गौतम बुध नगर जिले मे बढ़ते शहरीकरण के बीच जहां एक और बेहतर लाइफस्टाइल को जीने के लिए लोग सोसाइटियों में शिफ्ट हो रहे हैं वहीं अब सोसाइटी में कई मामलों में लेकर निवासियों में अंतर विरोध भी सामने आने लगे है।
ताजा मामला जिले के ग्रेटर नोएडा वेस्ट के ला रेजिडेंशिया मार्केट में खुली शराब के दुकान के विरोध का है । सोसाइटी के बिल्कुल बाहर की तरफ बनी मार्केट में खुली शराब की दुकान का सोसाइटी के ही कुछ लोग कई दिनों से सोशल मीडिया पर विरोध कर रहे हैं । विरोध करने वालों का तर्क है कि शराब की दुकान के कारण महिलाओं और बच्चों में भय का माहौल है ।
सोमवार को एनसीआर खबर की टीम में शाम के समय इस शराब की दुकान के पास जाकर अवलोकन किया तो पाया कि वहां हंगामा या अराजकता जैसी कोई स्थिति नहीं थी । वस्तुतः यह इंग्लिश वाइन एवं बियर शॉप शराब के पारंपरिक दुकानों से उलट बेहद साफ और आकर्षक थी। लोग अपनी गाड़ियों से शालीनता के साथ आ रहे थे और बियर या वाइन को खरीद कर चुपचाप चले जा रहे थे । ओपन मार्केट में दुकान खुली होने के कारण लोगों में शराब को पकड़ कर ले जाते हुए झिझक भी थी उसके उलट एक बेहतर स्थिति यह थी कि व्यवस्थित मार्केट में दुकान खोलने के कारण आ रही युवा महिलाओं को शराब लेने में समस्या नहीं हो रही थी ।
भारत में महिलाओं का शराब पीना और शराब को खरीदना एक टैबू की तरह ही देखा जाता है ऐसे में जब शराब की दुकान गांव के किनारे पर बेहद गंदगी भरी जगह होती थी तब शहर की महिलाओं के लिए वहां जाकर शराब खरीदना हमेशा ही असुविधाजनक होता था ।
शराब की दुकान हमेशा सही जगह पर ही क्यों होनी चाहिए उसका उदाहरण इसी ग्रेटर नोएडा वेस्ट के गौर सिटी 2 में 1 दिन पहले लगी अवैध दुकानों में लगी आग से समझ सकते हैं। गौर सिटी 2 के पास बनी अवैध मार्केट में ही शराब की दुकान खोली गई थी जिसके चलते फर्नीचर की दुकान की आग शराब की दुकान तक भी पहुंच गई और उसमें भी आग लगी
नई आबकारी नीति 2025- 26 में शराब की बीयर और इंग्लिश वाइन शॉप की दुकानों को एक कंपोजिट शॉप में बदल दिया गया उसके साथ लगभग 15 लाख की आबादी वाले इस जिले में कंपोजिट शॉप के 270 दुकानों को अनुमति दी गई । आबकारी नीति के अंतर्गत प्राधिकरणों को यह भी निर्देश दिए गए कि वह इन दुकानों के खुलने के लिए सही जगह सुनिश्चित करें ।
तो अगर सब कुछ सही ही है तो कुछ लोग सोशल मीडिया पर विरोध क्यों कर रहे हैं आखिर कुछ लोग पुलिस प्रशासन तक शिकायत देने क्यों पहुंचे है । एनसीआर खबर की टीम को मार्केट में मौजूद लोगों से बातचीत के बाद भी समझ में आया कि दरअसल शराब के ठेके के पास खुली दुकानों के मालिकों को इस दुकान से एतराज है । उनका तर्क है कि शराब की दुकान के पास होने के चलते उनके कस्टमर उनके पास कम आएंगे ऐसे में कुछ लोगों द्वारा समूह बनाकर इस दुकान का विरोध किया जा रहा है ।
अब तक शराब के पारंपरिक ठेकों की छवि भी इन नई कंपोजिट दुकानों के विरोध का एक कारण बनी हुई है ऐसे में विरोध के लिए लोगों के पास ठोस तर्कों की जगह महिलाओं और बच्चों पर बुरा असर पड़ने वाले तर्क ज्यादा है । वही सूत्रों के अनुसार इस बार शराब के पारंपरिक सिंडिकेट की जगह नए लोगों को इन दुकानों के लिए अवसर मिले है ऐसे में जहां-जहां नए दुकानदार है वहां इसी तरीके से लोगों के जरिए विरोध कर कर सिंडिकेट शराब के नए व्यवसायियों पर दबाव बनाने का खेल भी खेल हो रहा है और इसमें राजनेताओं का एक समूह भी शामिल है ।
विरोध कर रहे लोगों का एक डर ये भी है कि कालांतर में यहां कई लोग शराब या बियर खरीद कर पीना शुरू कर सकते हैं। ऐसे में शराब की दुकान का विरोध करने की जगह लोगों को पुलिस प्रशासन और आबकारी विभाग तीनों से बातचीत कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिले भर में कंपोजिट दुकानों के बाहर निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं और यह देखा जाए कि कहीं कोई इन दुकानों के आसपास खड़ा होकर शराब तो नहीं पी रहा है ।
और अंत में बदलाव प्रकृति का नियम है। ऐसे में यूरोपियन जीवनशैली वाली सोसाइटी में रह रहे लोगों को महानगरों की जिंदगी और जीवन शैली में आ रहे बदलाव को धीरे-धीरे ही सही स्वीकार करना ही पड़ेगा ।