स्वच्छता के पुरस्कारों में इंदौर और नोएडा का जलवा: नोएडा में सीईओ ने स्वास्थ्य कर्मियों के सम्मान समारोह में स्थानीय नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

NCR Khabar Internet Desk
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केंद्रीय सरकार द्वारा हर साल आयोजित किए जाने वाले वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण (Super Swachh League Cities) में इंदौर ने एक बार फिर से अपनी धाक जमाते हुए निरंतर आठवीं बार सबसे स्वच्छ शहर का खिताब जीता है। इस बार नोएडा ने 3 से 10 लाख जनसंख्या वर्ग में सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार प्राप्त किया है, साथ ही गोल्डन सिटी अवार्ड भी हासिल किया है। यह पुरस्कार बृहस्पतिवार को एक औपचारिक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा प्रदान किया गया।

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बृहस्पतिवार को नोएडा के सेक्टर 18 स्थित रेडिसन होटल में स्वास्थ्य कर्मियों के सम्मान के लिए नोएडा प्राधिकरण द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें नोएडा प्राधिकरण के जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों का सम्मान किया गया बल्कि नोएडा शहर की जनता की जन भागीदारी का भी आभार व्यक्त किया गया इस कार्यक्रम में नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ लोकेश एम, अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी संजय खत्री, वंदना त्रिपाठी, ओएसडी महेंद्र प्रसाद, जन स्वास्थ्य विभाग के उप महाप्रबंधक एसपी सिंह, महाप्रबंधक सिविल अशोक कुमार अरोड़ा, नोएडा एम्पलाइज एसोसिएशन के अध्यक्ष राजकुमार चौधरी, जन स्वास्थ्य विभाग के ओएसडी इंदु प्रकाश, वरिष्ठ प्रबंधक गौरव बंसल व आरके शर्मा आदि मौजूद रहे।

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नोएडा की स्वच्छता यात्रा: एक उल्लेखनीय सफर

नोएडा की स्वच्छता यात्रा की बात करें तो यह यात्रा 2018 से शुरू होती है, जब शहर को 327वां स्थान प्राप्त हुआ था। फिर 2019 में यह 150वें स्थान तक पहुंचा, जिसके बाद 2020 में यह प्रदेश में पहले और देश में 25वें नंबर पर आया। इसके बाद 2021 में नेशनल रैंकिंग में 11वें स्थान पर रहा जबकि 2022 में यह 5वें स्थान पर पहुंच गया। हाल ही में, 2023 में इसे देश भर में 14वां स्थान मिला।

इस बार नोएडा शहर को राष्ट्रपति से सम्मान प्राप्त हुआ, जो कि इसकी सफाई व्यवस्था का एक बड़ा मील का पत्थर है। हालांकि, इसकी रैंकिंग सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन यह ज्ञात है कि शहर ने सुपर स्वच्छ लीग में स्थान पाया है, जहां इसे अन्य 12 शीर्ष शहरों के साथ शामिल किया गया है।

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स्वच्छता सर्वेक्षण में बदलाव का असर

जनवरी 2023 में आवास और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा किए गए बदलावों के तहत, जिन शहरों ने लगातार स्वच्छता सर्वेक्षण में अच्छा प्रदर्शन किया, उन्हें अब रैंकिंग की प्रतिस्पर्धा से बाहर कर दिया गया है। इस बदलाव के तहत सुपर स्वच्छ लीग बनाई गई, जिसमें नोएडा को शामिल किया गया। यह लीग उन शहरों के लिए है जो स्वच्छता के मानदंडों पर उत्कृष्टता दर्शाते हैं।

अन्य शहरों का प्रदर्शन

इस सर्वेक्षण में इंदौर ने अपने शीर्ष स्थान को बरकरार रखते हुए एक बार फिर से स्वच्छता के धर्म को सिद्ध किया। वहीं, गुरुग्राम, जो पिछले वर्ष 140वें स्थान पर था, इस बार 41वें स्थान पर पहुंच गया है। हालांकि, फरीदाबाद ने भी सुधार दिखाया है, देश में 21वीं रैंक हासिल की है। इस सुधार के पीछे नागरिकों के सहयोग और नगर निगम के प्रयास हैं।

स्वच्छता की ओर निरंतर प्रयास

स्वच्छता की दिशा में स्थानीय नागरिकों और प्राधिकरणों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। नोएडा और इंदौर जैसे शहरों में सफाई के लिए संचालित कार्यक्रमों और पहलों का मूल्यांकन इन शहरों की समृद्धि में साफ दिखता है। सही दिशा में निरंतर प्रयास न केवल स्वच्छता को बढ़ावा देते हैं, बल्कि नागरिकों के स्वास्थ्य और जीवनस्तर को भी ऊंचा उठाते हैं।

नागरिकों की भागीदारी और जागरूकता

प्रेस से वार्ता में पत्रकारों से वार्ता करते हुए सीईओ लोकेश एम् ने कहा कि किसी भी स्वच्छता अभियान की सफलता के लिए जमीनी स्तर पर नागरिकों की भागीदारी अनिवार्य है। इसके तहत स्थानीय नागरिकों का संलग्न रहना और स्वच्छता को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना आवश्यक है। अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी संजय खत्री ने नागरिकों को प्रेरित किया कि वे अपने आस-पास के परिवेश को साफ रखने में अपनी भूमिका निभाएं।

आगे के कदम

आगामी स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए, नोएडा को सहयोगी दृष्टिकोण अपनाकर कार्य करना होगा ताकि उनकी रैंकिंग में और सुधार हो सके। इसके लिए ठोस कचरा प्रबंधन, जल संचयन और नागरिक जागरूकता जैसे पहलुओं पर ध्यान देना होगा।

यह स्पष्ट है कि स्वच्छता केवल शीर्ष रैंकिंग हासिल करने का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक स्वस्थ, सुखद और समृद्ध जीवन का आधार भी है। साफ-सुथरे शहर न केवल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं, बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी बेहतर जीवनशैली सुनिश्चित करते हैं।

इस प्रकार, स्वच्छता के इस महायज्ञ में हर एक नागरिक की भागीदारी आवश्यक है। नोएडा के उदाहरण से यह साफ होता है कि जब सरकारी प्रयासों के साथ नागरिकों की भागीदारी मिलती है, तब सफाई के लक्ष्य को प्राप्त करना संभव होता है। स्वच्छता केवल एक सरकार का कार्य नहीं है, बल्कि यह हर एक नागरिक का कर्तव्य है।

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