आशु भटनागर । 5 माह की प्रतीक्षा के बाद आखिरकार भाजपा ने गौतम बुद्ध नगर जिलाध्यक्ष पद पर अभिषेक शर्मा के नाम पर मोहर लगा दी । जिसके बाद दादरी समेत पूरे जिले के ब्राह्मण समुदाय में खुशी की लहर दौड़ गई। गौतम बुध नगर के इतिहास में शिवओम शर्मा और श्रीचंद शर्मा के बाद अभिषेक शर्मा तीसरे ब्राह्मण जिला अध्यक्ष बनाए गए हैं । कहा जा रहा है कि डॉक्टर महेश शर्मा अभिषेक शर्मा की जीत के लिए इतने निश्चिंत थे कि उन्होंने जिला कार्यालय पर आकर बैठने की जगह अभिषेक शर्मा के स्वागत की तैयारी अपने कार्यकर्ताओ के साथ शुरू करवा दी । सूत्रों के अनुसार साकीपुर स्थित फार्म हाउस पर सभी कार्यकर्ता तैयार थे और घोषणा होते ही सभी लोग तिलपता कार्यालय पहुंच गए।
गजेंद्र मावी से कड़ी टक्कर में किस तरीके से अभिषेक शर्मा ने बाजी मारी इसको लेकर जिले में 5 प्रमुख कारणों की चर्चाएं चल रही हैं और वह पांचो कारण हम आपको बता रहे हैं

अभिषेक शर्मा का RSS बैकग्राउंड
उत्तर प्रदेश में इस बार जिला अध्यक्षों के चयन में संघ के कार्यकर्ताओं को प्रमुखता देने का मुद्दा छाया हुआ था और गौतम बुध नगर के जिला अध्यक्ष बने अभिषेक शर्मा की पारिवारिक पृष्ठभूमि राष्ट्रीय सेवक संघ से रही है उनके दादा डॉक्टर ओम प्रकाश शर्मा दादरी में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जिला संघसंचालक रहे हैं । उनके पिता डॉ राजेश्वर दत्त शर्मा भी दादरी नगर के संघसंचालक रहे हैं । तीसरी पीढ़ी में अभिषेक शर्मा परिवार की ही परंपरा को आगे बढ़ते हुए संघ और भाजपा से जुड़ गए । और 1998 में ही आरएसएस की प्राथमिक शिक्षा प्रशिक्षण वर्ग पूरा किया । अभिषेक विद्यार्थी जीवन में 2002 से लेकर 2006 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे और उसमें जिला प्रमुख, विभाग प्रमुख ओर फिर प्रदेश कार्यकारणी सदस्य के तौर पर दायित्व निभाया । 2006 में भाजपा युवा मोर्चा में जिला मंत्री का दायित्व भी निभाया। अभिषेक शर्मा के इसी बायोडाटा के सापेक्ष भाजपा के अन्य दावेदारों का टिकना मुश्किल हो गया ।
सांसद डा महेश शर्मा का अभिषेक शर्मा पर भरोसा

2011 में भारतीय जनता पार्टी की प्रमुख कार्यकारिणी में अपनी यात्रा शुरू करने के साथ ही अभिषेक शर्मा 2012 के चुनाव में डॉक्टर महेश शर्मा के साथ जुड़ गए जैसे-जैसे महेश शर्मा को गौतम बुद्ध नगर की राजनीति में सफलता मिलती गई वैसे-वैसे अभिषेक शर्मा का संबंध डॉक्टर महेश शर्मा के साथ प्रगाढ़ होता गया । अभिषेक ने वर्ष 2012 में नोएडा विधानसभा चुनाव में डॉक्टर महेश शर्मा के लिए जबरदस्त कार्य किया यह सिलसिला 2014 के लोकसभा चुनाव 2017 के नोएडा और दादरी के विधानसभा चुनाव फिर 2019 के लोकसभा चुनाव के से होते हुए 2024 के लोकसभा चुनाव तक लगातार बना रहा । ऐसे में अभिषेक शर्मा की डॉ महेश शर्मा के लिए प्रतिबद्धता की निरंतरता ने डॉ महेश शर्मा के भरोसे को इस हद तक मजबूती दी कि डॉक्टर महेश शर्मा भी इस बार उनके लिए बी एल संतोष के पास जाकर बैठ गए ।
विवादों से दूर रहना बना अभिषेक शर्मा के लिए मौका
राजनीति में विवादित चेहरे पर दांव खेलने से राजनीतिक दल बचते हैं । अभिषेक शर्मा के परिवार का आरएसएस बैकग्राउंड होने के बावजूद वो विवाद में नहीं रहे । पूर्व अध्यक्ष विजय भाटी के हटने के बाद अभिषेक शर्मा के लिए डा महेश शर्मा के तमाम प्रयासों के बावजूद सतेंद्र सिसोदिया ने गजेंद्र मावी को अध्यक्ष बनवा दिया तब भी अभिषेक शर्मा ने किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी । अभिषेक फिर भी पार्टी और डॉक्टर महेश शर्मा के लिए उसी तनमयता से कार्य करते रहे । ऐसे में 2024 में एक बार फिर से जिला अध्यक्ष के लिए उनका नाम गया तो विवादों से दूर रहने के कारण उनके नाम पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को कोई परेशानी नहीं हुई ।

बीते 3 बार से गुर्जर समुदाय से ही जिलाध्यक्ष होना
उत्तर प्रदेश में जिला अध्यक्षों के चयन से पहले शासन ने शीर्ष नेतृत्व ने इस बार नामांकन के साथ-साथ पूर्व दो जिला अध्यक्षों के नाम भी मांगे थे । दरअसल पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इस बार प्रत्याशियों के दावेदारी के साथ-साथ यह भी जानना चाहता था कि हर जिले में लगातार किस जाति से जिला अध्यक्ष चुने जा रहे हैं। हिंदुत्व की धार को तेज करने के लिए यह आवश्यक था कि जातियों की निरंतरता को तोड़ा जाए और उनकी जगह वैकल्पिक जाति को प्रमुखता दी जाए । गौतम बुद्ध नगर में बीते तीन बार से गुर्जर समुदाय से जिला अध्यक्ष बनाए जा रहे थे गजेंद्र मावी से पहले दो बार विजय भाटी जिला अध्यक्ष रहे । उससे पहले क्षत्रिय समुदाय से भी अध्यक्ष बने थे। ऐसे में तीन बार गुर्जर समुदाय से जिला अध्यक्ष होने के बाद ब्राह्मण समुदाय से दावेदारी कर रहे अभिषेक शर्मा के लिए राह आसान हो गई ।
डॉ महेश शर्मा, नरेंद्र भाटी, तेजपाल नागर के सामने सुरेंद्र नागर, धीरेंद्र सिंह, सतेंद्र सिसौदिया की कमजोर स्थिति
यह सर्वविदित है कि जिले में नवाब सिंह नागर की राजनीति को पस्त करके डॉक्टर महेश शर्मा ने तेजी से संगठन और भाजपा में अपनी पकड़ मजबूत की। भाजपा के विस्तार के साथ ही महेश शर्मा ने दादरी में बसपा से तेजपाल नागर और जेवर में कांग्रेस से धीरेंद्र सिंह को साध लिया। विस्तार और हुआ तो नरेंद्र भाटी और कभी डॉ महेश शर्मा को हराने वाले सुरेंद्र सिंह नागर भी समाजवादी पार्टी छोड़कर भाजपा में आ गए । किंतु जब जिले की राजनीति के सभी चेहरे भाजपा में आए तो वो सभी डॉ महेश शर्मा को हटाकर स्वयं इस सीट से लोकसभा की दावेदारी के सपने भी देखने लगे । इनमें सबसे पहले धीरेंद्र सिंह ने बगावत की और कहा जाता है उसमें सुरेंद्र सिंह नागर, सतेंद्र सिसौदिया ने साथ दिया । विजय भाटी के जिला अध्यक्ष से हटाने के बाद सत्येंद्र सिसोदिया धीरेंद्र सिंह सुरेंद्र सिंह नागर ने एक साथ आकर डॉ महेश शर्मा के सामने गजेंद्र मावी को अध्यक्ष बनवा दिया ।
2024 में लोकसभा चुनाव के समय टिकट की दावेदारी को लेकर चले संघर्ष में सबके चेहरे सामने आ गए फिर भी टिकट डॉक्टर महेश शर्मा को ही मिला ओर 2024 में मिली प्रदेश भर में सबसे बड़ी जीत के बाद तीनों ही नेताओं की स्थिति फिलहाल पार्टी में कमजोर होती गई। ऐसे में डॉ महेश शर्मा की पैरोंकारी अभिषेक शर्मा के लिए वरदान बन गई और उनको अध्यक्ष बना दिया गया।