आशु भटनागर । ग्रेटर नोएडा के सेंट्रल कमिश्नरेट में थाना सूरजपुर क्षेत्र के गांव देवला से रहस्यमय तरीके से गायब 48 वर्षीय ब्रह्मजीत की हत्या के 7 दिन बाद पुलिस प्रशासन और नेताओं ने परिवार के लिए क्या किया है ? पुलिस ने कुछ नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है । गिरफ्तारी से बचने के लिए यहां बाहरी क्षेत्रों से आए मुस्लिम की दुकानें बंद है। पर अक्सर गौतम बुद्ध नगर में किसी की हत्या पर राजनीति करने वाले नेता यहां रोष जताने तो छोड़िए मृतक के घर कुल्ला करने ओर सांत्वना देने भी नहीं पहुंचे है । हां हत्यारों को बचाने के लिए बंद दुकानों के नाम पर कुछ सिरफिरे लोगों द्वारा देवला में सांप्रदायिकता के बीज बोने की तैयारी कर दी गई है । किंतु सांप्रदायिकता फैलाने और नेताओं के ना मिलने आने के मुद्दे से पहले मूल घटना क्रम को समझते है ।
दरअसल तिलपता के भाजपा कार्यालय से महज कुछ दूरी पर स्थित देवला गांव में ब्रह्मजीत भाटी 29 नवंबर की सुबह दस बजे घर से बाल कटवाने के लिए गया था। तभी से वह गायब था। वापस न आने पर परिजनों ने थाना सूरजपुर पुलिस को सूचना दी थी। बीते रविवार की शाम परिजनों द्वारा थाने पर हंगामा करने के बाद देवला गांव में ही नाई की दुकान चलाने वाले समीर व गुलशन की तलाश की गई। सीसीटीवी कैमरे में ये दोनों लोग ब्रह्मजीत को मोटरसाइकिल पर बैठाकर ले जाते दिखाई दे रहे थे। पुलिस द्वारा समीर को हिरासत में लेकर पूछताछ करने पर ब्रह्मजीत की हत्या करने का राज उजागर हुआ। उसकी निशानदेही पर ऐमिटेक होम्स के निकट पक्षी विहार से उसका शव बरामद हो गया। दूसरा आरोपी गुलशन फरार बताया गया है।शव मिलने की सूचना मिलते ही क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया। इसके चलते पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ दो प्लाटून पीएसी भी मौके पर पहुंची। बाद में पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया और उसके बाद माहौल शांत होने पर पीएससी हटा दी गई ।
क्षेत्र की डेमोग्राफी के अनुसार यह पूर्णतया हिंदू क्षेत्र है किंतु यहां पर कुछ मुस्लिम बाहर से आकर दुकान करने लगे है । दावा यहां तक है कि क्षेत्र में कुछ रोहिंग्या मुसलमान बाहर से आकर झुग्गी झोपियां डालकर यहां रहने लगे थे जो क्षेत्र में हुई हत्या के घटनाक्रम के बाद पुलिस के हाथों में आने से बचने के लिए यहां से गायब हो गए अब इस बात को लेकर कुछ सिरफिरे और स्वयंभू सेकुलर ने मुस्लिम पलायन, डर का मुद्दा उठाकर आरोपियों को बचाने की पूरी रणनीति तैयार कर रहे है । इसके बाद असल में पीड़ित परिवार एक बार फिर से अकेला और हाशिये पर आता दिखाई दे रहा है ।
पूरे घटनाक्रम में अचानक से सांप्रदायिक रंग को आते देख एनसीआर खबर की टीम ने देवला गांव का दौरा किया । विकास से कोसों दूर इस गांव के हालात बेहद दयनीय थे। एक लंबी टूटी सड़क को पार करके हम पीड़ित परिवार के घर पहुंचे जहां ब्रह्मजीत के भाई गुमसुम बैठे हुए थे । गांव में हुए हत्याकांड की सच और उसके बाद उड़ रही अफवाहों पर हमने जब उनसे पूछा तो उन्होंने दुख प्रकट करते हुए कहा कि हम तो घर में बैठे हुए हैं ऐसे में किसी के साथ कुछ करने की स्थिति में ही नहीं है और ऐसी अफवाहों की जगह उन्होंने अपना दर्द बयां करते हुए कहा की कोई नेता अब तक उनके घर शोक प्रकट करने तो नहीं आया है लेकिन ऐसी अफवाहों को फैलाकर हमारे लिए मुश्किल जरूर खड़ा कर रहे हैं ।
वहां मौजूद एक अन्य शख्स ने भाजपा और सपा नेताओं दोनों को आढ़े हाथों लेते हुए कहा कि बिसहाडा में एक आदमी के मर जाने पर मुआवजा देने वाली ओर बड़ा हंगामा करने वाली समाजवादी पार्टी एक हिंदू की हत्या पर यहां के नेताओं द्वारा शोक प्रकट करने ना आना और ऐसी अफवाहों से दुख होता है और भाजपा नेताओं ने जिस तरीके से इस घटना से मुंह मोड़ा है वह और दर्द देने वाला है क्योंकि इस गांव से मैच कुछ 100 मीटर की दूरी पर भाजपा का जिला कार्यालय स्थित जहां सभी नेता प्रतिदिन किसी न किसी कार्य के लिए आते रहते हैं
परिवार के समर्थन में बैठे लोगों ने कहा कि अगर यह नेता यहां तक आ गए होते तो ऐसी अफवाहों को भी बल नहीं मिलता और संभवतः परिवार का दुख कुछ कम हो जाता। किंतु यह सच है कि एक व्यक्ति की मृत्यु की कीमत इन नेताओं की समझ में नहीं आती है । हां यही व्यक्ति अगर मुसलमान हो जाता तो भाजपा, सपा, कांग्रेस सबके लिए काम आसान हो जाता क्योंकि तब इनकी राजनीति के लिए भरपूर खाद और पानी यहां उपलब्ध हो जाता ।
ऐसे में देवला गांव में हत्या के बाद चल रही अफवाह से इतर क्षेत्र के स्थानीय नेताओं को परिवार की सुध लेने की याद आएगी या फिर अब उन्हें इस बात की शर्म नहीं रह गई है कि क्षेत्र में उनकी राजनीति के लिए इन लोगों के जीने और करने का कोई मतलब भी है या नहीं।