रविवार को ग्रेटर नोएडा वेस्ट में सामाजिक संगठन नेफोवा फाउंडेशन द्वारा आयोजित ग्रुप 108-10k मैराथन (Group 108-10k Marathon) हनुमान मंदिर गोल चक्कर से शुरू होकर गैलेक्सी वेगा गोल चक्कर तक के लिंक रोड पर क्रमशः 3 किमी, 5 किमी एवं 10 किमी के प्रारूप में आयोजित की गई। मैराथन दौड़ में हजारों की संख्या में स्थानीय एवं अलग-अलग शहरों से आए प्रतियोगियों ने हिस्सा लिया तथा इस आयोजन को सफल बनाने में योगदान प्रदान किया।
मुख्य अतिथि रही ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की एसीईओ प्रेरणा सिंह ने विजेता धावकों को मेडल एवं पुरस्कार देकर सम्मानित किया तथा लोगों को स्वस्थ जीवन शैली अपनाने तथा प्रतिदिन व्यायाम करने के लिए जागरूक किया। कार्यक्रम में ग्रुप 108 के निदेशक अमीश भूटानी, शहर के बाल रोग चिकित्सक डॉ. अमित कपूर, ऑर्थोपेडिक डॉ. अभिषेक भी उपस्थित रहे।
नेफोवा फाउंडेशन अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने बताया कि पहली बार आयोजित मैराथन का प्रमुख उद्देश्य स्वास्थ्य को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाना एवं स्वस्थ जीवन शैली के लिए प्रेरित करना था जिसमें हम लोग काफी हद तक सफल रहे। हालांकि शुरुआती दौर में इस आयोजन को 60 मी रोड पर करने का प्रस्ताव था, परंतु ट्रैफिक पुलिस द्वारा अपनी जिम्मेदारियां के निर्वहन में अक्षम होने के कारण उक्त रोड पर परमिशन नहीं मिल पाई जिसके पश्चात इस रोड का चयन किया गया था।
नोएडा ट्रैफिक पुलिस को दिल्ली ट्रैफ़िक पुलिस से सीखने की ज़रूरत – ट्रैफिक पुलिस के असहयोग पर बोली नेफोवा
कार्यक्रम का आयोजन के बाद नेफोवा फाउंडेशन के अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने स्थानीय ट्रैफिक अधिकारियों पर आयोजन में सहयोग न करने के आरोप लगाते हुए कहा कि पहली बार ग्रेटर नोएडा वेस्ट में भव्य 10 किमी दौड़ का आयोजन किया गया, लेकिन निराशा ये रही की ये आयोजन एक टूटी एवं असुरक्षित सड़क (बगल मे खुला नाला) पर किया गया जिस कारण कई सारे धावक घायल हुए। आज के दौड़ में नोएडा, गुड़गांव, दिल्ली, गाजियाबाद, फरीदाबाद कानपुर से धावक आए थे। वो ऐसी सड़क पर दौड़कर क्या मेसेज लेकर गए होंगे?
उन्होंने सर्वे करने आए ट्रैफिक इंस्पेक्टर पर भी आरोप लगाते हुए कहा उन्होंने ट्रैफिक डिपार्टमेंट की जिम्मेदारियो की निर्वहन की चुनौती से बचने के लिए 60मीटर वाली मेन रोड की सीधी सड़क 2.5km देने से मना कर दिया। जबकि रविवार को स्कूल एवं कार्यालयों में रविवार के दिन छुट्टी होती है और प्रातः काल सुबह 6:00 से 7:30 बजे के बीच में ट्रैफिक मूवमेंट न के बराबर होता है।
दिल्ली में हर हफ्ते कहीं ना कहीं मैराथन आयोजित होते रहता है, जहाँ ट्रैफिक पुलिस की सबसे बड़ी भूमिका रहती है उन सभी दौड़ प्रतियोगिताओं को सफल बनाने में जो की मुख्य मार्ग पर ही होती रहती है। पुलिस कमिश्नर श्रीमती लक्ष्मी सिंह जी से ही निवेदन होगा कि कृपया ट्रैफिक डिपार्टमेंट के अधिकारियों को थोड़ा जागरूक बनाएं जिससे भविष्य में इस तरह की दिक्कतो का सामना न करना पड़े।
अभिषेक कुमार, नेफोवा फाउंडेशन
मामला आगे बढ़ा तो ट्रैफिक पुलिस पर उच्च अधिकारियों को मैराथन के प्रतिभागियों की संख्या को लेकर भी गलत जानकारी देने के आरोप भी नेफोवा अध्यक्ष ने लगाए हैं । उन्होंने कहा कि ट्रैफिक पुलिस द्वारा सीनियर अधिकारियों को भ्रमित करने के लिए यह बताया जा रहा है कि सिर्फ 100 के करीब में लोग इस दौड में शामिल हुए थे। जबकि तीन वर्ग [10k/5k/3k ] के लिए कुछ कुछ समय के अंतराल पर लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए रवाना किया गया था, जिसको वीडियो में भी देखा जा सकता है।
पूरे प्रकरण पर ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों ने सभी बातों को नकारते हुए एनसीआर खबर से सिर्फ इतना कहा कि कार्यक्रम के लिए परमीशंस जोनवॉइस दी जाती है। ट्रैफिक पुलिस का काम इसके लिए व्यवस्थाएं करना होता है और वो की गयी । यद्यपि 60 मीटर पर परमिशन न देने को लेकर एक तथ्य यह भी कहा गया कि ये मैराथन पहली बार आयोजित की जा रही थी इसलिए कोई नई परंपरा ना शुरू हो इसके लिए उसे मुख्य मार्ग से अलग किया गया ।