आशु भटनागर। उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास की धुरी बनने जा रहे यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) को एक नया नेतृत्व मिला है। मंगलवार को श्री राकेश कुमार सिंह ने प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) का पदभार संभाला है। इस संवेदनशील प्राधिकरण के नए सीईओ राकेश कुमार सिंह के पद संभालने के बाद स्थानीय और राज्य स्तरीय अनेक अपेक्षाएँ और चुनौतियाँ खड़ी हुई हैं। उनके सामने न सिर्फ कई बड़े और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स (नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा, प्रस्तावित फिल्मसिटी, और लॉजिस्टिक्स हब) को गति देने की चुनौती है, बल्कि स्थानीय निवासियों की आकांक्षाओं को पूरा करते हुए क्षेत्र के समग्र, संतुलित और समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त करना भी एक प्राथमिकता होगी।
इस लेख में यह जानने का प्रयास करेंगे कि शुभकामनाओ के बाबजूद नए सीईओ राकेश कुमार सिंह किन मुद्दों और चुनौतियों का सामना करेंगे और उनका प्रभाव स्थानीय निवासियों और विकास पर क्या पड़ेगा।
नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से जल्दीसे जल्दी उड़ान सुनिश्चित करना और भविष्य की योजनाएं
नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा केवल एक हवाईअड्डा नहीं, बल्कि इस क्षेत्र के लिए आर्थिक क्रांति का वाहक माना जा रहा है। यह परियोजना उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है, जिसका उद्देश्य राज्य को एक वैश्विक लॉजिस्टिक्स और विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना है। इसमें दो मुख्य कारक है
प्रथम चरण का जल्दी पूरा होना
25 नवंबर 2021 को शिलान्यास के साथ ही हवाईअड्डे के पहले चरण का निर्माण कार्य पूरी गति से चल रहा है। पहले इसे 30 अक्टूबर 2024 तक वाणिज्यिक उड़ानों के लिए तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था किन्तु कुछ कारणों इसकी सीमा बार बार बढ़ाई गयी है अब इसे लगभग 15 सितम्बर के आसपास पूरा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। नए सीईओ के समक्ष यह सुनिश्चित करने की चुनौती है कि निर्माण कार्य अब इस निर्धारित समय-सीमा और गुणवत्ता मानकों के अनुसार पूरा हो। इसमें निर्माण कंपनियों, एयरलाइन ऑपरेटरों, सुरक्षा एजेंसियों और अन्य हितधारकों के साथ समन्वय स्थापित करना शामिल है। किसी भी प्रकार की देरी से परियोजना की लागत बढ़ सकती है और क्षेत्र के आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
द्वितीय चरण का भूमि अधिग्रहण
पहले चरण के सफलतापूर्वक पूरा होने के साथ ही, हवाईअड्डे के द्वितीय चरण के विस्तार की योजनाएं भी महत्वपूर्ण हैं। द्वितीय चरण के लिए लगभग 1365 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की आवश्यकता है, जिसमें आठ गाँव प्रभावित होंगे। यह एक अत्यंत संवेदनशील विषय है, जिसमें सीईओ को किसानों के हितों की रक्षा करते हुए, उन्हें विकास प्रक्रिया का एक हिस्सा महसूस कराना होगा।
उत्तर प्रदेश फिल्म सिटी के सपने को हकीकत में बदलना
2020 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सपना और बहुप्रतीक्षित ‘फिल्म सिटी’ परियोजना, जो बॉलीवुड को मुंबई से बाहर उत्तर प्रदेश में एक नया और बेहतर ठिकाना देने का वादा करती है और नोएडा समेत पुरे उत्तर प्रदेश क्षेत्र को मनोरंजन उद्योग का एक नया केंद्र बनाने की क्षमता रखती है, भी सीईओ के लिए एक और बड़ी चुनौती है।
230 एकड़ में दिए भूखंड पर जल्द से जल्द विकासकर्ता बनाये फिल्मसिटी
1000 एकड़ में प्रस्तावित फिल्मसिटी के लिए 5 वर्ष बाद भी मात्र 230 एकड़ में बोनी कपूर की कम्पनी बेव्यू भूटानी फिल्मसिटी लिमिटेड को ही भूखंड दिया गया है I इसमें भी लगातार एक वर्ष से भूमि पूजन, शिलान्यास और लेआउट प्लान पास करने की चर्चा ही होती रही है I इसके साथ ही बार बार विकासकर्ता कम्पनी बेव्यू अपने पार्टनर भूटानी बिल्डर द्वारा फिल्मसिटी से पहले कमर्शियल पार्ट को बेचने के दबाब और बोनी कपूर के साथ मतभेद के समाचार भी आते रहे है । ऐसे में अब इस पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से पूरा करना सुनिश्चित करना सीईओ की जिम्मेदारी होगी।
1000 एकड़ के बाकी 770 एकड़ में फिल्म सिटी पर आये नए स्टूडियो
1000 एकड़ में बोनी कपूर की कम्पनी को मात्र 230 एकड़ में ही फिल्मसिटी का प्रोजेक्ट दिया गया है I इसके बाकी 770 एकड़ में भी नए स्टूडियो के लिए जल्दी कार्य शुरू करना भी आवश्यक है। परियोजना को आकर्षक बनाने और बड़े निर्माताओं व स्टूडियो को आकर्षित करने के लिए एक मजबूत डी.पी.आर. और वित्तीय व्यवहार्यता सुनिश्चित करना आवश्यक है। ताकि अन्य निर्माता बेव्यू की तरह लम्बे समय तक कार्य शुरू करने में देरी ना कर सके ।
हवाई अड्डे के साथ तालमेल, कलाकारों और तकनीशियनों को आकर्षित करना
फिल्मसिटी की सफलता काफी हद तक हवाईअड्डे के साथ तालमेल पर निर्भर करेगी, जिससे फिल्म निर्माता और कलाकार आसानी से आवागमन कर सकें और वैश्विक स्तर पर अपनी पहुंच बना सकें। इसके लिए केवल भौतिक संरचनाओं का निर्माण पर्याप्त नहीं होगा। सीईओ राकेश कुमार सिंह को एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा जो फिल्म उद्योग के पेशेवरों को नोएडा की ओर आकर्षित करे। इसमें सुरक्षा, बेहतर जीवनशैली विकल्प, और उद्योग-विशिष्ट कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देना शामिल है।
भूमि अधिग्रहण है गौतम बुद्ध नगर में सबसे संवेदनशील चुनौती
भूमि अधिग्रहण, जिसने अतीत में कई विकास परियोजनाओं को धीमा किया है और स्थानीय आबादी में असंतोष पैदा किया है, राकेश कुमार सिंह के लिए एक सतत और सबसे संवेदनशील चुनौती बनी रहेगी। YEIDA क्षेत्र में भविष्य की औद्योगिक, आवासीय और अन्य विकास परियोजनाओं के लिए निरंतर भूमि की आवश्यकता होगी।
नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे के दूसरे चरण के लिए भूमि अधिग्रहण हो या अन्य औद्योगिक और आवासीय परियोजनाओं के लिए, किसानों के साथ एक पारदर्शी और न्यायसंगत संवाद स्थापित करना आवश्यक होगा। इसके अलावा, उन परिवारों के लिए पुनर्वास और पुनर्स्थापन (R&R) की उचित व्यवस्था करना, जिनकी आजीविका प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भूमि से जुड़ी है, अत्यंत महत्वपूर्ण है। सीईओ को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्राधिकरण किसानों के साथ किसी भी विवाद को बातचीत और मध्यस्थता के माध्यम से हल करने का प्रयास करे, बजाय इसके कि मामले अदालतों में जाएं और इसमें देरी हो।
समग्र और समावेशी विकास: औद्योगिक, आवासीय और सामाजिक बुनियादी ढाँचा
केवल दो मेगा प्रोजेक्ट्स (हवाईअड्डा और फिल्मसिटी) पर ही ध्यान केंद्रित करना पर्याप्त नहीं होगा। YEIDA क्षेत्र को एक सुनियोजित औद्योगिक और आवासीय हब के रूप में विकसित करना भी सीईओ की जिम्मेदारी है। क्षेत्र में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त और विकसित औद्योगिक प्लॉटों की उपलब्धता को भी सुनिश्चित करना होगा। इसके साथ ही, श्रमिकों और स्थानीय निवासियों के लिए किफायती और गुणवत्तापूर्ण आवासीय विकल्प भी प्रदान करना होगा। इसमें विभिन्न आय वर्गों के लिए आवास योजनाओं को बढ़ावा देना शामिल है।
हवाईअड्डे और फिल्मसिटी को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों से जोड़ने वाली बेहतर कनेक्टिविटी (चाहे वह मेट्रो या हाई-स्पीड रेल लिंक) भी एक बड़ी चुनौती है। अभी तक घोषित इन कनेक्टिविटी परियोजनाओं को हवाई अड्डे के साथ तालमेल बिठाकर तेजी से विकसित करना आवश्यक है ताकि यह क्षेत्र एक मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग हब के रूप में विकसित हो सके। हवाई अड्डे के पास एमआरओ (रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल) सुविधाओं, कार्गो हैंडलिंग यूनिट्स और अन्य सहायक उद्योगों को जल्दी फंक्शनल करना भी सीईओ की प्राथमिकतायो में महत्वपूर्ण होगी।
यह भी सच है कि यमुना प्राधिकरण में हवाईअड्डे और फिल्मसिटी के साथ अधौगिक प्रोजेक्ट्स की घोषणाये तो हुई है और कई पर कार्य भी आरम्भ हुआ, पर किसी भी शहर के लिए सड़कों, बिजली, पानी, सीवरेज, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, और संचार नेटवर्क सहित मजबूत और आधुनिक बुनियादी ढाँचे का विकास करने की भी आवशयकता होती है। साथ ही शिक्षा (स्कूल और कॉलेज), स्वास्थ्य सेवा (अस्पताल और क्लीनिक), मनोरंजन (पार्क, सामुदायिक केंद्र), और सुरक्षा (पुलिस स्टेशन) जैसी सामाजिक सुविधाओं का भी साथ-साथ विकास करना ताकि निवासियों को एक बेहतर जीवन शैली मिल सके। यह निवेशकों और भविष्य के निवासियों दोनों के लिए आवश्यक है। ऐसे में सीईओ के लिए स्मार्ट सिटी अवधारणाओं को अपनाना और पर्यावरण के अनुकूल विकास सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण होगा।
स्थानीय निवासियों के लिए लाभ और जनभागीदारी
स्थानीय निवासियों के लिए, ये परियोजनाएं केवल विकास के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि उनके जीवन स्तर में सुधार, रोजगार के अवसरों और बेहतर नागरिक सुविधाओं की गारंटी भी हैं। सीईओ के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होगा कि विकास का लाभ सभी तबकों तक पहुंचे। हवाईअड्डे, फिल्मसिटी और अन्य औद्योगिक इकाइयों के माध्यम से स्थानीय युवाओं के लिए अधिकतम रोजगार के अवसर पैदा करना। इसके लिए कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देना और स्थानीय युवाओं को इन परियोजनाओं की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षित करना आवश्यक होगा। आने वाले समय में यहाँ बसने वाले स्थानीय निवासियों की शिकायतों को सुनने और उनका त्वरित समाधान करने के लिए एक प्रभावी और पारदर्शी शिकायत निवारण तंत्र भी स्थापित करना होगा।
ऐसे में देखा जाए तो प्रदेश के अनुभवी और दक्ष आईएस अधिकारी राकेश कुमार सिंह के समक्ष चुनौतियाँ बेशक बड़ी हैं, लेकिन यमुना प्राधिकरण का यह क्षेत्र उत्तर प्रदेश के भविष्य के विकास का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनने की क्षमता रखता है। इन महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सीईओ की प्रशासनिक क्षमता, दूरदर्शिता और जनोन्मुखी दृष्टिकोण ही निर्धारित करेगा कि यह क्षेत्र एक सुनियोजित और समृद्ध भविष्य की ओर कितनी तेजी से अग्रसर होता है। पुरे उत्तर प्रदेश के निवासियों के लिए, उनके कार्यकाल में होने वाले निर्णय और उनका क्रियान्वयन सीधे उनके जीवन और आजीविका को प्रभावित करेगा, और वे उत्सुकता से उनकी सफलता की राह देख रहे हैं।