राजेश बैरागी । गौतमबुद्धनगर जिला न्यायालय बार एसोसिएशन के वार्षिक चुनाव में दो दिन शेष हैं।24 दिसंबर को होने वाले इस आम वार्षिक चुनाव में सबसे बड़ा दांव अध्यक्ष पद पर लगा हुआ है। अध्यक्ष पद हासिल करने के लिए दो चिर प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशियों क्रमशः प्रमेंद्र भाटी और मनोज भाटी के बीच आरोप प्रत्यारोप के साथ साथ एक दूसरे के अतीत को लेकर भी जुबानी जंग तेज हो गई है वहीं बार एसोसिएशन के इस चुनाव में किसी को जिताने और किसी को हराने के लिए कुछ राजनीतिक लोगों ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
हर वर्ष होने वाले गौतमबुद्धनगर जिला न्यायालय बार एसोसिएशन के चुनाव के रंग में पूरा जिला न्यायालय परिसर रंग चुका है। वैसे तो बार एसोसिएशन कार्यकारिणी के लिए आधा दर्जन से अधिक पदों पर चुनाव होता है परंतु असल लड़ाई अध्यक्ष और सचिव पद के लिए होती है। इनमें भी अध्यक्ष पद हासिल करने के लिए प्रत्याशियों द्वारा वो सारे हथकंडे अपनाए जाते हैं जो लोकसभा विधानसभा चुनाव में प्रचलित हैं। मतदाता अधिवक्ताओं को हर प्रकार से रिझाने और अपने पक्ष में करने के लिए प्रत्याशी महीनों पहले से चैंबरों पर संपर्क करने से लेकर छोटे बड़े समूहों में दावतों के दौर चलने लगते हैं।
चुनाव से एक सप्ताह पहले जिला न्यायालय परिसर में बाकायदा भव्य पंडाल लगाकर सुबह से देर शाम तक लजीज व्यंजनों की निर्बाध दावतें चलती हैं। वर्तमान चुनाव में अध्यक्ष पद पर चार प्रत्याशी क्रमशः मनोज भाटी, जगतपाल भाटी, संतोष बंसल और प्रमेंद्र भाटी किस्मत आजमा रहे हैं।
इनमें से प्रमेंद्र भाटी और मनोज भाटी न केवल पहले भी अध्यक्ष रह चुके हैं बल्कि एक दूसरे के चिर प्रतिद्वंद्वी भी हैं। दोनों के बीच एक बार मारपीट और एक दूसरे के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने की घटना भी हो चुकी है। जिला न्यायालय परिसर में दोनों के चुनावी पंडाल अगल-बगल लगे हैं परंतु दोनों के दिल कोसों दूर हैं।
शनिवार शाम दोनों प्रत्याशियों ने अलग-अलग साक्षात्कार में एक दूसरे के विरुद्ध आग उगलते हुए आरोप प्रत्यारोप लगाए। प्रमेंद्र भाटी ने मनोज भाटी पर फर्जी अधिवक्ता होने और पहले अध्यक्षीय कार्यकाल में बार एसोसिएशन के कोष में गबन करने के गंभीर आरोप लगाए।वे यहीं नहीं रुके। उन्होंने मनोज भाटी को ट्रक ड्राइवर तक बताया। उधर मनोज भाटी ने प्रमेंद्र भाटी को पहले बस कंडक्टर होना बताया। उन्होंने चुनाव होने के बाद प्रमेंद्र भाटी के न्यायालय से गायब हो जाने के साथ उनके अपनी मार्केट और दूसरे निजी मामलों को संरक्षण देने के उद्देश्य से चुनाव लड़ने का आरोप भी लगाया। हालांकि दोनों प्रत्याशियों ने चुनाव जीतने पर अधिवक्ताओं के लिए चैंबर बनवाने, जिला न्यायालय में सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त कराने तथा बार और बेंच तथा बार और पुलिस के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने का दावा किया।