लखनऊ डेस्क । भाजपा इस बार संगठन के चुनाव पर बड़ा फोकस किए हुई है। मंडल व जिलाध्यक्ष के चुनाव में पैनल पहले क्षेत्र स्तर पर भेजा जाता था किंतु इस बार उसे प्रदेश स्तर पर मंगाया गया है। खासतौर पर जिलाध्यक्ष के चुनाव के लिए नामांकन करने वाले प्रत्याशियों का पैनल प्रदेश स्तर पर भेजना होगा। पहले तो आम सहमति बनाने का प्रयास होगा यदि सहमति नहीं बनती है तो चुनाव कराया जाएगा। भाजपा ने संगठन चुनाव में लगे नेताओं से कहा है कि जिनके यहां अच्छे से चुनाव संपन्न होंगे उनके बायोडाटा में इसे जोड़ा जाएगा।
आपको एनसीआर खबर पहले ही बता चूका है कि भाजपा की पूरी कोशिश है कि बाहरी व दागी इस बार मंडल व जिलाध्यक्ष न बनने पाएं। इसी को लेकर मंगलवार को प्रदेश के सभी छह क्षेत्रों में कार्यशाला कर संगठन चुनाव की बारीकियां समझाई गईं। यह भी बताया गया कि जितनी मजबूत बूथ और मंडल की इकाइयां होगी, उतनी ही मजबूत भाजपा होगी।
भाजपा में 15 दिसंबर तक मंडल अध्यक्ष व 30 दिसंबर तक जिलाध्यक्ष के चुनाव होने हैं। भाजपा संगठन पर्व के तहत सबसे पहले सदस्यता अभियान चला। इसके बाद बूथ कमेटियों का गठन किया गया। अब भाजपा 1918 मंडलों व 98 जिलों में अध्यक्ष के चुनाव करा रही है। 15 दिसंबर तक मंडल अध्यक्ष व 30 दिसंबर तक जिलाध्यक्ष के चुनाव होने हैं।
मंडल ओर जिला दोनों जगह पिछले दो बार का सक्रिय सदस्य होना जरूरी है, उनके खिलाफ कोई भी अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। जिन्हें भी मंडल व जिलाध्यक्ष बनाया जाएगा वे पूर्व में जिला व मंडल के पदाधिकारी जरूर रहे होने चाहिए।
इसका उद्देश्य यह है कि हाल-फिलहाल दूसरे दलों से आए व दागी संगठन में न आ सकें। यही वजह है कि 2019 व 2024 दोनों में सक्रिय सदस्य होना जरूरी है। 2019 के लोकसभा चुनाव के समय दूसरी पार्टी से आए नेता भी इस नियम से मंडल व जिलाध्यक्ष की दौड़ से बाहर हो गए हैं।