आशु भटनागर। यमुना प्राधिकरण के अधिकारियों की अनदेखी ने नोएडा एयरपोर्ट के आस-पास अवैध कॉलोनियों का एक ऐसा जाल बिछा दिया है, जो न केवल यहाँ निवेश कर रहे उधोगपतियो के लिए परेशानी का सबब बन चुका है, बल्कि क्षेत्र के विकास को भी प्रभावित कर रहा है। पिछले वर्ष में यीडा (यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण) ने 35 अवैध कॉलोनियों की पहचान की थी, इन पर पूर्व सीईओ डा अरुणवीर सिंह ने कार्यवाही भी शुरू करवाई थी I किन्तु ऐसा लगता है अब ये रुक गया है I नए सीईओ का ध्यान इस पर नहीं है हालत ये है कि अब इन कॉलोनियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई का प्लान सीईओ के पास नहीं है। जिससे यहाँ अब उन लोगों का रोष और चिंता स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जो अपनी गाढ़ी कमाई यहाँ उधोग लगाने आये थे और अब ज़मीन ना मिलने के चलते फंसे हुए हैं।
अवैध कालोनाइजर के जाल में सस्ते प्लॉट के लालच में फंसे निवासी
सीधा कहें तो पुरे गौतम बुद्ध नगर में तीनो प्राधिकरण में अवैध कालोनियों की बाड आई हुई है किन्तु सबसे जयादा यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में इन दिनों नयी कालोनी काटी जा रही है। सस्ते प्लॉट का लालच बाहर से आये गरीब और माध्यम वर्ग के लोगों को कॉलोनाइजर्स के जाल में फंसा रहा है। असल में जमीन की कीमतों में भारी वृद्धि के चलते, कॉलोनाइजर्स ने किसानों से भूमि खरीदकर, बिना किसी वैधता के कॉलोनियों का विकास शुरू कर दिया। दिल्ली और एनसीआर के विभिन्न इलाकों से लोग अतिसस्ते दामों पर भूखंड खरीदने के लिए आकर्षित हुए। दरअसल, कॉलोनाइजर्स ने केवल भूखंड नहीं काटे, बल्कि अवैध कॉलोनियों में काली पक्की सड़कें, बिजली, पानी और सीवर जैसी सुविधाओं का सब्जबाग दिखा कर निवेशकों को यह विश्वास दिलाया कि उनका निवेश सुरक्षित है। रोचक तथ्य ये है कि इन अवैध कालोनाइजरो द्वारा पुरे जिले में जगह जगह और सोशल मीडिया पर चलाये जा रहे आकर्षक विज्ञापन लोगो को तो दिखाई देते है किन्तु यमुना प्राधिकरण के सीईओ को दिखाई नहीं देते है I ऐसे में कई बार ये प्रतीत होता है कि ऐसे कालोनाइजर प्राधिकरण के अधिकारियों की मूक सहमति से ही इन कालोनियों को काट कर निकल लेते है उसके बाद प्राधिकरण वहां बुलडोज़र की कार्यवाही का दिखावा करता है। इस सब में ना कालोनाइजर, ना ही प्राधिकरण का कुछ नुक्सान होता है बस मासूम आम लोग अपने जीवन भर की कमाई खो देते हैं ।
उम्मीदें और वास्तविकता में चूक
जिस प्रकार से यीडा के पूर्व सीईओ ने दावा किया था कि यीडा इन कॉलोनियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करेगा, उससे स्थानीय लोगों में एक आशा बंधी थी। लेकिन पिछले एक माह में किसी भी सख्त कार्यवाही की अनुपस्थिति ने उनके विश्वास को कमजोर कर दिया है। कॉलोनियों के विकास पर नज़र रखने वाले अधिकारियों की निष्क्रियता ने क्षेत्रीय विकास के लिए गंभीर खतरे उत्पन्न कर दिए हैं। हैरत की बात ये है कि इस पुरे प्रकरण पर सीईओ राकेश कुमार सिंह ने कोई संतोषजनक उत्तर ना देते हुए यीडा के ओएसडी लैंड, शैलेंद्र सिंह से बात करने को कहा।
यीडा के ओएसडी लैंड, शैलेंद्र सिंह ने कहा, “कांवड़ यात्रा के बाद पुलिस की उपलब्धता सुनिश्चित करने के बाद अवैध कॉलोनियों के खिलाफ कार्यवाही शुरू की जाएगी।” किन्तु प्राधिकरण के ऐसे यह बयान लोगो के लिए एक बस निराशा ही देते है। क्या पुलिस की उपलब्धता अवैध निर्मितियों को पहचानने और रोकने के लिए अनिवार्य होती है या पुलिस बल ना मिलने की आड़ में अवैध कालोनाइजर को प्रश्रय दिया जा रहा है, प्रश्न ये है कि आखिर प्राधिकरण के पास भी तक अपने अधिसूचित क्षेत्र में हुए अतिक्रमण पर कोई स्पस्ट जानकारी क्यूँ नहीं है I
नोएडा एयरपोर्ट की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, निर्माण के लिए भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण की अनिवार्य एनओसी एक महत्वपूर्ण पहलू है। प्रशासन ने गांवों में मुनादी कर यह सुनिश्चित करने का दावा किया है कि कोई भी नया निर्माण बिना एनओसी के न हो, लेकिन पुरानी अवैध कॉलोनियों के संबंध में कार्रवाई को लेकर यीडा ने अभी तक कोई ठोस कदम कब उठायेगा।
ऐसे में आज यदि यीडा एक माह बाद भी सीईओ इस समस्या पर कोई सख्त एक्शन नहीं ली पाते है, तो यह स्पष्ट करता है कि एक बड़ा संकट न केवल स्थानीय निवासियों के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए मुँह बाए खड़ा है। अब सवाल यह है कि क्या अवैध कालोनाइजरो के विरुद्ध एनसीआरखबर की इस पर चर्चा अधिकारियों तक अपनी आवाज पहुंचाने का माध्यम बनेगा? क्या यमुना प्राधिकरण इन दुरुस्त अवैध कॉलोनियों को समाप्त करने के लिए सक्रिय कदम उठाएंगी? इसके लिए केवल समय या फिर यमुना प्राधिकरण के सीईओ राकेश कुमार सिंह ही बता सकते हैं।