आशु भटनागर । प्रीति गुप्ता वापस आ गई है, वो फिर से फ्लैट मालिकों को परेशान कर रही है, वो माफिया(?) बनने की कोशिश कर रही है जैसे बयान सोशल मीडिया ओर कुछ कपितय मीडिया में आने के बाद ये प्रश्न खड़ा हो गया है कि ग्रेटर नोएडा में बीते 3 वर्षों से कथित तौर पर फ्लैट कब्जाने के आरोप वाली महिला प्रीति गुप्ता क्या वाकई एक माफिया है, झगड़ालू औरत है या फिर व्यवस्था के कुछ चतुर नेताओं और प्रॉपर्टी डीलरों की शिकार एक अबला किंतु व्यथित ओर बदतमीज हो चुकी बेबस कमजोर महिला !
सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग के इस दौर में यह भी एक कड़वा सच है कि व्यवस्था के बीच अगर किसी महिला या पुरुष को कुछ लोग ट्रोलिंग का शिकार बना लें तो उसकी मानसिक हालत ऐसी ही हो सकती है । अगर एक पूरा सिंडिकेट सोशल मीडिया पर किसी की बदनामी करके शहर में उसके रहने से लेकर उसके जीविकोपार्जन की संभावनाओं को भी समाप्त करने की मुहिम दे तो उसका ऐसा होना स्वाभाविक है । क्या ऐसी महिला के साथ समाज को नफरत की जगह सिर्फ सहानुभूति की आवश्यकता है या फिर कुछ लोगों के प्रोपेगेंडा के शिकार इस महिला के लिए सामाजिक और आर्थिक पुनर्स्थापना की भी आवश्यकता है
इससे पहले कि हम यह चर्चा करें कि “बीते 3 वर्षों में प्रीति गुप्ता ने कितने फ्लैट कब्ज़ा किए हैं या फिर क्या वाकई ग्रेटर नोएडा की हाईराइज सोसाइटी में फ्लैट कब्जाना इतना आसान है” उससे पहले यह समझते है कि प्रीति गुप्ता श्री राधा स्काई गार्डन जिस फ्लैट के कारण 3 वर्ष पूर्व चर्चा में आई, आज उस फ्लैट के हालात क्या है?
एनसीआर खबर को मिली जानकारी के अनुसार श्री राधा स्काई गार्डन के जिस फ्लैट से प्रीति गुप्ता पर फ्लैट कब्जाने के आरोप के प्रोपेगेंडा शुरू किए गए । जिस फ्लैट को खाली करने के लिए बेंगलुरु से उसके मकान मालिक और मालकिन के अपने सामान के साथ लॉबी में बैठे होने के नाम पर कुछ चतुर लोग दावे कर कर इस महिला को बदनाम करते रहे वह फ्लैट अब बंद पड़ा है।
श्री राधा स्काई गार्डन के निवासियों के अनुसार फ्लैट खाली होने के एक हफ्ते बाद ही फ्लैट के मालिक वापस बैंगलोर चले गए । और उसके बाद बीते 3 वर्षों में प्रीति गुप्ता को कई फ्लैट से इसी तरीके से सोसाइटी में बदनाम करके हटाए जाने के बाद ताजा मामला सेम उसी पिच पर मकान मालिकों को बुजुर्ग पीड़ित दिखाकर उसे 11 महीने से पहले ही परेशान कर निकाले जाने की मुहीम सोशल मीडिया और निराला एस्टेट सोसाइटी में सामने आ रही है ।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में X पूर्व में ट्विटर पर छोटी-छोटी बातों को लेकर प्रोपेगेंडा और ट्रोलिंग कोई नई बात नहीं है। ऐसे तमाम किस्से हैं जब लोगों के छोटे विवादों को ट्विटर पर डालकर बहुत बड़ा बनाने की कोशिश की या फिर पीड़ित को ही आरोपित बताने की कोशिश की गई है । ग्रेटर नोएडा वेस्ट की हिमालय प्राइड सोसाइटी में कुछ चतुर लोगों द्वारा सत्ता के संरक्षण में एक व्यक्ति को पीटने के बाद पुलिस के साथ मिलकर उसी को आरोपित बनाकर उसके खिलाफ एफआईआर लिखवा दी गई जबकि पीड़ित उस रात पुलिस और समाज के लोगों को फोन करके आरोपितों से अपनी जान बचाने की गुहार लगा रहा था । निश्चित तौर पर भीड़ का न्याय हमेशा सच के आधार पर हो एक कहा नहीं जा सकता और सोशल मीडिया पर चल रही मुहिम हमेशा सच ही बताएं यह भी संभव नहीं ।
ताजा समाचार ये है कि प्रीति गुप्ता को निराला स्टेट सोसाइटी के फ्लैट से उनके मकान मालिक और मालकिन को बुजुर्ग और ग्लूकोमा का पीड़ित बताकर मकान कब्जाने के आरोप लगाए जा रहे हैं। प्रीति गुप्ता पर आरोप है कि वह उनको बीते 2 महीने से किराया नहीं दे रही है किंतु इन सब के बीच जरूरी प्रश्नों के जवाब देने से सभी बच रहे हैं कोई यह नहीं बता रहा है कि 11 महीने के एग्रीमेंट के बीच अचानक ऐसा कैसे हुआ कि रोहणी में रहने वाले गुल्कोमा के मरीज मकान मालिकअपनी बीमार मां को यहाँ ग्रेटर नॉएडा में 70 किलोमीटर दूर रखने के नाम पर उन्हें फ्लैट खाली करने के लिए कहने लगे । इससे भी ज्यादा दुखद तथ्य यह है कि सोशल मीडिया पर वायरल विडियो के अनुसार कथित तौर पर बुजुर्ग और बीमार फ्लैट ओनर जिस मां की बीमारी के लिए इस फ्लैट को खाली करने का नोटिस दे रहे थे उनकी मृत्यु के बाद उनके अस्थि विसर्जन को प्राथमिकता में रखने की जगह पहले यहां पर खड़े होकर एक मूर्ति चौक पर आंदोलन की तैयारी करने लगे । ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है कि इस पूरे खेल के पीछे प्रीति गुप्ता वाकई आरोपित हैं या फिर प्रीति गुप्ता को इस शहर से हटाने के लिए कोई एक ऐसा सिंडिकेट एक राजनीतिक तंत्र काम कर रहा है जो लगातार प्रीति गुप्ता की बदनामी कर उसकी सोसाइटी और मकान मालिकों को भड़का कर उसे बार-बार निकलने पर विवश कर रहा है ।
सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में कथित तौर पर पीड़ित मकान मालकिन का बयान भी वायरल हुआ जिसमें मकान मालकिन के अनुसार मकान खाली करने के लिए कुछ समय मांगने वाली प्रीति गुप्ता ने मकान बदलने के क्रम में बड़े खर्च की बात कही (जो कुछ हद तक सही भी है कि किसी भी किरायेदार के लिए मकान बदलने में एक बड़ा खर्च होता है ऐसे में 11 महीने की जगह अगर कोई मकान मालिक पांच या सात महीने में खाली करने की बात कहने लगे तो उसे सब का बजट बिगड़ता है) तो वह बेहद रूखे तरीके से कहती नजर आ रही हैं कि हमने क्या उसका ठेका ले लिया है या उसके पैसे का इंतजाम भी हम करें।
एनसीआर खबर वायरल वीडियो के सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करता
एनसीआर खबर को मिली जानकारी के अनुसार इस पूरे केस में लगातार मकान से बदनामी के कारण निकल जाने वाले आरोपी की प्रतिक्रिया में प्रीति गुप्ता अब इस हद तक एग्रेसिव हो चुकी है कि निराला स्टेट सोसाइटी में उसके घर के बिजली काटे जाने के बाद मेंटेनेंस लॉबी में बने शीशे को तोड़े जाने के परिणाम के रूप में सामने आया । वायरल वीडियो में प्रीति गुप्ता के दरवाजा तोड़ने की कहानी तो दिखाई देती है किंतु उससे पहले और उसके बाद की कहानी कोई नहीं बताता है कोई यह नहीं बताता है कि किसी एक महिला के शीशे के पैसों को मेंटेनेंस डिपार्टमेंट बिजली के बल के अकाउंट में से कैसे काट कर उसके घर की बिजली काट देता है । प्रीति गुप्ता पर लैपटॉप तोड़ने का आरोप है किंतु अभी तक यह स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी गई है कि लैपटॉप के ₹30000 की कीमत वसूलने वाले बिल्डर और उसके मेंटेनेंस डिपार्टमेंट ने क्या टूटा हुआ लैपटॉप प्रीति गुप्ता को सपुर्द किया या नहीं । या फिर लैपटॉप के टूटने की कीमत ₹30000 लेकर लैपटॉप को भी मेंटेनेंस डिपार्टमेंट अपने साथ रख रहा है । एनसीआर खबर में इस बात को लेकर मेंटिनेस मैनेजर के संपर्क पता करने की कोशिश की है किंतु अभी तक उसकी जानकारी नहीं मिल पाई है इस संबंध में अविनाश सिंह के बयान आने बाकी है । प्रश्न सोसाइटी के ही व्हाट्सएप ग्रुप में हो रही ट्रोलिंग के बाद 70 लोगो पर प्रीती गुप्ता की FIR पर भी है I
भीड़ किस तरीके से एक महिला के व्यवहार को एग्रेसिव बना सकती है इसका एक अन्य उदाहरण कुछ वर्ष पहले ग्रेटर नोएडा वेस्ट की इको विलेज 3 सोसाइटी में आया था जब रात्रि 10:00 बजे के बाद तेज आवाज में माता का जगराता कर रहे निवासियों को आवाज कम करने के लिए एक महिला पत्रकार अपने 5 वर्षीय बच्चे के साथ पहुंची तो भीड़ ने उसे महिला को ही इतना भला बुरा कहा कि बदहवासी में उसका बच्चा उसके हाथ से छूट गया । हैरानी की बात यह है कि अपने बच्चे का हाथ छूट जाने और लोगों के हमलावर होने की सूरत में उसे महिला ने जहां अपने बच्चे के लिए वीडियो में आवाज लगती दिख रही थी वही भीड़ की आड़ में कुछ चतुर और सत्ता से संरक्षण प्राप्त नेताओं ने उसके बच्चे का खेलता हुआ वीडियो दिखाकर यह साबित करने की कोशिश की कि वह महिला राष्ट्र ओर धर्म विरोधी थी । भीड़ के दबाव और अपने परिवार के साथ अनहोनी की आशंका में वह महिला कई दिनों तक उस ट्रॉमा में रही ऐसे में बड़ा प्रश्न यह भी है की महज एक इंसिडेंट के बाद अगर कोई महिला कई दिनों तक ट्रॉमा में रह सकती है तो जिस महिला के साथ 3 साल से कुछ चतुर लोग वही प्रक्रिया आपना रहे हैं उसे महिला के मानसिक स्थिति कैसी होगी ?
प्रश्न यह भी है कि हाई राइज सोसाइटी के रूप में क्या हम एक ऐसे ट्रोलिंग समाज में तब्दील हो चुके हैं जिसमें कुछ लोग सत्ता पक्ष के नेताओं के आशीर्वाद या उनके साथ कुछ फोटो दिखा,राष्ट्र प्रेम या फिर धर्म की आड़ में अक्सर किसी महिला या पुरुष को ट्रोलिंग का आधार बनाकर उसका जीवन संकट में डाल सकते हैं ।
इस लेख के आरंभ में हमने पूछा था कि प्रीति गुप्ता ने अब तक कितने फ्लैट कब्जाए हैं तो एनसीआर खबर को अभी तक की जांच में बीते 3 वर्ष में प्रीति गुप्ता द्वारा किसी भी फ्लैट को कब जाए जाने जैसी कोई जानकारी नहीं मिली है किंतु हर बार उसको फ्लैट कब्जाने के विवाद में फंसा कर, बदनाम कर सोसाइटियों से भगाने की कहानी जरूर दोहराई गई है, रोचक तथ्य यह भी है कि इस पूरे खेल में एक खास समूह पूरी तैयारी से कार्य करता है और उसे सोसाइटी से निकलने में सफल हो जाता हैं। श्री राधा स्काई सोसाइटी के लोगो का तो यहाँ तक दावा है तो यह समूह अक्सर विवादों में रहता है, भू माफियाओं और प्रॉपर्टी डीलरों के एक पूरे सिंडिकेट से जुड़ा है, साथ ही उसे सत्ता पक्ष का संरक्षण भी प्राप्त है ।
नोएडा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में फ्लैट ऑनर बिल्डर और प्राधिकरण के बीच त्रिस्तरीय एग्रीमेंट है और यह लीज पर है। ऐसे में दिल्ली गाजियाबाद में फ्री होल्ड जमीनों पर बनने वाले फ्लैट की तरह इनको किसी भी पक्ष द्वारा कब्जाना संभव ही नहीं है क्योंकि किसी भी फ्लैट की के मालिकाना हक के ट्रांसफर के लिए बिल्डर या फिर AOA और प्राधिकरण से NOC लेनी पड़ती है साथ ही उसके लिए जरूरी शुल्क भी जमा करना पड़ता है।
श्री राधा स्काई गार्डन के ही कई निवासियों में नाम न छापने की शर्त पर एनसीआर खबर से कहा कि वह प्रीति गुप्ता के खिलाफ चल रहे षड्यंत्र के विरोध सामने तो आना चाहते हैं किंतु वर्तमान में प्रीति गुप्ता की झगड़ालू इमेज और विवादों के कारण वह पीछे हट जाते हैं । क्योंकि व्यवस्था और षड्यंत्र का शिकार होंने के बाबजूद प्रीति गुप्ता का अपना अग्रेसिव व्यवहार उसका समर्थन करने वालों के लिए असहज स्थिति उत्पन्न कर सकता है । अगर प्रीती गुप्ता अपने उग्र हो चुके वयवहार को सही करे तो उसे बदनाम करने वालो के खिलाफ कई लोग खड़े हो सकते है I
ऐसे में क्या समाज को प्रीति गुप्ता को धिक्कारने की जगह उसको अपने मौका देकर समाज की मूल धारा में लौटने का सहयोग नहीं करना चाहिए ? देश का संविधान अपराधियों को भी सजा के बाद समाज की मुख्य धारा में वापस लाने की बात करता है, तब ऐसे में एक ऐसी महिला जो सिर्फ कुछ चतुर नेताओं और प्रॉपर्टी डीलरों के प्रोपेगेंडा का शिकार हो चुकी हो उसको यह मौका देना आवश्यक है या फिर समाज फिर से एक नई फूलन देवी को बनाने का अपराध करेगा ये समाज को ही सोचना है ।
