नोएडा प्राधिकरण ने शहर की बिजली सप्लाई व्यवस्था को और अधिक प्रभावी और सुरक्षित बनाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है। प्राधिकरण ने मुंबई में अडानी इलेक्ट्रिसिटी द्वारा विकसित गैस इंसुलेटेड (जीआईएस) तकनीक का अध्ययन करने के बाद नोएडा में समान उपकेंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस प्रणाली का विकास शहर के बिजली नेटवर्क को समकालीन और स्थायी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस योजना को अंतिम रूप देने से पहले, नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने हाल ही में मुंबई का दौरा किया, जहाँ उन्होंने अडानी इलेक्ट्रिसिटी द्वारा अपनाई गई प्रणाली का विस्तृत अध्ययन किया। इस अध्ययन की अगुवाई प्राधिकरण के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय खत्री और सामान्य प्रबंधक आर. पी. सिंह ने की। शनिवार को नोएडा प्राधिकरण के CEO डॉ. लोकेश एम को इस प्रणाली के लाभों और कार्यप्रणाली पर एक प्रस्तुतिकरण दिया गया।
नए जीआईएस उपकेंद्र विशेष रूप से मानवीय हस्तक्षेप के बिना संचालित होंगे, जिससे आपात स्थितियों में तेजी से प्रतिक्रिया संभव होगी। प्रत्येक उपकेंद्र में एक स्कॉडा (Supervisory Control and Data Acquisition) सिस्टम स्थापित किया जाएगा, जो बिजली फॉल्ट का पता लगाते ही उस स्थान की जानकारी के साथ संबंधित अधिकारियों को सूचित करेगा। इससे बिजली की आपूर्ति में सुधार होगा और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा मिलेगी।
कम जगह में अधिक क्षमता
जिन उपकेंद्रों का निर्माण किया जाएगा, उनकी विशेषता यह होगी कि वे मौजूदा उपकेंद्रों की तुलना में लगभग 1100 वर्ग मीटर कम जगह में स्थापित होंगे। जीआईएस तकनीक की मदद से, इसे छोटे स्थानों में स्थापित करना संभव हो जाएगा, जो शहरी क्षेत्रों में भूमि के सीमित उपयोग को ध्यान में रखते हुए एक महत्वपूर्ण सुविधा है।
वैकल्पिक बिजली आपूर्ति
सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि एम्बेडेड सिस्टम में प्रत्येक उपकेंद्र के पास एक वैकल्पिक स्रोत स्थापित होगा। इसका अर्थ है कि यदि एक उपकेंद्र में कोई तकनीकी खराबी आती है, तो दूसरे उपकेंद्र से स्वचालित रूप से बिजली सप्लाई चालू हो जाएगी। इससे बिजली कटौती की संभावनाएँ कम हो जाएँगी और उपभोक्ताओं को निरंतर बिजली उपलब्ध रह सकेगी।