राजनीति के गलियारों से की पहली चर्चा यह है कि गौतम बुद्ध नगर लोकसभा चुनाव में अपनी जमानत गंवा कर हारने वाले एक निर्दलीय प्रत्याशी की अतिसक्रियता अब स्थानीय प्रशासन के लिए एक नई समस्या बनती जा रही है। बताया जा रहा है कि चुनाव परिणाम आने के बाद से ही, छपास के रोगी यह नेता खबरों में रहने के लिए विभिन्न प्राधिकरणों, विभागों में आरटीआई आवेदन देने, अनावश्यक मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपने और अधिकारियों के साथ बेवजह की बैठकों की मांग कर प्रशासन का बहुमूल्य समय और संसाधन बर्बाद कर रहे हैं। उनकी इस “जनसेवा” वाली अतिसक्रियता को लेकर अब राजनीतिक गलियारों से लेकर आम जनता तक में उनका मज़ाक उड़ रहा है। चुनाव परिणाम के बाद अमूमन देखा जाता है कि हारे हुए प्रत्याशी या तो कुछ समय के लिए शांत हो जाते हैं या फिर आत्मचिंतन में लग जाते हैं। पर इस पूर्व प्रत्याशी से स्थानीय कलेक्टर कार्यालय, प्राधिकरण, पुलिस अधीक्षक कार्यालय और अन्य सरकारी विभागों में उनकी आवाजाही इस कदर बढ़ गई है कि अधिकारी भी अब परेशान नज़र आ रहे हैं। कई आरटीआई तो ऐसे विषयों पर हैं जिनकी जानकारी या तो सार्वजनिक है या बेहद तुच्छ प्रकृति की है। यह सब अधिकारियों के लिए अतिरिक्त कार्यभार बन गया है। कुछ का मानना है कि वे अपनी हार को पचा नहीं पा रहे हैं और अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए ऐसे हथकंडे अपना रहे हैं तो कुछ इसकी आड़ में नेताजी की दलाली पर चर्चा कर रहे है। नेताजी की सोसाइटी में रहने वाले एक स्थानीय निवासी ने कहा, “चुनाव में तो उन्हें गिनती के वोट मिले, अब ज़मानत जब्त होने के बाद भी वे चैन से नहीं बैठ रहे। ऐसा लगता है जैसे उन्हें जनता की सेवा से ज़्यादा अपनी ख़बरें बनवाने में दिलचस्पी है। फिलहाल आम जनता उनकी इन गतिविधियों को लेकर मूक दर्शक बनी हुई है और उनके अगले कदम का इंतज़ार कर रही है कि वे कब अपनी इन “जनसेवाओं” पर विराम लगाएंगे।
राजनीति के गलियारों से की दूसरी चर्चा गौतमबुद्ध नगर में दिन रात पार्टी संगठन के कार्यक्रमों को बंधुओ मजदूरो की तह पूरा करने में लगे भाजपा के नाकाम नेताओ की हो रही है। बताया जा रहा है कि नोएडा ग्रेटर नोएडा के इन नेताओ की प्रशासन और जनता के बीच इतना पहुँच और प्रभाव है कि ये लोग अपनी सोसाइटी में हो रही चोरियों पर रिपोर्ट नहीं लिखवा पा रहे है उसके लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट कर गुहार लगा रहे है तो कई की सोसाइटी में हर दुसरे माह बिल्डर सामान्य सुविधाओं को लेकर हाथ खड़े कर देता है। जिससे सुरक्षा गार्ड हड़ताल पर चले जाते है I सूत्रों का दावा है कि भाजपा ने नेताओं की बड़ी फौज तो खड़ी कर दी है पर उनकी सुनता कोई नहीं है । वहीं सरकारी सूत्रों की माने तो आजकल नेता पहले ही अपने कामो को गुपचुप करवाने में लगे रहते है ऐसे में जनहित के कार्यो पर उनकी ठसक पुलिस, प्रशासन या बिल्डर के सामने चलती नहीं है। थक हार कर सोशल मीडिया ही भड़ास का एक साधन बचता है I खैर अब भाजपा के नेता है , उनकी ही सरकार है , उनका ही प्रशासन है हम क्या ही करें ।
राजनीति के गलियारों से की तीसरी चर्चा प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी की गौतम बुद्ध नगर इकाई की है I बताया जा रहा है कि पार्टी ने चुनावो को लेकर तैयारी आरम्भ कर दी है I बीते दिनों नोएडा और ग्रेटर नोएडा दोनों कार्यालयों पर आकर 2027 के चुनाव के लिए आवेदन भी मांगे गये थे I पर जब इस माह राष्ट्रीय अध्यक्ष का जन्मदिवस आया तो सभी नेता खानापूर्ति करते दिखे I चर्चा है कि चुनावों दौर में दोनों शहरो में नेता जी का जन्मदिवस कार्यालय पर केक काटने और ब्लड डोनेशन कैम्प तक सीमित रहा I पार्टी में चर्चा ये है कि जिले की सभी सीटो पर पार्टी 3 चुनावों से हारती आई है I टिकट भी हर बार उन्ही लोगो को मिलता है ऐसे में इस बार भी कोई परिवर्तन होगा इसकी सम्भावना कम ही है ऐसे में सब बस अपने अपने हिसाब से लगे है I टिकट होगा तो चुनाव में पैसा बहायेंगे नहीं तो चुपचाप घर बैठोI पार्टी की जीत तो वैसे भी नहीं होनी है I जब नेताओं कार्यकर्ताओं का मनोबल ऐसा हो तो पार्टी का भविष्य क्या होगा ये समझना मुश्किल नहीं हैI