केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने हाल ही में नोएडा प्राधिकरण को स्थानीय प्राधिकरण के रूप में मान्यता प्रदान की है, जिससे उसे आयकर अधिनियम 1961 की धारा-10 (46 ए) के तहत आयकर के दायरे से बाहर रखा गया है। यह जानकारी सीबीडीटी द्वारा जारी किए गए आधिकारिक नोटिफिकेशन में दी गई है।
इस निर्णय के पीछे नोएडा प्राधिकरण और सीबीडीटी के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद को हल करने की कोशिश शामिल है, जिसमें नोएडा प्राधिकरण ने कई बार न्यायालय का रुख किया। पिछले साल, दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीडीटी के उस आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि नोएडा प्राधिकरण स्थानीय प्राधिकरण नहीं है, और इसलिए उसे आयकर छूट नहीं मिल सकती।
आयकर से राहत पाने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने 2014 से संघर्ष किया है। प्राधिकरण का तर्क है कि यद्यपि वह औद्योगिक विकास प्राधिकरण है, लेकिन शहर की आधारभूत सुविधाओं जैसे सफाई, सड़क, बिजली और सीवरेज आदि का कार्य भी वह स्थानीय स्तर पर करता है। इस कारण, वे स्थानीय प्राधिकरण के रूप में आयकर में छूट की मांग कर रहे थे।
इससे पहले की व्यवस्था के अनुसार, केवल वे प्राधिकरण जो अपनी आय का 75 प्रतिशत स्थानीय विकास में खर्च करते हैं, आयकर छूट के लिए पात्र माने जाते थे। हालांकि, वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिए नई व्यवस्था को लागू किया गया, जिसमें सरकार से संचालित होने वाले प्राधिकरण स्थानीय प्राधिकरण का दावा कर सकते हैं। नोएडा प्राधिकरण ने इस नए नियम के तहत फरवरी 2024 में आयकर छूट के लिए आवेदन किया था, जिसे अब स्वीकार किया गया है।
नोएडा प्राधिकरण किसी सरकारी बजट पर निर्भर नहीं है। यह स्वयं लीज रेंट, आवंटनों और छूटों के माध्यम से राजस्व प्राप्त करता है और इसे शहर के विकास पर प्रभावी ढंग से खर्च करता है। सीबीडीटी का यह निर्णय स्थानीय निवासियों के लिए एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है, जो विकास और जनसुविधाओं के कार्यों में तेजी लाने में मदद कर सकता है।
इस नए धारणा को लागू करना न केवल प्राधिकरण की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि इससे नोएडा की वर्तमान विकास संबंधी योजनाओं को भी गति मिलेगी। स्थानीय निवासियों और व्यवसायों के लिए यह समाचार एक उम्मीद की किरण बन सकता है।