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हाय री किसान राजनीति! गौतम बुद्ध नगर में राजनीति में रिश्ते भी लग रहे दांव पर

आशु भटनागर I राजनीति जब सर्वोपरि हो जाए तो पारिवारिक रिश्ते भी दांव पर लग जाते हैं। इन दिनों ऐसा ही गौतम बुद्ध नगर में भी होने लगा है । इससे यहां की एक जाति विशेष के बीच ही खींचतान लगी रहती है । यहां सत्ता, विपक्ष, किसान, एडवोकेट, RWA से लेकर हर छोटे से छोटे समूह पर नेतागिरी को लेकर इसी जाति विशेष के लोगों के बीच तलवार खींची हुई है ।

शहर में इन दिनों 40 से ज्यादा किसान नेता हैं और लगभग सभी नेता इन्हीं जातियों से आते हैं । इन किसान नेताओं ने अब इसके बल पर सत्ता और विपक्ष के नेताओं को चुनौती देने शुरू कर दी है । स्थानीय ग्रामीण समस्याओं पर सत्ता के खिलाफ विपक्ष खड़ा हो या ना हो उससे पहले किसान नेता अपना झंडा लेकर पहुंच जाते हैं ।

ऐसा ही एक प्रकरण खेड़ा भनोटा के गांव में हुआ जब एनपीसीएल और पुलिस के लोगों ने एक स्थानीय निवासी के खिलाफ बिजली चोरी की एफआईआर लिख दी । इसके बाद मीटर लगाने के नाम पर बवाल हुआ I मामला राजनीतिक होता इससे पहले ही किसान नेता भी अपना झंडा लेकर मौके पर पहुंच गए और इसके लिए सभाएं होने लगी । मामला और बढ़ा तो किसान नेताओं ने सत्ता पक्ष के विधायक को ललकारते हुए कहा कि “गांव वालों अब कहां है वह विधायक जिसको तुमने वोट दिया है” ।

पूरे प्रकरण में विवाद की जड़ गांव में एनपीसीएल द्वारा लगाए जा रहे बिजली के मीटर है । उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे प्रदेश में बिजली को निजी कंपनियों को देने की पहल कर दी है जिसके चलते अब पूरे उत्तर प्रदेश के शहर ओर गांव में बिजली के मीटर लगाए जा रहे हैं । इसी कड़ी में दादरी विधानसभा में भी मीटर लगाए जा रहे हैं और यहीं पर किसान नेताओं को राजनीति का एक नया मुद्दा मिल गया है।
इस पूरे प्रकरण पर स्थानीय विधायक का कहना है कि जब पूरे प्रदेश में मीटर के बिजली के मीटर लगाए जा रहे हैं तो क्या इस क्षेत्र के लिए अलग से कोई कानून बनेगा? दादरी भी उत्तर प्रदेश का हिस्सा है ऐसे में लोगों को बेवजह राजनीति की जगह सरकारी कार्य में सहयोग करना चाहिए।

मामला विधायक तक पहुंचा तो नया खेल हो गया क्योंकि जिसके यहां पुलिस ने बिजली चोरी की एफआईआर लिखवा दी है, वह विधायक का ही भांजा है । ऐसे में विधायक के पास जानकारी आते ही मामला और पेचीदा हो गया । विधायक ने किसान नेताओं पर अपने ही घर के सदस्य को बहला फुसलाकर उनके खिलाफ राजनीति करने के आरोप तक लगा दिया बाद में एनपीसीएल और पुलिस को बुलाकर मामले को हल करने की कोशिश विधायक द्वारा की जाने लगी और संभवतः मामले का समाधान भी होने लगा ।

किंतु इस सब में जातीय और पारिवारिक रिश्तों की साख दाव पर लग गई । जिसको लेकर आप सब कह रहे हैं कि क्या राजनीति में अब किसान नेता क्षेत्र में भाजपा नेताओं के परिवारों के मामले भी इतनी जोर-शोर से उठाएंगे कि उन्हें उसका जवाब देना मुश्किल हो जाएगा । क्या क्षेत्र में अब  किसान राजनीत और अन्य समस्याओं के बीच लक्ष्मण रेखा खींचने का समय आ गया है या फिर अभी कई ओर नए आयाम किसान राजनीति की आड़ में खींचे जाने बाकी है ।

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आशु भटनागर

आशु भटनागर बीते 15 वर्षो से राजनतिक विश्लेषक के तोर पर सक्रिय हैं साथ ही दिल्ली एनसीआर की स्थानीय राजनीति को कवर करते रहे है I वर्तमान मे एनसीआर खबर के संपादक है I उनको आप एनसीआर खबर के prime time पर भी चर्चा मे सुन सकते है I Twitter : https://twitter.com/ashubhatnaagar हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I एनसीआर खबर पर समाचार और विज्ञापन के लिए हमे संपर्क करे । हमारे लेख/समाचार ऐसे ही सीधे आपके व्हाट्सएप पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक मूल्य(501) हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये देकर उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे

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