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गौतमबुद्धनगर में किसान आंदोलन का प्रभाव, कल मुख्य सचिव नोएडा में,पुलिस प्रशासन की सख्ती के बीच किसान नेताओं में वर्चस्व की जंग

राजेश बैरागी । कमिश्नरेट पुलिस और जिला प्रशासन ने सख्ती बरतकर उग्र हो गए किसान आंदोलन को फिलहाल नियंत्रित तो कर लिया है परंतु इस आंदोलन के असर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कल शनिवार को किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए किए जा रहे उपायों की समीक्षा के लिए स्वयं मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह नोएडा आ रहे हैं। इस बीच आंदोलन में भाकियू नेता राकेश टिकैत के बढ़ते दखल से आतंकित स्थानीय किसान नेता अपने दम पर आंदोलन चलाने की तैयारी कर रहे हैं।

पुलिस और प्रशासन की सख्ती के चलते तीनों प्राधिकरणों खासतौर पर नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों के विरुद्ध चल रहे दो धरने जहां खुद ब खुद उठ गये वहीं संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले बीते 25 नवंबर से चले आंदोलन की भी फिलहाल कमर टूट गई है। हालांकि पुलिस आयुक्त श्रीमती लक्ष्मी सिंह और जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा की सूझबूझ के चलते अभी तक कोई अप्रिय स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है।बीते दो दिनों में पुलिस द्वारा जीरो प्वाइंट पर रात दिन पहरा देने से किसान फिर से धरना तो नहीं दे पा रहे हैं परंतु आज भी दिल्ली जा रहे कुछ किसानों को पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया। पुलिस कार्रवाई से पूरे क्षेत्र में तनाव बना हुआ है। इसके बावजूद अधिकांश नेताओं के जेल में बंद होने तथा घर पर ही नजरबंद किए जाने से फिलहाल आंदोलन की गतिविधियां शांत हैं। इस बीच किसानों के आंदोलन को देखते हुए लखनऊ में भी उच्च स्तरीय बैठकों का दौर जारी है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर कल शनिवार को राज्य के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह नोएडा आ रहे हैं।

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वो यहां तीनों प्राधिकरणों के अधिकारियों के साथ किसानों की समस्याओं पर विचार विमर्श करेंगे। इसके साथ ही अब तक की गई कार्रवाई की समीक्षा कर मुख्यमंत्री को अवगत करायेंगे। दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद शासन स्तर पर स्थानीय किसानों की समस्याओं के संबंध में लिए जाने वाले निर्णयों में हीलाहवाली की जा रही है। इसका ताजा उदाहरण राजस्व परिषद के अध्यक्ष के नेतृत्व में बनी उच्चाधिकार समिति की अनुशंसाओं पर तीन महीने बीतने पर भी शासन द्वारा कोई कार्रवाई न करना रहा है जिससे वर्तमान उग्र स्थिति का जन्म हुआ है।
इस बीच मालूम हुआ है कि स्थानीय किसान नेता आंदोलन की कमान भाकियू नेता राकेश टिकैत के हाथों में जाने से असहज हैं।

टप्पल (अलीगढ़) में रोके जाने के बाद राकेश टिकैत द्वारा पुलिस प्रशासन के सुर में सुर मिलाने से स्थानीय किसान नेताओं में गहरा आक्रोश देखा जा रहा है। बताया गया है कि राकेश टिकैत के द्वारा वीडियो जारी कर आंदोलन की धार कुंद कर दी है। पुलिस प्रशासन भी राकेश टिकैत की आड़ लेकर आंदोलन समाप्त करने पर जोर दे रहा है।

डॉ रूपेश वर्मा व सुखबीर खलीफा सरीखे स्थानीय किसान नेता राकेश टिकैत के बढ़ते दखल और अपनी उपेक्षा के चलते अलग होकर आंदोलन जारी रखने की तैयारी में जुटे बताए गए हैं। उन्हें संयुक्त किसान मोर्चा बनाकर उसमें भाकियू को शामिल करने की अपनी ग़लती का अहसास हो रहा है। इससे आने वाले दिनों में किसान आंदोलन पर अधिकार को लेकर किसान नेताओं के बीच वर्चस्व की जंग देखने को मिल सकती है। पुलिस प्रशासन इस पूरे घटनाक्रम पर निगाह रखे हुए है।

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राजेश बैरागी

राजेश बैरागी बीते ३५ वर्षो से क्षेत्रीय पत्रकारिता में अपना विशिस्थ स्थान बनाये हुए है l जन समावेश से करियर शुरू करके पंजाब केसरी और हिंदुस्तान तक सेवाए देने के बाद नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा के संपादक और सञ्चालन कर्ता है l वर्तमान में एनसीआर खबर के साथ सलाहकार संपादक के तोर पर जुड़े है l सामायिक विषयों पर उनकी तीखी मगर सधी हुई बेबाक प्रतिक्रिया के लिए आप एनसीआर खबर से जुड़े रहे l

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