यमुना प्राधिकरण तथा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एग्रीमेंट टू लीज के फैसले पर घर खरीदार की संस्था नेफ़ोवा ने रोष जताया है । वर्तमान समय में बिल्डरों द्वारा फ्लैट बुकिंग के बाद ₹100 के स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट कर दिया जाता था जिसमें बिल्डर मनमानी तरीके से धांधली करता था तथा फ्लैट को कैंसिल करके बायर्स को तंग करता था। इससे बचाने के लिए यमुना अब यह फैसला लिया है कि फ्लैट बुकिंग के 10% जमा होते ही बायर्स को एग्रीमेंट टू लीज करना होगा और पूरी स्टांप शुल्क शुरुआत में जमा करके रजिस्टर्ड करना होगा। वहीं ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने भी इस और बढ़ने के आदेश जारी कर दिए हैं ।
ग्रेटर नोएडा में घर खरीदार की संस्था नेफोवा ने इसका विरोध किया है नेफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार का यह कहना है कि यह सरासर अन्याय पूर्ण एवं आर्थिक परेशानी बढ़ाने वाला तुगलकी फैसला है। जहां एक तरफ घर कब मिलेगा इसकी कोई गारंटी नहीं रहती है और उससे पहले ही फ्लैट के मूल्य का कुल स्टैंप शुल्क जमा करवा देना कहां तक न्यायोचित है। इससे बेहतर यह होता कि पूरे फ्लैट मूल्य के बजाय 10% रकम के ही वैल्यू पर एग्रीमेंट टू लीज कर दिया जाता तो ज्यादा बेहतर होता।
प्राधिकरण को पहले नागरिक संगठनों से इस पर राय मशविरा करना चाहिए था एवं सुझाव लेने के बाद इसे अच्छे तरीके से लागू करवाना चाहिए था, क्योंकि वर्तमान आदेश में कई सारी खामियां हैं जिसका खामियाज़ा घर खरीदारों को भुगतना पड़ेगा।
दीपांकर कुमार, घर खरीददार
आपको बता दें कि नए फैसले में स्टांप ड्यूटी के साथ पंजीकरण बिल्डर बायर एग्रीमेंट को ही प्राधिकरण अनुमोदित करेगा। प्राधिकरण के इस कदम से बिल्डर एक फ्लैट को एक से अधिक व्यक्ति को नहीं बेच सकेगा और न ही संपत्ति महंगी होने पर फ्लैट खरीदार को कब्जा देने में आनाकानी कर सकेगा।
दिनकर पांडे ग्रेटर नोएडा वेस्ट निवासी
प्राधिकरण अपने पड़ोसी राज्य हरियाणा से क्यों नहीं सबक लेकर एक मिनिमम शुल्क निर्धारित कर दे रहा है, जिससे बायर्स के हितो की रक्षा भी होगी और फ्लैट रजिस्टर्ड भी हो जाएगा।।
यमुना विकास प्राधिकरण के सीईओ के अनुसार इस फैसले का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बिल्डर अपने प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करें और खरीदारों को सौंपें. इससे न केवल खरीदारों के हितों की रक्षा होगी, बल्कि प्राधिकरण द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार निर्माण कार्य भी सुनिश्चित होगा। इस निर्णय से बिल्डर जिम्मेदार होंगे और खरीदारों को अधिक सुरक्षा मिलेगी।
ऐसे में अब बड़ा प्रश्न ये है कि क्या प्राधिकरणों द्वारा लिया गया जन हित का फैसला आम जनता के लिए फायदे का सौदा साबित होगा या फिर घर खरीददार के अनुसार उन पर बोझ बढाने वाला साबित होगा ।