोफोर्ज (coforge ) नामक कंपनी से CSR मिल रहा है किंतु जमीनी स्तर पर CSR देने वाली कंपनी coforge के बोर्ड तक पर धूल जमी हुई है।
निरीक्षण के दौरान एनसीआर खबर ने पाया कि तालाब के चारों ओर लगे पत्थर उखड़ने लगे हैं । तालाब के एक हिस्से को बाकायदा बांध बनाकर पानी रोक दिया गया है वहां पर रेत का खनन होने की संभावना मौजूद थी। इसके साथ ही तालाब के संरक्षण के लिए बिजली की व्यवस्था के लिए लगाए गए सोलर प्लांट की दुर्दशा देखकर यह नहीं लग रहा था कि तालाब का संरक्षण ठीक से किया जा रहा है।
हैरानी की बात यह है कि प्राधिकरण में तालाबों को संरक्षित करने के नियम और समय सीमा को लेकर प्रस्तावित दस्तावेजों को के बारे में स्वयं प्राधिकरण को भी जानकारी नहीं है । इस पूरी प्रक्रिया का सबसे बाद के लिए है की प्रस्ताव देते समय संस्थाएं अक्सर 10 एकड़ से कम के तालाबों की मांग नहीं करती जबकि 10 एकड़ के तालाब में पानी भरना बेहद मुश्किल काम है । पर्यावरणविद के अनुसार किसी भी संस्था को दो एकड़ से बड़ा तालाब बनाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए । छोटे तालाबों को ज्यादा संस्थाओं द्वारा लेने से संस्थानों में तालाबों को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और उसे वाकई बेहतर कार्य को अंजाम दिया जा सकेगा ।
एनसीआर खबर ने प्राधिकरण के सूत्रों से जब इस तालाब की दुर्दशा के बारे में जानकारी ली तो बताया गया कि प्राधिकरण ने पानी देने की तो बात की है किंतु तालाब को संरक्षण और संवारने का कार्य संस्था के जिम्मे हैं। ऐसे में सवाल यह है कि इतने बड़े तालाब को लेकर ऐसी संस्थाएं क्या कार्य कर रही है क्या इन संस्थाओं ने ऐसे तालाबों के नाम पर शहर में राजनीति को जन्म दे दिया है या फिर वाकई वह पर्यावरण और भूजल के लिए कोई गंभीर कार्य करते दिख रहे हैं ।
सेक्टर 135 के तालाब के लिए हमसे पानी मांगा गया था। नोएडा का जल विभाग उसको प्रतिदिन 50 MLD संशोधित जल दे रहा है । तालाबों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है कि संरक्षक स्थल पर सुरक्षाकर्मी और उद्यानकर्मी मौजूद रहे, नोएडा प्राधिकरण ने ऐसा प्रयोग सेक्टर 54 में किया है और वहां उस तालाब में कोई कमी नहीं है
आर पी सिंह, डीजीएम नोएडा जल
पूरे प्रकरण में नोएडा प्राधिकरण और यूपीपीसीबी के ऊपर भी प्रश्न उठ रहे हैं आखिर उन्होंने संस्था को तालाब देने के बाद आज तक इसके लिए फाइनेंशल और फिजिकल ऑडिट को लेकर कोई व्यवस्था क्यों नहीं करी है । क्या यह तालाब सिर्फ खानापूर्ति के लिए बनाए जा रहे हैं या फिर तालाबों के माध्यम से अधिकारियों को भी कोई फायदा है ।
एनसीआर खबर लगातार नोएडा ग्रेटर नोएडा और यमुना क्षेत्र में संस्थाओं को दिए जाने वाले तालाबों की वस्तु स्थिति पर एक पूरी सीरीज प्रकाशित करने जा रहा है जिसमें इन तालाबों की वस्तु स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट दी जाएंगे अगर आपके आसपास भी कोई संस्था ऐसे तालाब बना रही है या उसे मेंटेन करने का दावा कर रही है तो हमें उसकी जानकारी अवश्य दें ताकि हम उसकी स्थिति। के सच को जनता के सामने ला सकें ।