आशु भटनागर । सिटी ऑफ अपैरल के नाम से प्रसिद्ध होते जा रहे गौतमबुद्ध नगर को जिस अपैरल पार्क (APPAREL PARK) के लिए जाना जा रहा था, उसमें टेक्स्टाइल उद्यमी ही पलीता लगते दिखा रहे है । एनसीआर खबर को मिली जानकारी के अनुसार 14 के करीब उद्यमियों ने मोटे लाभ के लालच में 45000 रुपए वर्ग मीटर की दर से आवंटित भूमि बेच दी है, जबकि नियमानुसार वो इसे 10 वर्ष से पहले नहीं बेच सकते थे। महत्वपूर्ण तथ्य ये है कि उत्तर प्रदेश सरकार की पहल पर यमुना प्राधिकरण ने टेक्सटाइल उधोग को बढ़ावा देने के लिए इनको मात्र 6500 रूपए वर्ग मीटर की दर से भूमि आवंटित की थी
14 फैक्ट्रियों के 45000 रुपए वर्ग मीटर के बेचे जाने की चर्चाओं से मामला नोएडा से लखनऊ तक गर्मा गया है । नियमों के विरुद्ध जाकर बेचे जाने के इस पूरे प्रकरण में बड़े बड़े खिलाड़ी शामिल बताए जा रहा है । सूत्रों का दावा है कि इन प्लॉट्स को 10 वर्षों तक बेचे नहीं जाने का प्रावधान होने के बाबजूद ऐसा कर लिया गया है और अब इस नियम को बदलवाने के लिए लखनऊ में सत्ता के गलियारों में चक्कर लगाए जा रहे है ताकि इनको बेच कर मोटा फायदा उठाया जा सके ।
एनसीआर खबर ने इन चर्चाओं की सच्चाई को लेकर नोएडा परिधान निर्यात क्लस्टर के अध्यक्ष ललित ठकराल से संपर्क किया तो उन्होंने इन चर्चो को बेबुनियाद बताया और दावा किया कि अगर ऐसे कोई प्रकरण सामने आयेंगे तो वो स्वयं ऐसे लोगो के प्लॉट्स को कैंसिल करने के लिए प्राधिकरण से कहेंगे I उन्होंने दावा किया कि अभी तक के नियमो के अनुसार कोई भी आवंटी बिना कम्पलीशन और 10 वर्ष से पूर्व फैक्ट्री को नहीं बेच सकता है और इसे बेचने और खरीदने दोनों ही पक्ष एनएसी के सदस्य होने आवश्यक है ।
दरअसल उत्तर प्रदेश में यीडा को औद्योगिक क्लस्टर के रूप में विकसित करने के लिए यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यीडा) ने अपैरल पार्क क्लस्टर की स्थापना की है। यह यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण द्वारा स्थापित पहला औद्योगिक क्लस्टर है। इस क्लस्टर में अपने उद्योग लगाने को लेकर उद्यमियों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा था। इस सेक्टर में 84 से अधिक औद्योगिक इकाइयों द्वारा यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण में टेक्सटाइल क्लस्टर के लिए भूमि आवंटित की थी । जिसमें 67 की लीज भी हो चुकी है । लगभग 24 यूनिट के लिए निर्माण कार्य भी आरंभ हो गया है ।
प्राधिकरण ने इस पार्क में ही कंपनियों के आगमन से उत्साहित हो कर सेक्टर-28 में 240 फ्लैटड फैक्टरियों के निर्माण की योजना भी शुरू कर दे है जिसमें 170 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होंगे। इस योजना में फ्लैटड फैक्टरियां 4-4 मंजिल की होंगी। प्राधिकरण के सूत्रों के अनुसार चार मंजिला फैक्टरी के लिए अलग अलग डिजाइन भी तैयार किए गए है। इसमें 60 वर्गमीटर की 126 फैक्टरियां होंगी। 90 वर्ग मीटर की 64 फैक्टरियां होंगी और 120 वर्ग मीटर की 50 फैक्टरियां होंगी। फैक्टरियों के साथ मूलभूत सुविधाएं भी दी जाएगी। इसके अलावा आसपास में स्कूल, रहने के लिए घर, पार्किंग की व्यवस्था, पार्क और अस्पताल की व्यवस्था भी होगी।
वहीं टेक्सटाइल उद्योग से जुड़े कई लोगों ने इस बंदरबाट पर निराशा जताते हुए कहा कि सत्ता पक्ष के नेताओं के साथ मिलकर कैसे जिले के उद्यमी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को पलीता लगा सकते हैं । इस पर यमुना से लेकर लखनऊ तक सब मौन दिखाई दे रहे है । वहीं इन चर्चाओं से बांग्लादेश के टेक्सटाइल उद्योग से मुकाबला करने के नोएडा के कुछ उद्योगपतियों की अक्षमता और छुद्र मानसिकता भी सामने आ रही है ।
पूरे प्रकरण में नोएडा के सिंडिकेट का नेताओं के साथ मिलकर हुए इस खेल का बड़ा सच ये भी है कि पहले भी नोएडा में फेज 2 में बने होजरी कांपलेस में भी ऐसे ही खेल हो चुके है और वही लोग इस अपैरल पार्क के लिए ही आगे आए । जिससे लगता है इन लोगों का उद्देश्य सरकार की इच्छा की जगह सिर्फ भूमि खरीदना ज्यादा रहता है । लोगों का दावा हैं कि नोएडा में भी अगर औद्योगिक प्लॉट पर चल रही कंपनियों के खेल की जांच की जाए तो लगभग आधी फैक्ट्रियों में कुछ अन्य कार्य हो रहे होगे । औद्योगिक विकास बस रेंटल इनकम का साधन बन कर बर्बाद हो रहा है । ऐसे में यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में बने इस पार्क में इन उद्यमियों का मुख्य उद्देश्य औद्योगिक क्रांति से अधिक सरकार से कम दामों भूमि लेकर उसको अधिक दामों में बेचकर निकल जाने का प्रतीत हो रहा है । जिससे आने वाले समय में टेक्सटाइल उद्योग की दिशा और सरकार के सपने दोनों टूट सकते है ।