आशु भटनागर । गौतम बुध नगर में कर्मठ पुलिस, जिला अधिकारी और आबकारी विभाग के लगातार कार्यवाहियों के बावजूद यहां की शराब की दुकानों पर ओवररेटिंग की शिकायतें कम नहीं होती है। पुलिस छापे मारती रहती है आबकारी विभाग गोपनीय टेस्ट करता रहता है और ग्राहकों से ठेकों पर प्रति बोतल ₹10 से ₹20 ले लिए जाते रहते हैं। इतनी बड़ी नाकामी के बावजूद पुलिस कमिश्नरेट, जिला अधिकारी और आबकारी विभाग जिले में शराब को लेकर अपनी पीठ थपथपाता रहता है । लोगों का दावा है कि इस ओवर रेटिंग में आबकारी विभाग के कर्मचारी पुलिस और स्थानीय नेताओं से लेकर कथित तौर पर संरक्षण दे रहे पत्रकारों तक के हिस्से शामिल है । इसीलिए यह बातें मीडिया पर एक या दो दिन की कहानी बनकर रह जाती है ।
2007 में मायावती सरकार के समय आरम्भ हुई १० रूपए प्रति बोतल की ओवररेटिंग को तब सत्ता पक्ष का खुले आम संरक्षण प्राप्त था । सरकारे बदलती गयी किन्तु अब भाजपा सरकार में भी वही प्रथा चल रही है । पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह, जिला अधिकारी मनीष वर्मा और आबकारी अधिकारी सुबोध कुमार इस पर इस अघोषित वसूली पर नाकाम साबित हो रहे है ।
गौतम बुध नगर में इन तीनों ही विभागों की कर्तव्य निष्ठा की पराकाष्ठा यह है यह हैं कि अपनी जान पर खेल कर अगर कोई ग्राहक ओवररेटिंग होने के किसी प्रकरण का वीडियो शूट करके सोशल मीडिया पर डाल देता है तो शराब माफिया से जुड़े व्यक्ति को उस ट्वीट को दबाव से डरा कर धमका कर डिलीट करने की कोशिश करने लगते हैं या फिर व्हिसल ब्लोअर को ही बदनाम करने के लिए उसे पर तमाम आरोप लगाना शुरू कर देते हैं । इस पूरे प्रकरण में शराब माफिया के साथ हाशिए पर जा चुके ओर इनसे जुड़े कई कथित पत्रकार भी शामिल रहते हैं ।


ताजा प्रकरण मामूरा के पास किसी ठेके के वायरल हुए वीडियो का है । इस वीडियो के आने के बाद एक बार फिर से जहां एक और जनता ने जिले में कई जगह हो रही ओवर रेटिंग की शिकायतें बताई तो शराब माफिया के ही लोग फर्जी अकाउंट बनाकर ट्वीट करने वालों पर 10 से 15000 रुपए लेकर ट्वीट डिलीट करने की बातें लिखने लगे किंतु कानूनी तौर पर पुलिस और आबकारी विभाग इस पर शांत बैठा है जबकि अपराध करने वाले स्वयं 10 से 15000 रुपए देकर ट्वीट डिलीट करने की बात कह कर यह स्वीकार कर रहे हैं कि शराब की ओवर रेटिंग के वीडियो सही है और शराब माफिया लोगों पर दबाव या लालच देकर उसको डिलीट करने में लगे हैं । ऐसे में जिले की पुलिस जिला अधिकारी और आबकारी विभाग कोई यह सब क्यों नहीं दिखाई देता है यह किसी से छुपा नहीं है ।
क्षेत्र में चर्चा है कि दरअसल पुलिस और आबकारी विभाग के निचले अधिकारी शराब माफियाओं के साथ मिली भगत करके ही ये पूरे सिंडिकेट चलते हैं और जब भी किसी तरीके की कोई गोपनीय टेस्ट या पुलिस की रेड होने की बातें आती है तो अपराधियों को पहले ही पता चल जाता है । रोचक तथ्य यह है कि इसमें स्थानीय माफियाओं के साथ-साथ सत्ता पक्ष के ही स्थानीय ओर विपक्ष के नेताओं की पूरी भागीदारी रहती है ।
गौतम बुद्ध नगर में शराब की लाइसेंसिंग के पीछे कितनी भी पारदर्शिता की बातें कर ली जाए किंतु अंत में वह सब चंद बड़े नामो और ग्रुपों और शराब माफियाओं से जाकर जुड़ जाते हैं । हैरानी की बात यह है कि बीते 5 सालों से लगातार ओवर रेटिंग की शिकायत करने के बावजूद आबकारी विभाग ने आज तक ऐसा कोई विवरण नहीं दिया है जब ऐसे ठेकों को ब्लैक लिस्ट किया गया हो । क्योंकि खेल वही है की शराब के माफिया ऐसे वीडियो और ट्वीट्स को डरा कर धमका कर डिलीट कर देते हैं और पुलिस प्रशासन और आबकारी विभाग शांति से बैठ जाते है ।

जबकि अगर कहीं पर भी किसी भी फर्जी ट्वीट्स के साथ कोई भी व्यक्ति इस बात को स्वीकार कर रहा है कि उसने लालच या दबाव से ट्वीट्स और वीडियो डिलीट कराए हैं तो आबकारी विभाग का ये कर्तव्य हैं कि वो पुलिस के साथ मिलकर उसकी पहचान करके उनको जेल पहुंचाये। साथ ही सोशल मीडिया पर फर्जी दावों में आईटी एक्ट की धारा का इस्तेमाल जरूरी है जिससे लोगों में भ्रम ना फैले ।
प्रश्न ये भी है कि क्या नोएडा पुलिस के उच्च अधिकारी अपने मातहत अधिकारियों से कभी यह पूछते भी नहीं है कि जिले में ओवर रेटिंग पर क्या कार्यवाही हुई है, कितनी कार्यवाही हुई है ? आखिर जनता की लगातार शिकायतों के बावजूद पुलिस और आबकारी विभाग के गोपनीय टेस्ट इसमें फेल क्यों हो रहे हैं ।
गौतम बुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट की कमिश्नर लक्ष्मी सिंह को ये सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता है कि वह क्षेत्र में हो रहे, स्क्रैप, ड्रग्स, भू माफिया के रैकेट को खत्म करने के साथ-साथ शराब के चल रहे सिंडिकेट पर भी लगाम लगाये ।
इस पूरे प्रकरण पर प्रश्न नोएडा पुलिस कमिश्नरेट पर भी उठते हैं जो लगातार अपराध को कम करने के दावे के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में नंबर वन पर भी बना हुआ है प्रश्न यह है कि अगर उत्तर प्रदेश में नंबर वन कमिश्नरेट होने के बावजूद इस जिले की आम जनता प्रति बोतल 10 से 20 रुपए अधिक देने पर मजबूर है तो ऐसे राम राज्य की आवश्यकता किसे है ।
प्रश्न मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनके आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल पर भी है जो लगातार उत्तर प्रदेश में पॉलिसी अपग्रेड पर लगे हुए हैं किंतु दिल्ली की तरह आज तक बिलिंग को सही नहीं कर पाए है । जानकारों का दावा है कि दिल्ली और अन्य प्रदेशों के मुकाबले उत्तर प्रदेश में बिलिंग को लेकर फिर जानबूझकर इसमें कुछ ऐसे लूप होल छोड़ दिए गए हैं जिससे ओवर रेटिंग चलती रहे और नेताओं तक उसका हिस्सा पहुंचता रहे ।




