आशु भटनागर । गौतम बुद्ध नगर में लगातार काटी जा रही अवैध कॉलोनियो पर प्रभावशाली तरीके से रोक न लगाने के कारण भूमाफियाओं के हौसले बुलंद है । जिला प्रशासन और प्राधिकरण को इन भूमाफियाओं को रोक पाने की जद्दोजहद से पहले नोएडा पुलिस कमिश्नरेट में FIR कराने के लिए महीनो मशक्कत करनी पड़ रही है। हालात यह हैं कि किसी अतिक्रमण को तोड़ने के लिए पुलिस बल का मिल जाना प्राधिकरण के अधिकारियों के लिए ईद के चांद जैसा होता है। उसके बाद भी पुलिस FIR से भूमाफियाओं में कितना डर उत्पन्न होता है उसका उदाहरण आप बीते दिनों मीडिया में खबरें आने के बाद 18 कालोनाइजर के विरुद्ध हुई FIR के बाद कॉलोनी काटने में आई तेजी से समझ सकते हैं । FIR होते ही अवैध कॉलोनाइजर अपने अपने आकाओं के जरिए नेताओं से FIR में नाम हटवाने की सिफारिश करवाने पहुंच गए हैं ।
ऐसे में पुलिस की हीलाहवाली के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गौतम बुद्ध नगर में औद्योगिक विकास के सपने को अगर कोई पलीता लगा रहा है तो वह किसान नेताओं से ज्यादा उनके ही जनप्रतिनिधियों और उनके सहायक नेताओं द्वारा लगाया जा रहा है । अधिकारियों को डराने के लिए ऐसे कई नेताओं ने पूरे शहर में जनप्रतिनिधियों के साथ दीपावली, नव वर्ष की शुभकामनाओं को देने के बड़े-बड़े बोर्ड तक लगा रखें है । महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि बाद में यही जनप्रतिनिधि इन्हीं के साथ खड़े होकर बड़े-बड़े मंचों पर अपराधियों और भूमाफियाओं के खिलाफ मुख्यमंत्री की सख्त नीति के प्रशंसा करते पाए जाते हैं ।
एनसीआर खबर को मिली जानकारी के अनुसार मुंबई स्थित प्रसिद्ध ग्रीन एनर्जी की कंपनी अवाडा (Avaada Energy) को 50 एकड़ जमीन तो अलॉट कर दी गई है । किंतु उसे जमीन को देने की वस्तु स्थिति अभी तक कागजों में है । मुख्यमंत्री के साथ Avaada Energy के हुए इस महत्वपूर्ण करार पर स्थानीय नेता किस तरीके से पलीता लगा रहे हैं इससे आप समझ सकते हैं कि जिले में आम आदमी की स्थिति क्या हो सकती है । 50 एकड़ में बनने वाली जिस कंपनी से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा उसे भी निजी लाभ के लिए रोकने के कैसे प्रयास किए जा रहे है ।
देखा जाए तो बिसरख, हल्दौनी, जलपुरा, ऐमनाबाद, पतवारी, हैबतपुर, धूम मानिकपुर, चिपियाना बुजुर्ग, वैदपुरा और सैनी, सुनपुरा, तुस्याना, सूत्याना जैसे गांवों में प्रतिदिन कट रही इन छोटी-छोटी कॉलोनी से प्राधिकरण या तो बेखबर है या फिर जानबूझकर विवादों से दूर रहना चाह रहा है । इसका महत्वपूर्ण कारण यह है कि इन गांव में स्थानीय जनप्रतिनिधियों से जुड़े लोग ही अवैध कलानियों को काटने में लगे हैं । जैसे-जैसे लोगों को पता लग रहा है कि यहां की जमीन प्राधिकरण विकसित करने की तैयारी कर रहा है वैसे-वैसे लोग दिन-रात कॉलोनी को बेचकर भाग जाने की फिराक में लगे हैं ताकि बाद में जन भावना का बहाना लेकर इस पूरे क्षेत्र को स्लम यानी मलिन बस्तियों में बदला जा सके ।
इस पूरे प्रकरण पर मुख्यमंत्री के औद्योगिक विकास पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ रवि एनजी के विजन पर स्थानीय नेताओं का वजन भारी पड़ता दिखाई दे रहा है । दरअसल किसी भी शहर के लिए यह महत्वपूर्ण है अगर वहां प्राधिकरण को अपनी अधिकृत जमीन भूमि पर अवैध कॉलोनीयों को काटने से रोकता है तो सबसे पहले उस पूरे क्षेत्र की प्लानिंग के अनुसार सड़कों का निर्माण बेहद जरूरी है। किंतु बीते 10 साल में नेताओं, भूमाफियाओं और प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारियों द्वारा इन बातों को न सिर्फ रोका गया बल्कि उनकी डिटेल्स प्लानिंग के बाहर आने ही नहीं दी गई। इसका फायदा भू माफियाओं और प्रॉपर्टी डीलरो ने पूर्ण तरीके से उठाया है ।
ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है की ग्रेटर नोएडा फेज 2 की तैयारी से पहले ग्रेटर नोएडा फेज वन के अधिग्रहीत क्षेत्र में जमीनी कार्य से लेकर सड़कों तक का जाल स्थानीय नेताओं के हस्तक्षेप को दरकिनार करके कितनी जल्दी प्राधिकरण कर पाएगा, उससे ही इन अवैध कॉलोनी पर रोक लगाई जा सके महत्वपूर्ण यह भी है कि जिन जगहों पर अवैध कॉलोनी को बेचा जा चुका है वहां पर प्राधिकरण किस तरीके से इन भू माफियाओ की संपत्तियों को जप्त करके उसे जगह को मुक्त कराएगा यह 2025 में बड़ा प्रश्न रहेगा ।