2024 के बाद से संगठन में बदलाव को लेकर असमंजस में डूबा भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व लगातार प्रश्नों के घेरे में रहा है। 20 जुलाई नजदीक आने को है किंतु अभी तक उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर कोई बड़ी सूचना सामने नहीं आई है । देश और प्रदेश की से ज्यादा खराब स्थिति भाजपा में स्थानीय स्तर पर भी दिखाई दे रही है। वही जिले मे गौतम बुध नगर जिले में जिला अध्यक्ष बनने के कई महीनो के बाद आखिरकार जिला अध्यक्ष अभिषेक शर्मा ने 11 में से मात्र 7 मंडलों में कार्यकारिणी घोषित की 4 पर अभी कार्यकर्ताओं की राह अनिश्चित है। ऐसे में इन कार्यकारिणी में जैसे तैसे घोषित हुए नेताओं के नाम आने के बाद अब पार्टी में विद्रोह के स्वर उठने लगे है । पार्टी में फिलहाल क्षत्रिय समाज की ओर से बगावत के सुर उठे हैं दादरी मंडल में यह आरोप लगाया गया है कि दादरी मंडल में राजपूतों के वोट होने के बावजूद उनको उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है ।
दादरी मंडल में क्षत्रिय समाज के प्रतिनिधि के तौर पर आरोप लगाते हुए ठाकुर सतपाल बजरंगी ने दावा किया कि उन्होंने राजपूत समाज के प्रतिनिधि मंडल के साथ मिलकर गौतम बुद्ध नगर के सांसद डॉक्टर महेश शर्मा से इस अन्याय को लेकर मुलाकात की है और अपनी गहरी नाराजगी भी दर्ज कराया उन्होंने दावा किया कि वह कई वर्षों से भाजपा के लिए खड़े हैं। हर चुनाव में तन मन धन से समर्थन देते हैं किंतु दादरी मंडल कार्यकारिणी में हमें पूरी तरीके से अनदेखा कर दिया गया है उन्होंने दावा किया कि वर्तमान सरकार में किसी का नहीं काम हो रहा है समाज में जब जनता हमसे प्रश्न करती है कि हमने तुम्हें वोट देकर क्या पाया तो हमारे पास कोई जवाब नहीं होता यही रवैया रहा तो समझ में पार्टी की छवि को नुकसान होगा और 2027 तक बहुत देर हो चुकी होगी।

सूत्रों की माने तो डॉ महेश शर्मा ने राजपूत समाज के प्रतिनिधियों की बात को गंभीरता से सुनते हुए स्पष्ट कहा कि भारतीय जनता पार्टी सभी जातियों का सम्मान करती है यदि मंडल स्तर पर कहीं कोई असंतुलन हुआ है तो उसे जल्द ही सुधारा जाएगा । जिस पर सतपाल बजरंगी का दावा है कि वह संसद के आश्वासन से फिलहाल संतुष्ट तो है किंतु आने वाले समय में यदि समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो इसको लेकर एक बड़ा आंदोलन भी हो सकता है।
एनसीआर खबर ने इसको लेकर जिला अध्यक्ष अभिषेक शर्मा से उनका पक्ष लिया तो उन्होंने इन सभी आरोपो को गलत बताते हुए कहा कि दादरी में व्यक्तियों को उपाध्यक्ष और नगर मंत्री के पद स्थान दिया है । ऐसे लोग सिर्फ अपनी राजनीति के लिए गलत चर्चाएं कर रहे हैं ।
ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है कि क्या लंबे समय बाद बनी इन कार्यकारिणियों में भी संगठन में कोई मतभेद है? क्या संगठन में जिला अध्यक्ष पर जाति विशेष की अपेक्षा और एक जाति के लोगों को प्रेशर देने के जो आरोप है, वह सही है या फिर लंबे समय से अभिषेक शर्मा के विरोध में रहे गुटों ने उनके खिलाफ संगठन में एक नई मुहिम छेड़ दी है ।
ऐसे में यदि अभिषेक शर्मा को लेकर जिले में आंतरिक विरोध फिर से मुखर हो रहा है तो 2027 में उनके नेतृत्व में जिले की दोनों विधानसभाओं में भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है ।