राजनीति के गलियारों में इस हफ्ते पहली बड़ी चर्चा इस बात की है कि गौतम बुद्ध नगर में राजनेताओं के पेट पर किसान नेताओं ने लात मार दी है । उत्तर प्रदेश में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी का दावा करने वाली समाजवादी पार्टी हो या देश की सबसे पुरानी पार्टी राज कांग्रेस दोनों ही किसान नेताओं के मारे हैं । भाजपा के नेताओं की तो खैर क्या ही कहने, वह बेचारे तो पार्टी की बेगारी में लगे है और फिर भी पार्टी में पद मिल नहीं रहा है । पार्टी के दिए कार्यक्रमों के बोझ से बाहर निकले तो उन्हें पता लगे कि जनता के मुद्दों की राजनीति कहां करनी है ?
मगर जिले में किसान नेताओं की बढ़ती उपज क्या वाकई किसानों के किसी काम को लेकर आंदोलन कर रही है या फिर किसान नेतागिरी की आड़ में प्राधिकरणों और प्रशासन तक दलाली के काम हो रहे हैं ऐसा एक वाक्या बीते दिन प्रशासन कार्यालय पर हुआ जब एक किसान नेता जी अपने दलबल के साथ पहुंच गए और शासन से किसी की छत पर लगने वाले मोबाइल टावर को रोकने की मांग करने लगे । इससे पहले किसान नेता अपने प्रभाव या फिर दुष्प्रभाव का इस्तेमाल करके प्राधिकरण से यह लिखवाने में कामयाब हो गए थे कि जिसके यहां टावर लग रहा है उसका मकान कमजोर है और टावर लगने से घर गिर सकता है ।
किसान नेता के साथ हरी टोपी लगा कर आये हुए ग्रामीणों या कथित किसानों ने प्रशासन को बताया कि टावर लगने से कैंसर हो सकता है । शासन उनके इस अद्भुद ज्ञान ओर दबाव से भौचक था, इसी बीच बैठे पत्रकारों में एक ने पूछ लिया कि क्या सही में मोबाइल टावरों के लगने से कैंसर होता है, क्या वाकई जिसके घर पर टावर लगाने का विरोध हो रहा है उसका घर इतना कमजोर है या फिर गांव में पड़ोसी के घर किसी तरीके से काम रुक जाए उसको रोकने और अपनी जेब गर्म करने के लिए नेताजी शासन, प्राधिकरण और पुलिस तक पहुंचकर टावर को रुकवाने में लगे है । पत्रकारों की बातें सुनकर नेताजी तो प्रशासन से जल्द कार्यवाही करने को कह कर निकल लिए, पर अब प्राधिकरण पुलिस और प्रशासन इस बात से परेशान है कि अगर किसान नेताओं की ना माने तो अगले दिन किसी और बहाने से नेताजी आंदोलन पर बैठ जाएंगे और अगर मान ले तो कोई आम आदमी इनकी राजनीति और अवैध वसूली के चलते मुफ्त में निबट जाएगा।
राजनीति के गलियारों की दूसरी चर्चा इन दिनों फिल्म सिटी को लेकर है । अब जब यह लगभग कंफर्म हो गया है की फिल्म सिटी का शिलान्यास 26 जून शाम 5:00 बजे एक सादे पूजा कार्यक्रम के जरिए होगा तो फिल्म सिटी के पीछे की कई कहानियां सामने आने वाली बताया जा रहा है कि फिल्म सिटी के शिलान्यास से पहले अपने राजनैतिक आकाओं के जरिए बीते 1 महीने से बोनी कपूर और भूटानी बिल्डर दोनों ही लखनऊ दरबार के चक्कर लगाकर प्राधिकरण के सीईओ पर दबाव बनाने की कोशिश में लगे थे पर ऐसा हो ना सका, भूटानी और बोनी कपूर दोनों के ही राजनीतिक समीकरण उत्तर प्रदेश सरकार के आगे फिलहाल फेल हो गए और अब हालात यह हैं कि फिल्म सिटी का शिलान्यास तो होने जा रहा है किंतु इसमें मुख्यमंत्री के आने की संभावना न के बराबर है । यद्यपि एक हफ्ते में क्या परिवर्तन होंगे उसको कोई कुछ नहीं कह सकता किंतु बताया यही जा रहा है कि फिलहाल फिल्म सिटी के शिलान्यास पर सब लोग भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं कि किसी तरीके से यह हो जाए ।
राजनीतिक गलियारों की तीसरी बड़ी चर्चा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के 20 जून से 20 जुलाई तक चलने वाले अतिक्रमण हटाओ अभियान को लेकर हो रही है बताया जा रहा है कि प्राधिकरण ने इस पूरे महीने कुछ ऐसे बड़े भूमाफियाओं को टारगेट कर लिया है जिनके बारे में अब तक कहा जा रहा था कि उनके पीछे कई बड़े राजनेता और पूर्व आईएएस ऑफिसर तक शामिल है । ऐसे में जब कोई सोच भी नहीं रहा था तब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने 20 जून को पहल करते हुए दादरी के चिटहरा में 50 एकड़ में प्राधिकरण के समानातर बना रहे अवैध इंडस्ट्रियल हब को ध्वस्त किया जिसके बाद गाजियाबाद से लेकर लखनऊ तक खलबली मच गई है। बताया जा रहा है कि एक स्टील कंपनी के मालिक को सामने करके यह पूरा खेल खेला जा रहा था।
किंतु मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरीके से किसी भी भूमाफिया से डरने की जगह उस पर सख्त कार्यवाही करने के आदेश प्राधिकरणों को दिए हैं, उससे सत्ता पक्ष के कई नेताओं और प्राधिकरण के कई सुपरवायजर और प्रबंधको में खलबली मच गई है। कई जगह तो पैसे लेने के बाद वापस तक किए जा रहे हैं। लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का अगला टारगेट किसके ऊपर होगा । इस घटना के बाद तोशा ( Tosha International) टी-सीरीज (T-Series), टीपीएल (Technology Park Ltd) और लोकप्रिय समिति के ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर लखनऊ दरबार के नाम पर राजनीतिक दबाव बनाने के खेल में भी हड़कंप मच गया है । आने वाले दिनों में इसके कौन-कौन से किस्से कैसे-कैसे सामने आएंगे कि हम आपको राजनीति के गलियारों में बताते रहेंगे