विवेक शुक्ला । दिल्ली की सीएम आतिशी पिछले दिनों आंसू बहा रही थीं कि रमेश बिधूड़ी ने उनके पिता पर बेबुनियाद इल्जाम लगाए। आप अपनी जगह ठीक होंगी। पर आपने जंगपुरा के कांग्रेस कैंडिडेट फरहद सूरी के लिए कैसे कह दिया कि वे (फरहद सूरी) बीजेपी से पैसे लेकर चुनाव लड़ रहे हैं।
आप फरहद सूरी या उनके परिवार को जानती ही कितना हैं? ये खास बात नहीं है कि फरहद सूरी दिल्ली के करीब 20 साल पहले मेयर थे। ये भी सबको पता है कि उनकी मां ताजदार बाबर, जिन्हें सारी दिल्ली मम्मी कहती थीं, तीन बार दिल्ली असेंबली के लिए बाराखंभा रोड सीट से जीती थीं, पर ये बहुत कम लोगों को पता है कि फरहद सूरी के पिता डब्ल्यू.एम.बाबर सरहदी गांधी के साथ भारत की आजादी के लिए लड़े थे। वे पक्के कांग्रेसी और गांधीवादी थे।
जब देश बंटा तो भारत से लाखों मुसलमान इस्लाम के नाम पर बने मुल्क पाकिस्तान जा रहे थे, तब बाबर साहब पेशावर से दिल्ली आ गए थे। उन्हें मजहब की बुनियाद पर बने देश में रहना नामंजूर था। उन्हें तो गांधी के देश भारत में रहना था। बाबर साहब के साथ पेशावर से ताज मोहम्मद खान भी आए थे। वह भी ताउम्र कांग्रेसी रहे। ताज मोहम्मद का बेटा है शाहरुख खान।
आतिशी जी, फरहद सूरी बीजेपी से पैसा लेकर सियासत करने वाले आखिरी इंसान होंगे। उन्होंने सारी जिंदगी ईमानदारी से राजनीति की है। उनके ईस्ट निजामुद्दीन के घर जाकर गर्व होता है कि अब भी इस देश में जनता के बीच में रहकर सियासत करने वाले नेता हैं। उनका बड़ा सा घर कहां से होगा, उन्होंने कोई शराब घोटाला तो किया नहीं है।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार है ।