लखनऊ: उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने सोमवार को पावर कॉर्पोरेशन के अधिकारियों के साथ एक बैठक के दौरान अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए चेतावनी दी कि बिजली विभाग कोई “बनिए की दुकान” नहीं है, बल्कि यह जनता की सेवा का एक साधन है। बैठक का उद्देश्य राज्य में बिजली व्यवस्था में सुधार लाना और उपभोक्ताओं की कठिनाइयों को दूर करना था।
मंत्री शर्मा ने बैठक में उपस्थित सभी अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा, “आपके रिपोर्टिंग के अनुसार सब कुछ ठीक है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। जब ट्रांसफार्मर जलने की घटनाएं हो रही हैं और हम ग्रामीणों के सामने खड़े होकर उनकी मुश्किलों को देख रहे हैं, तब आप कैसे कह सकते हैं कि सब कुछ ठीक है?” उन्होंने कहा कि कागज़ पर तैयार रिपोर्टें वास्तविकता से मेल नहीं खाती हैं।
बैठक में उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि यदि एक घर का बिल न भरा जाए तो पूरे गांव की बिजली कैसे काटी जा सकती है। “यह किस प्रकार का न्याय है?” उन्होंने अधिकारियों से पूछा। मंत्री ने तीखे अंदाज में चेतावनी दी कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो कठोर कार्रवाई की जाएगी। “आपने हमें बदनाम करने की सुपारी ली है क्या?”
मंत्री की टिप्पणी का संदर्भ देते हुए, उन्होंने यह भी कहा कि “गलत जगह विजिलेंस के छापे मारे जा रहे हैं जबकि असली बिजली चोरी करने वाले स्थानों की अनदेखी की जा रही है।” उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं का सामना करें और ‘ऑल इज वेल’ की झूठी रिपोर्ट बनाने का काम बंद करें।
शर्मा ने बैठक में जमीनी सच्चाइयों को सामने लाते हुए कहा, “ट्रांसफार्मर जलने की स्थिति में हफ्तों तक कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, क्या यह न्याय है?” उन्होंने अधिकारियों से उम्मीद जताई कि जल्द ही सुधार होगा, नहीं तो कार्रवाई की जाएगी।
इस दौरान ऊर्जा मंत्री ने अधिकारियों को भरोसा दिलाया कि उनकी प्राथमिकता जनता की सेवा करना है और इसके लिए उन्हें सही और पारदर्शी तरीके से काम करना होगा।