गौतम बुध नगर में औद्योगिक विकास की उड़ान का सपना देख रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही अधिकारियों पर समय-समय पर यहां किसानों की समस्याओं के समाधान के निर्देश देते हुए दिखते हो किंतु असल में इसके लिए सबसे ज़रूरी लेखपालों की कमी पर ध्यान नहीं दे रहे है ।
दरअसल मनोज कुमार सिंह के चीफ सेक्रेटरी बनने के बाद यह आशा की जा रही थी कि नोएडा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में लेखपालों की कमी की समस्या को दूर किया जाएगा किंतु योगी सरकार के 6 वर्ष बीतने के बावजूद इन प्राधिकरणों में लेखपालों की समस्या कोई हल हो नहीं सका है ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, चीफ सेक्रेटरी मनोज सिंह को यह समझना जरूरी है कि क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग के मुख्य कारक या तो सरकार आने के बाद दूसरे दलो से भाजपा में आए नेता या फिर भाजपा नेताओं के संरक्षण में पाल रहे भूमाफिया है और लेखपाल इन लोगों के प्रमुख हथियार हैं ।
गौतम बुध नगर में इस समय लेखपालों और मौसमी बयार में भाजपाई बने कई भूमाफियाओं के साथ गांठ का असर नोएडा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में ज़मीन पर अतिक्रमण हटाने और लीजबैक जैसे मामलों पर पड़ रहा है । जानकारों की माने तो अतिक्रमण हटाने के लिए अक्सर लेखपाल कथित तौर पर किसानों और भूमाफियाओं से मिलकर प्राधिकरण के अधिकारियों के समक्ष पैमाइश करने से इनकार कर देते हैं ।
एक प्रकरण में तो ऐसा हुआ है कि लेखपाल ने एक सड़क के बीचो-बीच आ रहे एक भू माफिया के प्लाटों को बचाने के लिए प्राधिकरण के वरिष्ठ प्रबंधकों को यह कहकर धमका दिया कि अगर बड़े अधिकारियों का आदेश है तो फिर उनसे ही बुला के पैमाइश करवा लो । ऐसे में अधिकारियों के समक्ष बिना लेखपाल के पैमाइश किए विवादित मामलों पर अतिक्रमण हटाना या कब्जा लेना मुश्किल हो गया ।
रोचक तथ्य है कि मुख्यमंत्री के ग्रीन एनर्जी को लेकर अवाड़ा कंपनी (Avaada Group) के प्रोजेक्ट को जमीन देने की स्थिति भी इन्हीं लेखपालों की करतूतो के कारण फंसी हुई है । ईकोटेक 16 में कंपनी के इस प्लॉट को रास्ता देने के लिए प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा मास्टर प्लान के रास्ते के जगह चक रोड से रास्ता देने के समाचार तक निकल कर आ रहे हैं ।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पांच लेखपालों के सहारे पूरे प्राधिकरण के इन समस्याओं का समाधान मुश्किल है एक अधिकारी ने तो यहां तक कहा कि पांच में से तीन लेखपाल ऐसे हैं जिनको अगर कभी किसी प्रकरण में अकाउंटेबिलिटी की बात कर दी जाए तो वह अस्पतालों में एडमिट हो जाते हैं। ऐसे में बीती सरकारों में नेताओं के सिफारिश पर लगे यह लेखपाल प्राधिकरण की समस्या ओर सरदर्द के साथ-साथ विकास की राह को रोकने के सबसे बड़ा कांटा बन गए है ।
ऐसे मुख्यमंत्री ये समझना होगा कि गौतम बुद्ध नगर के समुचित विकास के लिए तीनों प्राधिकरणों में अधिकारियों के साथ-साथ लेखवालों और अन्य निचले सक्षम कर्मचारियों की कमी पर पर ध्यान देने की आवश्यकता ज्यादा है