ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र ग्राम चिटेहरा में काफी समय से अवैध तौर से औद्योगिक प्लॉट बेचे जा रहे थे । चिटेहरा के खसरा संख्या-169, 170, 171 व 172 की करीब 50 हजार वर्ग मीटर भूमि पर बिना प्राधिकरण की अनुमति डीएनआईपीएल ग्रुप नाम की कंपनी दिल्ली एनसीआर इंडस्ट्रियल पार्क के नाम से फैक्ट्री और वेयरहाउस के नाम पर 200 गज से लेकर 5000 गज तक के प्लॉट बेच रही थी । कथित तौर पर इस कंपनी द्वारा यह दावा किया जा रहा था कि यह भूमि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से बात करके छुड़ा ली गई है और धारा 80 में दर्ज कर ली गई है ।
यद्यपि इसके इन दावों के बाद जिला प्रशासन भी सकते में था आखिर इतनी बड़ी भूमि को कब और किसने धारा 80 में दर्ज कर दिया । कंपनी का विज्ञापन प्रसार सोशल मीडिया से लेकर नोएडा और गाजियाबाद तक जोर-शोर से हो रहा था हद तब हो गई जब यह ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के चारों तरफ भी विज्ञापन लगाने लगे । बिना नक्शा पास कराए अवैध निर्माण पर रोक लगाने के लिए प्राधिकरण की तरफ से नोटिस भी जारी की गई, लेकिन कालोनाइजर चोरी-छिपे अवैध निर्माण करने से बाज़ नहीं आ रहे थे।
शुक्रवार को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने ग्राम चिटेहरा में बन रहे इस अवैध औद्योगिक प्राधिकरण पर बने वेयरहाउस ओर चारदीवारी एवं अन्य अतिक्रमण के खिलाफ शुक्रवार को बुलडोजर चलाया। महाप्रबंधक परियोजना एके सिंह, विशेष कार्याधिकारी जितेंद्र गौतम, ओएसडी राम नयन सिंह, और वर्क सर्किल की टीम ने इस कार्रवाई को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

प्राधिकरण की टीम ने छह जेसीबी और पांच डंपरों का उपयोग करते हुए केवल तीन घंटे में इस अतिक्रमण को समाप्त कर दिया। इस कार्रवाई का उद्देश्य अवैध निर्माणों को समाप्त करना और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना था। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ सुमित यादव ने बताया कि सीईओ रवि एनजी के निर्देशानुसार, अतिक्रमण के खिलाफ यह कार्रवाई निरंतर जारी रहेगी।
सुमित यादव ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि “ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिसूचित एरिया में बिना अनुमति या बिना नक्शा पास कराए अवैध निर्माण करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने जनमानस से अपील की कि “ग्रेटर नोएडा में कहीं भी जमीन खरीदने से पहले प्राधिकरण से संपर्क कर पूरी जानकारी जरूर प्राप्त करें, ताकि वे अपनी गाढ़ी कमाई अवैध कॉलोनियों में न फंसा सकें।”
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि प्राधिकरण ने अतिक्रमण और अवैध निर्माण के खिलाफ अपनी दृढ़ता दिखाई है। हालांकि, इस मामले में स्थानीय निवासियों की जागरूकता और सरकारी तंत्र की प्रभावशीलता दोनों अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। अब देखना यह है कि क्या प्राधिकरण भविष्य में भी ऐसे अवैध निर्माण के खिलाफ इसी प्रकार की कार्रवाई जारी रख पाएगा या नहीं।