आशु भटनागर । सुबह-सुबह श्रावण शिवरात्रि पर भगवान शिव पर जल चढ़ाकर आफिस में आकर एनसीआरखबर पर आये खबरों और विज्ञापनो की डिटेल्स खोल ही रहे थे कि देखा सामने नारद जी खड़े हैं, हमने हडबडा कर झुककर नमन करते हुए कहा प्रणाम प्रभु, आज शिवरात्रि के दिन आपने दर्शन दिए, हम धन्य हुए । नारद जी आशीर्वाद देते हुए बोले कि आजकल पत्रकार अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं। पत्रकार जनता की आवाज होता है, तुम जनता को क्यु नहीं बता रहे कि यमुना में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ाने कब शुरू होगी और फिल्म सिटी का कब शिलान्यास होगा, क्या फायदा है इस जिले में पत्रकारो के होने का?
हमने कहा प्रभु पत्रकारों की मत पूछो, पत्रकार बस अपनी इज्जत को बचाए फिर रहे हैं। अब साम्यवाद, समाजवाद नहीं है, अब राष्ट्रवाद की आड़ में पूंजीवाद है । जिस प्रदेश में प्रमुख सचिव के एक्सटेंशन को लेकर दो बड़े औद्योगिक घरानो पर अपनी अपनी लाबिंग में लगे होने की चर्चा हैं वहां पत्रकार किसी तरह बस प्रेस विज्ञप्तियां छाप कर काम चला रहे हैं, ये ही बहुत है। अधिकारी हो, पुलिस हो, नेता हो, व्यापारी हो या अपराधी कोई भी धमका देता है। समाचार इन सबके मन का ना हो तो पहले की तरह रंगदारी का नहीं सीधे देशद्रोह के आरोप भी साबित किये जा सकते है।
हमारी बात अनसुना करते हुए नारद जी सख्त होते हुए बोले प्रेस विज्ञप्ति क्यों, प्राधिकरण जाकर सीईओ से पूछो या तुममें अब प्रश्न करने का साहस भी नहीं बचा। उन्हें क्रोधित देख हमने घबराते हुए कहा महाराज 15 दिन हुए है सीईओ को आए हुए, लोग कह रहे है ईमानदार हैं, रिजल्ट देते हैं, पर 3 महीने बाद रिटायरमेट है, वो खुद तय नहीं कर पा रहे कि यहां का माहौल समझे, कुछ काम करें या पत्रकारों से बैठकी पंचायत करें। उनसे आप हवाई जहाज क्यों नहीं उड़ रहा, फिल्म सिटी का शिलान्यास क्यूँ नहीं हो रहा, अतिक्रमण क्यूँ नहीं हठ रहा, जैसे सवाल पूछेंगे तो वह क्या जवाब देंगे ? वह खुद यमुना प्राधिकरण को समझ लें या बचा हुआ समय काट लें, यह ही बड़ी बात है ।
बाकी पूछने को तो प्रभु यमुना प्राधिकरण में एयरपोर्ट से हवाई जहाज उड़ने या फिल्म सिटी के शिलान्यास के अलावा ऐसे कई काम है जो प्राधिकरण के सीईओ से पूछे जा सकते हैं मगर पत्रकार स्वयं भी समझ नहीं पा रहे कि इन दिनों सर्कस बनी यूपी सरकार के निर्देश पर आये सीईओ को प्राधिकरण के प्रोजेक्ट और कार्यशैली समझने के लिए 2 महीने दें या 2 महीने बाद उनकी जगह नया सीईओ कौन आयेगा इसका मंथन शुरू करें।
नारद जी नए सीईओ की त्रिशंकु स्थिति पर पत्रकारों की व्यथा समझते हुए थोड़े शांत हुए बोले सीईओ की स्थिति परिस्थिति को छोड़ो यह बताओ प्राधिकरण की स्थिति क्या है ? जनता के लिए व्यक्ति या सीईओ नहीं, सिस्टम या प्राधिकरण महत्वपूर्ण है।
नारद जी को शांत देख कर हम चहकते हुए बोले प्रभु यमुना प्राधिकरण की स्थिति कागजों में एकदम सही है । पूर्व सीईओ ने कभी ग्रेटर नोएडा में मर्ज होने जा रहे इस प्राधिकरण की वित्तीय स्थिति को इस लायक तो कर ही दिया कि बैलेंस शीट सही हो गई है किंतु अब प्राधिकरण में योजनाओं को धरातल पर उतरने के लिए कठिन परिश्रम, समन्वय और दूरदर्शिता वाले व्यक्ति की आवश्यकता है। फिल्म सिटी, एयरपोर्ट के अलावा 11 अलग-अलग औद्योगिक क्लस्टर भी हैं जिसमें विभिन्न कंपनियों को जमीन दी गई है उन जमीनों के लिए किसानो को मुआवजे भी दिए गए हैं। किंतु वर्तमान में सबसे बड़ा टास्क यमुना क्षेत्र में हो रहे प्राधिकरण की जमीनों पर हो रहे अतिक्रमण और अवैध कॉलोनीयों को रोकने की है । और फिलहाल तो सीईओ इसको लेकर एक्शन में आने को तैयार दिख नहीं रहे है । मात्र 3 महीने के बचे हुए कार्यकाल के लिए कोई भी व्यक्ति बुराई लेने वाले काम क्यों करेगा ?
नारद जी फिर आंखे दिखाते होते हुए बोले अतिक्रमण या अवैध कॉलोनी हटाने में क्या बुराई है, ऐसा लगता है सरकारों, अधिकारियों के साथ पत्रकारों ने भी अवैध कामों को सही मानना शुरू कर दिया है। हम फिर बचाव की मुद्रा में आते हुए बोले प्रभु ऐसी बात नहीं है अधिकारी के पास अगर दो-तीन वर्ष का समय हो तो वह इस तरीके के कार्यों को लेकर एक लंबी योजना बना सकता है । किंतु अगर उसे यह पता हो कि उसका रिटायरमेंट कुछ ही महीने में होना है या फिर अगर एक्सटेंशन मिल भी जाए तो वह भी मात्र कुछ महीनो का होगा तो वह ऐसे कार्य करने से बचना ही चाहेगा। कार्यकाल के आखिरी समय में कोई भी अधिकारी बदनामी क्यों लेगा और अतिक्रमण हटाना औद्योगिक क्षेत्र में एक बड़ी समस्या है, बिना उसके यहाँ पुराने प्रोजेक्ट पूरे नहीं हो सकते है, नए शुरू नहीं सकते है। अगर आप यहां के भूमाफियाओं की लिस्ट निकलेंगे तो उन सबके तार सत्ता पक्ष के नेताओं के साथ ही जुड़े मिलेंगे ऐसे में अधिकारी क्यों दर्द लेगा ।
ऐसे में कुछ महीनो के लिए प्रभु जो हो रहा है वह होने दीजिए जुलाई अंत में अगर मुख्य सचिव बदले गए तो नए के आने पर यहां जो बदलाव दिखेगा उसके आधार पर ही आप एयरपोर्ट, फिल्मसिटी या फिर मेडिकल डिवाइस पार्क इन सब की डेट पूछने की कोशिश करना । नहीं तो यह मान लीजिए की 2026 के मध्य तक कैसे भी करके इन सब चीजों पर कुछ ना कुछ तो हो ही जाएगा आखिर 2027 में प्रदेश सरकार को चुनाव में भी तो जाना है लेकिन तब तक ऐसे ही नई तारीख पर तारिख आती रहेगी ।
नारद जी हमारी बातों से कितने संतुष्ट हुए ये तो पता नहीं, किंतु गंभीर होकर बोले कि फिलहाल तो मेरे जाने का समय हो गया है किंतु जल्द ही तुमसे विस्तृत चर्चा के लिए फिर बैठूंगा हमने भी प्रभु को प्रणाम करते हुए सोचा कि जान बची और मन ही मन भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना की, कि इनके पुनः आने से पहले किसी तरह एयरपोर्ट से हवाई जहाज की उड़ाने शुरू हो जाए और फिल्म सिटी का शिलान्यास हो जाए तो सीईओ कोई भी हो, भले ही पत्रकारों से बैठकी करे ना करे, जबाब दे पाए या ना दें पाए मगर हम नारद जी के तीखे प्रश्नों बचने की स्थिति में आ जाएंगे ।