देश की सर्वोच्च अदालत ने ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा यूनिवर्सिटी में एक BDS छात्रा ज्योति शर्मा द्वारा की गई आत्महत्या के मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए देश की शिक्षा व्यवस्था में संभावित खामियों पर चिंता व्यक्त की है।
न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की। बेंच ने कहा, “शिक्षा व्यवस्था में कुछ गड़बड़ है।” यह टिप्पणी देश भर की उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को लेकर बढ़ती चिंता को रेखांकित करती है।
ज्योति शर्मा, शारदा यूनिवर्सिटी में बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (BDS) की छात्रा थीं, जिन्होंने हाल ही में आत्महत्या कर ली थी। इस दुखद घटना ने न केवल विश्वविद्यालय परिसर में बल्कि पूरे समुदाय में भी शोक की लहर पैदा कर दी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेना इस बात का संकेत है कि अदालत इस मामले को केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी के रूप में नहीं, बल्कि व्यापक शैक्षणिक दबावों और संस्थागत समर्थन प्रणालियों की कमी से जुड़े एक बड़े मुद्दे के रूप में देख रही है।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में शारदा यूनिवर्सिटी को तलब किया है। विश्वविद्यालय को अदालत के समक्ष उपस्थित होकर इस घटना और परिसर में छात्रों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में जानकारी देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम शैक्षिक संस्थानों पर छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक दबावों को कम करने की जिम्मेदारी को मजबूत करता है।
इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को निर्धारित की गई है। स्थानीय निवासियों और शिक्षाविदों की निगाहें इस सुनवाई पर टिकी हुई हैं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का यह हस्तक्षेप भविष्य में देश की शिक्षा प्रणाली में सुधारों और छात्र कल्याण नीतियों में बदलाव का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।