राजेश बैरागी । क्या ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अपने अधिसूचित व अधिग्रहित गांव बिरौंडी के खसरा नं 167क तथा 168 पर अवैध रूप से बनाई जा रही आवासीय सोसायटी के विरुद्ध कोई कार्रवाई करेगा? बिल्डर ने इस सोसायटी को ध्वस्त होने से बचाने के लिए प्राधिकरण के विरुद्ध दायर मुकदमा वापस ले लिया है जिससे इस सोसायटी में यथास्थिति बनाए रखने के लिए दिया गया अदालती आदेश स्वत: समाप्त हो गया है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र में अवैध रूप से आवासीय सोसायटी बनाने के लिए कुख्यात एस्कॉन इंफ्रा रियल्टर्स बिल्डर द्वारा गांव बिरौंडी में ऐसी ही एक आवासीय सोसायटी को बचाने के लिए दायर मुकदमा (सिविल वाद संख्या 329/2024) को हाल ही में हुई लोक अदालत में वापस ले लिया गया है। इस मुकदमे के तहत गत छः मार्च को बिल्डर ने सिविल जज (वरिष्ठ संवर्ग) मयंक त्रिपाठी की अदालत से यथास्थिति का आदेश हासिल कर लिया था।इस आदेश का असर केवल प्राधिकरण पर रहा और बिल्डर ने निर्माण कार्य जारी रखा। हालांकि प्राधिकरण ने बिल्डर के विरुद्ध अदालत की अवमानना का मामला दायर किया था। अब मुकदमा वापस लेने से यथास्थिति बनाए रखने का आदेश भी स्वत: निरस्त हो गया है।
उल्लेखनीय है कि गांव बिरौंडी के खसरा नं 167क व 168 की 6237.54 वर्गमीटर भूमि पर बहुमंजिला भवनों का निर्माण किया जा रहा है। बिल्डर एस्कॉन इंफ्रा रियल्टर्स ने इस सोसायटी के निर्माण के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से किसी भी प्रकार की कोई अनुमति प्राप्त नहीं की है। यह सोसायटी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्यालय के ठीक सामने स्थित सेक्टर में बनाई जा रही है।