लखनऊ I गौतम बुध नगर में किसानों के मुआवजे को लेकर लड़ाई के प्रति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंभीर होते हुए जेल से रिहा हुए सभी किसान नेताओं को चर्चा के लिए लखनऊ बुला लिया । इनमें भारतीय किसान परिषद, अखिल भारतीय किसान सभा और किसान एकता संघ के प्रतिनिधि मंडल शामिल हुए । प्रतिनिधि मंडल में राष्ट्रीय लोक दल के विधायक राज्यपाल बालियां मंडल अध्यक्ष इंद्रवीर भाटी एवं राष्ट्रीय लोक दल के जिला अध्यक्ष जनार्दन भाटी एवं भारतीय किसान परिषद के एडवोकेट सचिन अवाना शामिल रहे ।
45 मिनट तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुनी किसान नेताओं की व्यथा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गौतमबुद्ध नगर के किसानों के मुद्दों को गंभीरता से लेते हुए 45 मिनट तक किसानों के प्रतिनिधि मंडल से विस्तृत चर्चा की जिसमें 10% आबादी प्लाट एवं नए अधिग्रहण कानून,2013 को लागू करने के मुद्दों सहित अन्य मुद्दों पर सकारात्मक चर्चा हुई। चर्चा के बाद मुख्यमंत्री द्वारा अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी करते हुए किसानों के हर मुद्दे को हल करने का आश्वाशन दिया।
प्रतिनिधि मंडल ने माननीय मुख्यमंत्री को ये भी अवगत कराया कि आपके स्तर पर हमारा संवाद नहीं रहने से एवं शासन स्तर पर प्राधिकरण द्वारा भेजी गई पत्रवालियो के समय पर अनुमोदन नहीं होने शासनादेश समय पर जारी नहीं करने से मुद्दे लगातार लंबित रहते हैं । इन्हीं लंबित पत्रावलियों के कारण किसानों के 5% व 6% प्लाटों को नियोजित करने में देरी होती है । आबादी प्रकरणों में 450 वर्ग मीटर की दर को 1000 करने के लिए नियमावली में परिवर्तन किया जाए, 6040 प्लॉट को अतिक्रमण के दायरे से बाहर कर 5% के प्लॉट दिए जाएं, एस आई टी जांच के संबंध में शासनादेश एवं अन्य मुद्दों पर भी आवश्यकता अनुसार किसानों के पक्ष में शासन स्तर से जल्दी कार्रवाई की जाए।
किसान सभा के जिला अध्यक्ष डॉ रुपेश वर्मा ने एनसीआर खबर को मुख्यमंत्री के साथ हुई बातचीत के बारे में अवगत कराते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने नए कानून के बारे में एक ऐसी लैंड पुलिंग नीति के संबंध में जल्दी ही फैसला लेने का आश्वासन दिया है जिसमें किसानों को लैंड पुलिंग के तहत विकसित प्लाट मिलेगा एवं सर्किल रेट का रिवीजन होकर बाजार भाव पर भूमि की खरीद हो सकेगी । इस तरह की नीति आने से किसान विकास की प्रक्रिया में हिस्सेदारी हो सकेंगे और अनियोजित विकास पर लगाम लग सकेगी।
मुख्यमंत्री ने सभी मुद्दों पर आस्वास्त किया कि प्राधिकरण द्वारा किसानों के पक्ष में जो भी पत्रावलियां शासन के अनुमोदन के लिए भेजी जाएंगी वह शासन स्तर पर लंबित नहीं रहेगी और उन पर तुरंत कार्रवाई करते हुए शासनादेश अथवा अनुमति तुरंत प्रदान की जाएगी।