आशु भटनागर। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बुधवार को गौतम बुद्ध नगर के ग्रेटर नोएडा में एक जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार की 11 वर्षों की उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 2014 नरेंद्र मोदी जी की सरकार बनने से पहले देश निराशा के गर्द में डूबा हुआ था, भ्रष्टाचार घोटाले में था, इतनी प्रगति कर पाएगा यह सोच भी नहीं था, लेकिन आप लोगों ने 2014 में कमल का बटन दबाकर 56 इंच का सीना वाले नरेंद्र मोदी को भारत के प्रधानमंत्री बनाया।
इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद डॉ. महेश शर्मा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिसोदिया, विधायक तेजपाल सिंह नागर, विधान परिषद सदस्य नरेंद्र सिंह भाटी, विधान परिषद सदस्य श्रीचंद शर्मा, जिला अध्यक्ष अभिषेक शर्मा, चेयरमैन गीता पंडित आदि मौजूद रहे। यधपि इस कार्यक्रम में सुरेन्द्र सिंह नागर, जेवर विधायक धीरेन्द्र सिंह की अनुपस्थिति ने एक बार फिर से भाजपा की गुटबाजी को फिर सतह पर ला दिया, जिसकी चर्चा अब जिले के लोगो के बीच आरम्भ हो गयी है ।
वहीं कार्यक्रम में वाटरप्रूफ टेंट में पंखो और कूलर की वयवस्था सही ना होने से लोग उमस से परेशान दिखे तो पार्किंग स्थान में एक दिन पूर्व हुए बारिश से गीले मैदान पर उपर उपर मिट्टी डाल दी गयी जिससे लोगो को गाड़ियाँ निकलने में समस्या आई I

देश के विकास का गुणगान ठीक मगर उपमुख्यमंत्री गौतम बुद्ध नगर के लिए क्या लाये ?
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने देश के विकास को लेकर कई बड़ी बातें की, लेकिन स्थानीय लोगों के मन में सवाल यह है कि क्या इन बातों से जिले के विकास को लेकर कोई सीधा सम्बन्ध है या फिर से एक बार ये 2027 में होने वाले विधानसभा के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधि द्वारा होने वाली चुनावी जनसभा का हिस्सा हैं।
उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य ने अपना भाषण देश की उपलब्धियों के साथ राहुल गांधी और अखिलेश यादव सरीखे विपक्ष के नेताओ पर व्यक्तिगत कटाक्ष तक केन्द्रित रखा I उन्होंने राहुल गांधी के पाकिस्तान चलीसा जैसी बातो से अपने कार्यकर्ताओं को भले ही सन्देश देने की कोशिश की, किन्तु प्रश्न यह उठता है कि क्या पिछले 11 वर्षों में गौतम बुद्ध नगर के लोगों ने इन बड़े वादों का कोई वास्तविक लाभ देखा है? क्या उपमुख्यमंत्री को जिले की लोगो की समस्याओ से स्थानीय नेताओ ने अवगत कराया भी है ?
दादरी विधान सभा के ग्रेटर नोएडा वेस्ट में १० वर्षो से फ्लैट ना मिलने की समस्या से जूझ रहे फ्लैट बायेर्स ने कहा कि उपमुख्यमंत्री जब जिले में आ रहे थे उन्हें जनता की समस्याओ पर कोई सन्देश देना चाहिए था आज दादरी विधान सभा में समस्याओ की भरमार है I यहाँ पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं है , बीते १० वर्षो से फ्लैट पर कब्जे, रजिस्ट्री और मेट्रो की राह जनता देख रही है। स्थानीय सांसद विधायक इनके जल्द आने के कितने दावे करें किन्तु हकीकत यह है कि हमें अभी भी बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

लोगो ने दावा किया कि नयी योजनाओं की बात तो करनी ही बेमानी है , यहाँ पहले से चल रही योजनाओं के क्रियान्वयन में गति की कमी है। स्थानीय समाजसेवी और पूर्व प्रत्याशी नरेश नौटियाल ने कहा, “बहुत सी योजनाएं सिर्फ कागजों पर रह गई हैं। हमें धरातल पर बदलाव की जरूरत है। कागजी घोषणाएं नहीं, बल्कि कार्यान्वयन की आवश्यकता है।”
उपमुख्यमंत्री के इस दौरे का एक और पहलू यह है कि एक दिन पहले ही जब लखनऊ के एक कार्यक्रम गृहमंत्री अमित शाह द्वारा उनको मित्र कहने पर विपक्ष ने जिस तरह उत्तर प्रदेश की सरकार में आपसी गुबाजी पर तंज कसा, उस समय उपमुख्यमंत्री का उत्तर प्रदेश के शो विंडो कहे जाने वाले गौतम बुद्ध नगर में खाली हाथ आना अदूरदर्शिता दर्शाता है । इसमें लोगो के लिए विकास योजनाओं की घोषणा या लोकार्पण या जिले में समस्याओ के समाधान को छोड़कर स्थानीय नेताओं द्वारा उपमुख्यमंत्री के जरिये अपनी पहुँच साबित करना जयादा महत्वपूर्ण दिखाई देता है
राजनीतिक विश्लेषक अतुल श्रीवास्तव का कहना है, “इस समय यह दौरा यह दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश सरकार आगामी चुनावों के लिए अपनी मजबूती को कायम रखने के प्रयास कर रही है। हालांकि, सवाल यह है कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच आपसी मतभेद के समाचारों के बीच यह दौरा कोई वास्तविक विकास का संकेत देगा या केवल दिखावे तक सीमित रहेगा।”
अंत में, गौतम बुद्ध नगर के लोगों के लिए लगभग 2 वर्ष पहले ही ऐसी चुनावी सभाओ की जगह भाजपा नेताओं के साथ साथ मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री को भी समझना होगा कि जनता अब खाली राजनैतिक वाद-परिवाद से थक चुकी है। तीसरी बार उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने के लिए ठोस कार्यो की बातो की अपेक्षा है वर्ना ऐसी जनसभाओ और खोखली बातो का अंजाम होगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन गौतम बुद्ध नगर के स्थानीय निवासियों की अपेक्षाएं स्पष्ट हैं – उन्हें विकास चाहिए, केवल वादे नहीं।