गौतम बुध नगर में नई शराब नीति के बाद ई नीलामी से आवंटित हुए ठेकों के व्यवस्थापन को लेकर जिला आबकारी अधिकारी सुबोध कुमार एक्शन में है । इसके लिए वह नोएडा ओर ग्रेटर नोएडा में प्राधिकरण से मिलकर नए ठेकों के व्यवस्थापन में आ रही परेशानियों को दूर करने में भी लगे है । एनसीआर खबर को मिली जानकारी के अनुसार अब बस दर्जन भर ठेकों के व्यवस्थापन में समस्या रह गई है।
इस बार पूरे उत्तर प्रदेश में शराब के ठेकों में एक साथ बड़े सिंडिकेट को तोड़कर लोगों को व्यक्तिगत तौर पर ठेके दिए गए हैं । इसलिए शहर में नए शराब विक्रेताओं को कई तरीके की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है इसमें पुरानी दुकानों में किराए से लेकर दुकान न देने तक के खेल शामिल है । जिसके चलते स्वयं जिला आबकारी अधिकारी को शराब विक्रेताओं की परेशानी को देखते हुए मैदान में उतरना पड़ा।
दरअसल उत्तर प्रदेश की नई शराब पॉलिसी में प्राधिकरण को निर्देश दिए गए थे कि वह ठेकों की व्यवस्थापन के लिए भूमि उपलब्ध कराने में सहयोग करेंगे । इसी को लेकर दो दिन पहले जिला आबकारी अधिकारी नोएडा प्राधिकरण में ठेकों की व्यवस्थापन में आ रही समस्याओं को लेकर भी मिले और नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों से समस्याओं को के समाधान को सुनिश्चित करने को कहा है। ताकि नोएडा के शहरी क्षेत्र में शराब के ठेकों के खुलने में आ रही समस्याओं को जल्द सुलझ कर व्यवस्थापन की प्रक्रिया पूरी की जा सके।
आपको बता दें इस बार की नई शराब पॉलिसी के अंतर्गत लगभग 20 वर्षों के बाद सरकार ने फिर से बीयर और शराब के ठेकों को एक साथ लाकर कंपोजिट शराब की दुकान बना दी हैं। इन शराब की दुकानों के लिए मिनिमम 300 स्क्वायर फीट की जगह की आवश्यकता सुनिश्चित की गई है । नई शराब पॉलिसी में कंपोजिट दुकान मालिक अगर 300 स्क्वायर फीट से की जगह 400 या उससे ज्यादा जगह हासिल कर सकता है तो उसे इस मॉडल शॉप में परिवर्तित करने का विकल्प भी दिया गया ।
शराब के नए ठेकों की जगह को लेकर पुराने सिंडिकेट, ब्लैकमेलरों ने छेड़ी मुहिम!
जिले भर में शराब के नए ठेकों को खुलने के बाद जहां एक और शासन ठेकों के व्यवस्थापन को सुनिश्चित करने के लिए लगा हुआ है वही लगभग 6 साल के बाद आए नए लोगों को परेशान करने या ब्लैकमेल करने का भी एक नया दौर शुरू हो गया है । जानकारी के अनुसार जहां-जहां ठेके खोले जा रहे हैं उनके आसपास तमाम तरीके के कारण बता ठेकों को खोले जाने के विरोध का ढोंग भी आरंभ हो गए हैं । शराब के ठेकों के इस तरीके के विरोध पर शहर के पुराने समाजसेवी ने कहा कि यह कोई पहली बार नहीं हो रहा है जब भी नए लोगों के द्वारा ठेके खोले जाते हैं तब शहर में मौजूद सिंडिकेट नई शराब व्यवसाईयों को अपने सिंडिकेट में समर्पण करने के लिए ऐसे तरीके अपनाते हैं वहीं कुछ लोग इन ठेकों से अपनी शराब पक्की करने के लिए मंदिर,,मस्जिद, स्कूल या सोसाइटी की आड़ लेकर इनको बंद करने के विरोध का खेल खेलते रहते हैं।
हैरानी की बात यह है कि शराब के ठेकों का विरोध करने वाले लोग स्वयं शराब पीने के आदी होते हैं । बमुश्किल एक प्रतिशत मामलों में ही ऐसा होता है कि शराब के ठेकों का विरोध करने वाले लोग शराब ना पीते हो ।