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Noida InterNational Airport : आज हमारी भी आंखें नम हो गई, दुनिया खुशी का दिन हो परन्तु रन्हेरा के लिए काला दिवस है

“अमीरों की शान गरीबों के नाम” बरसों पहले संजय दत्त कुमार गौरव अभिनीत एक फिल्म में गीत था। मगर सोमवार को यह गीत जेवर के नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहले कमर्शियल फ्लाइट के लैंडिंग के साथ चरितार्थ होता दिखाई दिया । बेहद सिक्योरिटी के साथ दुनिया की नजरों से छुपा छुपा कर बनाए जा रहे इस एयरपोर्ट पर फ्लाइट लैंडिंग के साथ ही कभी किसानो की आवाज़ उठा कर भट्टा पारसोल से चर्चा में आकर विधायक बने जेवर विधायक धीरेन्द्र सिंह ने मीडिया में बयान दिया कि आजादी के बाद उनका विकास का सपना पूरा हुआ और उनकी आंखें नम हो गई ।

विधायक से लेकर सांसद तक सभी इस ऐतिहासिक घटनाक्रम पर अपने-अपने हिस्से का श्रेय लूटने के प्रयास में लगे थे तो देशभर का मीडिया नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की पीआर कंपनी द्वारा बताए गए आंकड़ों के आधार पर यह स्थापित करने में लगा था कि उत्तर प्रदेश के पश्चिम क्षेत्र को एक बहुत बड़ा एयरपोर्ट मिलने वाला है ।

अमीरों की खुशी और अट्टहास के बीच सबको जेवर विधायक धीरेन्द्र सिंह की आंखों के नाम होने पर उनका जमीन से जुड़ाव नजर आया किंतु किसी को इसी एयरपोर्ट के लिए जमीन देने वाले उन किसानों का दर्द ना याद आया ना समझ आया। विधायक जी की नम आंखों पर इठलाते मीडिया ने किसानो की समस्या को बिल्कुल दरकिनार कर दिया ।

इसके बाद अब नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए जमीन देने वाले किसानों ने अपनी उपेक्षा का दर्द सोशल मीडिया पर उतारना शुरू कर दिया है । जिन किसानो की ज़मीन पे ये एयरपोर्ट बन रहा है वो आज भी अपनी विस्थापन नीति मैं बदलाव को लेकर आज भी धरनारत है । प्रशांत राजपूत नामक एक निवासी ने प्रमुख सचिव को टैग करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा आज हमारी भी आंखें नम हो गई कि हमारे गांव रन्हेरा के साथ जो धोखा किया शासन प्रशासन और मंत्री जी ने हमारे दुख को भी नहीं समझा 1200 बरस पुरानी जमीन, गांव जमीन दे दिया फिर भी किसी को एक बार भी नहीं पूछा गया आज खुशी का दिन दुनिया के लिए हो, मगर रन्हेरा के लिए काला दिवस है ।

आम जन की भूमि पर उनके ही बीच बन रहा एयरपोर्ट इतना दूर कैसे हो गया ?

ऐसे में जब नोएडा और देशभर का मीडिया इस एयरपोर्ट के लिए भक्तिगान गाने में लगा हुआ है तब इस संदेश के बाद एनसीआर खबर यह सोचने पर मजबूर हो गया कि आखिर जेवर विधानसभा क्षेत्र में लोगों की जमीन पर, लोगों के बीच बना रहे इस एयरपोर्ट से लोगों को इतना दुख क्यों है? जिस विकास के लिए आजादी के बाद का सपना जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह बता रहे हैं वहां के लोग वहां पर उन्हीं के वोटर और उन्हीं के गाँव, उन्ही की जाति के लोग आखिर इसको काला दिवस क्यों बता रहे हैं, क्या इसमें यमुना प्राधिकरण के सीईओ की गरीब और किसान विरोधी नीति को दोषी माना जाए या फिर गरीबों की जमीन लेकर एक विदेशी कंपनी को देकर उसको चारों तरफ से ब्लॉक करके किए जा रहे इस अंधे विकास का परिणाम माना जाए ।

एनसीआर खबर ने आसपास की ग्रामीणों से उनके दुख का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि एयरपोर्ट के विकास की कीमत उनके गांव को की बर्बादी के तौर पर सामने आ रही है प्राधिकरणों ने उनकी जमीन ले ली। विधायक के भरोसे पर उन्होंने अपनी जमीन और गांव सब दे दिया किंतु उनके हिस्से सिवाय दुख के कुछ नहीं आया है। जिस एयरपोर्ट में उनके बच्चों को काम मिलना चाहिए था वहां मजदूरी करने के लिए भी उनकी जरूरत नहीं है। एयरपोर्ट का निर्माण कर रही कंपनी ने टाटा कंपनी को कार्य सबलेट कर दिया और उसके बाद इस पूरे क्षेत्र को प्रतिबंधित कर दिया गया है जिसके कारण यह क्षेत्र ब्रिटिश कॉलोनाइजेशन की तरह एक पहेली बनकर रह गया है ।

ग्रामीणों ने आरोप लगाए हैं कि एयरपोर्ट के विकास का पूरा लाभ या तो विदेशी कंपनी उठाने जा रही है या फिर उसके द्वारा सबलेट की गई बड़ी कंपनियों और यहां के भू माफिया उठा रहे हैं । किसानों ने आरोप लगाया कि जब क्षेत्र में किसान अपने मुआवजे को लेकर आंदोलन करने के कारण जेल में है तब जेवर विधायक फ्लाइट के उतरने पर अपनी आंखें नम कर रहे हैं ।

वही प्राधिकरण के यमुना प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा एयरपोर्ट को एक अभेद किले में तब्दील करके उसके चारों ओर विकास की कोई योजना ना कार्यान्वित करने के कारण यहां के ग्रामीण और किसने की स्थिति गंभीर हो गई है। इसी रन्हेरा गांव में बीते महीनो में बरसात के समय बाढ़ जैसे हालात हो गए थे। इसके बाद जिला प्रशासन ने स्वयं उतरकर 15 दिन में उसको सही करवाया था । लोगों के आरोप हैं कि यमुना प्राधिकरण के सीईओ ने विकास की बड़ी-बड़ी बातें तो कर दी हैं किंतु जमीनी स्तर पर कुछ नहीं किया है। सच तो यह है कि यमुना प्राधिकरण के सीईओ ने समस्याओं पर जिस तरीके से प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार की आंखों में धूल झुकी हुई है उसके दुष्परिणाम कई दशकों तक इस क्षेत्र के लोगों को भुगतने होंगे। ऐसे में दुनिया के लिए भला ही यह खुशी का दिन हो परंतु उनके लिए काला दिवस है ।

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NCR Khabar Internet Desk

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