क्या ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में सड़कों के बने का कार्य का सारा काम ठेकेदारों के भरोसे छोड़ दिया गया है ? क्या टेंडर अलॉट होने के बाद सड़कों के बने की कोई समय सीमा होती है या फिर उनके कथित तौर पर कंप्लीट होने में ही 6 महीने तक लग जाते हैं ?
दरअसल इन दोनों प्रश्नों के उत्तर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों से इसलिए अपेक्षित हो रहे हैं क्योंकि इन दिनों ग्रेटर नोएडा वेस्ट में सड़कों के बनने का इंतजार इतना लंबा हो जाता है कि जब तक वह बनकर आती हैं तब उनकी क्वालिटी और डाइमेंशन को लेकर लोग सवाल उठाने तक से घबराते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि कहीं ऐसा ना हो कि उनकी क्वालिटी चेक के चक्कर में आगे जाकर कोई काम ही ना हो पाए ।

मामला ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर 1 में बीते 5 महीने से बन रही लगभग 3 किलोमीटर सड़क के टुकड़े का है । ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर 1 में ऐस डिवेनो से लेकर एआईजी रॉयल के बीच के तीन किलोमीटर के सड़क के हिस्से के निर्माण के लिए लोगों ने पूरे जतन लगा लिए तब जाकर यह सड़क बन पाई है । जिसमें आधा हिस्सा दिसंबर में ग्रेप लगने से पहले बना था। बचे हुए हिस्से की सड़क बनने का नंबर जब तक आया तब तक पहकी सड़क टूटने शुरू हो गई थी, उसमें जगह जगह गढ्ढे हो गए थे। किंतु अब जब यह सड़क जैसे तैसे बंद कर तैयार हुई तो यहां इस सड़क के डाइमेंशन को लेकर तमाम चर्चाएं हो रही है लोगों ने आरोप लगाया है कि ठेकेदार ने जैसे तैसे करके सड़क की पहली लेयर डाल दी है और अब इससे आगे उम्मीदें कम है ।

ठेकेदार की सड़क का निरीक्षण कर रहे अधिकारियों को भी यह नहीं समझ में आया कि जहां सड़क के बीच बिजली के खंभे का कटा हिस्सा आ रहा था, सड़क उससे घुमा दी गई । बजाय इसके कि उस खंबे के टुकड़े को दबाया जाता ।
ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है कि क्या ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में बनने वाली सड़कों को ठेकेदार प्राधिकरण में सीनियर मैनेजर के पास बैठकर पास करवा ले रहे हैं अधिकारियों द्वारा सड़कों के निरीक्षण नहीं किया जा रहे हैं और क्या सड़कों की सिंगल लेयर निर्माण को ही पूर्ण सड़क निर्माण मान लिया जा रहा है ।
प्रश्न यह भी है कि आखिर इन सड़कों के निर्माण और कंप्लीट होने के प्रमाण पत्र ऑफिस से ठेकेदार को देने वाले अधिकारियों के खिलाफ प्राधिकरण क्या कार्रवाई करेगा ?