कभी मैं भी एक कुकुर प्रेमी हुआ करता था, इतना भयंकर कुकुर प्रेमी कि जहाँ भी कुत्ते का बच्चा दिखाई देता था, उठाके घर ले आता था..फिर पढाई लिखाई (स्कूल काॅलेज-यूनिवर्सिटी जाने की अवस्था तक) सब छोड छाड के बस अपने कुत्ता दोस्त में खोया रहता था ।
मैंने आखिरी लेब्राडोर ब्रीड का काला कुत्ता 2021 में पाला ।उसके बाद से मैंने कभी भी कोई विदेशी ब्रीड का कुत्ता नही पालने कि कसम खा ली क्योंकि विदेशी कुत्ता पालन शुरू से एक बहुत बडा सिरदर्द देने वाला, थकाऊ, बेमलतब का और अजीब किस्म का अनुभव रहा।खैर दिमाग का लाॅजिकल हिस्सा तो हमेशा से ही इस गतिविधि को अजीब पागलपन मानता रहा पर दिल है कि मानता नहीं।
मुझे कुत्ता पालन के दौरान कुछ बातें समझ आई जैसे कुत्तों में गिल्ट फिलिंग नही होती अतः वो अपने किए पर नहीं पछताते, इसलिए उनके रोने, मायूस होने, खुश होने, चिपकने को लेकर आपको ज्यादा सेन्टीं नहीं होना चाहिए, क्योंकि वो ये सब अपनी प्रकृति प्रदत्त आदतों के कारण कर रहा है।
एक पूर्ण विकसित कुत्ता एक दो साल के छोटे बच्चे जितना दिमाग रखता है, अगर आप उसे ट्रेनिंग दो तो वो कुछ चीजें आपके मनोरंजन हेतु सीख सकता है (इसलिए बाॅलिवुड हाॅलिवुड फिल्मों की देखादेखी एक कुत्ते से एक इंसान जितनी समझदारी की अपेक्षा रखना बेवकूफी है)
कुत्ता अपने मालिक को याद रखने के बजाय अपने भोजन और अनुकूल पर्यावास को ज्यादा याद रखता है ओर तवज्जो देता है, इसलिए “मेला बच्चा मेला बाबू” करना निहायती मूर्खतापूर्ण है.. कुत्ते को कुत्ते की तरह पालें, उसे इंसान का बच्चा समझने की भूल ना करें।
ओर सबसे महत्वपूर्ण ये कि “विदेशी कुत्ता प्रजनन एवं पालन” प्रक्रिया एक बहुत अप्राकृतिक, बेकार, सब तरह से अनुपयोगी गतिविधि है जिसे कुछ इंसानों ने अपने शौक और जिज्ञासा के लिए ईजाद किया ओर तब से वो पहले स्टेटस सिंबल और फिर अमीरों का अकेलेपन दूर करने के ईलाज रूप में पूरी दुनिया में फैल गईं,ओर तब से लेकर अब तक ये अरबो डाॅलर का व्यापार बन चुका है।
अब चूंकि बहुत सारे मिक्स ब्रीड के कुत्ते पैदा किए जाने लगे हैं, कीमते गिरने लगी हैं तो फिर उनकी पहुंच मिडिल क्लास के घरों तक हो गयी हैं वरना किसी जमाने में एक जर्मनशेपर्ड या सफेद पामेरियन कुत्ता रखना भी बडी बात होती थी।
आप एक भूखे बेसहारा ओर देसी कुत्ते (या फिर उसकी जगह कोई ओर भी जानवर हो तो भी) खाना खिलाएं, उसके आवास और उसकी प्राकृतिक गतिविधियों में हस्तक्षेप ना करें, उसके प्रति करूणा और प्रेम रखें लेकिन कुत्ता पाले नहीं, ओर पाले तो कम से कम देसी पालें और उसे भी घर के बाहर रखें।
विदेशी कुत्ते पालना एक सनक और अजीब व्यवहार है जिसमें सुधार के प्रयास किए जाने चाहिए… मैंने ये सुधार कर लिया, अपने आसपास के लोगों को भी सुधारें, समझाएं।
लेख में दिए विचार अवनीश दुबे के है एनसीआर खबर का उससे सहमत या असहमत होना आवश्यक नही है ।