राजनीति के गलियारों से में इस हफ्ते की पहली चर्चा उत्तर प्रदेश के औद्योगिक मंत्री और प्रमुख सचिव के बीच के तकरार की चर्चाओं को लेकर है । एक दिन पूर्व ही अपना पुनर्जन्म दिवस मना कर बैठे मंत्री जी इन दिनों प्रमुख सचिव के साथ अपनी तकरार को लेकर लगातार चर्चा में है। मामला सरकार में ही दो फाड़ होने जैसा है। मंत्री ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखते हुए मुख्य सचिव समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि कई फाइलें जानबूझकर रोकी जा रही हैं और चहेते लोगों को अनुचित लाभ पहुंचाया जा रहा है। जहां एक ओर मंत्री जी उनके इच्छित अधिकारियो या सेटिंग(?) वाले लोगों के भी ट्रांसफर कर देने के लिए मुख्य सचिव पर तमाम बातें कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर अफसर मंत्री जी के तीन-तीन विभिन्न दलों की सरकारों में रहने के गणित पर प्रश्न उठा रहे हैं I ऐसे में अफसरो का कहना है कि आखिर ऐसा कौन सा चमत्कार है जो मंत्री जी हर सरकार में अपनी गोटी सेट कर लेते हैं और क्या मंत्री जी की अंतरात्मा कभी इन बातों को लेकर परेशान भी होती है जब वर्तमान सरकार में रहकर ये जानते हुए भी पूर्ववर्ती सरकारों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं कि वह भी कभी उन्हीं सरकारों का हिस्सा थे और अगर कभी जांच होगी तो उसके लपेटे में वह भी आ सकते हैं । बहराल मंत्री जी अपने-अपने समर्थकों से प्रदेश के विभिन्न औद्योगिक कमाऊ जिलों में अपना पुनर्जन्मदिन की शुभकामना लेने में लगे हैं । अब ये शुभकामना देने वाले लोग शुभचिंतक है या फिर उनके नाम यहां दलाली की दुकानें सेट कर लिए है यह कोई अराजनीतिक व्यक्ति ही बता सकता है।
दूसरी चर्चा भी इन मंत्री जी और उत्तर प्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री के बीच मतभेद को लेकर है बताया जा रहा है कि जिस दिन मंत्री जी अपना पुनर्जन्म दिवस मना रहे थे उसी दिन मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी व जी एन सिंह के साथ यहां पहुंचे और विभिन्न औद्योगिक परियोजनाओं में की वस्तु स्थिति की जानकारी ली जाने लगी । इसमें केंद्र द्वारा शुरू की गई मेडिकल डिवाइस पार्क की योजना भी शामिल है आपको बता दें उत्तर प्रदेश की पॉलिटिक्स में मंत्री जी को केंद्र का व्यक्ति माना जाता है और उनके मुख्यमंत्री के साथ संबंधों को लेकर तमाम चर्चाएं होती हैं ऐसे में यमुना प्राधिकरण के सीईओ के बदले जाने के बाद अवनीश अवस्थी का निरिक्षण के लिए पहुंचना कई नए संभावित चर्चाओं को जन्म दे रहा है बताया जा रहा है कि मंत्री जी के विवाद के कारण प्रदेश के मुख्य सचिव को विस्तार संभवत: ना ही हो ऐसे में प्रदेश सरकार अब नए अधिकारियों के जरिए औद्योगिक विकास की गति को चेक कर रही है ताकि मंत्री जी के चक्कर में 2027 के चुनाव में कोई नुकसान ना हो जाए ।

तीसरी चर्चा भी मंत्री जी के पत्रकारों से विवाद को लेकर है। हाल ही में नोएडा में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने व्यवहार को लेकर मंत्री जी विवादों के घेरे में आ गए हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों पर एक पत्रकार द्वारा सवाल पूछे जाने के बाद, मंत्री ने कथित तौर पर पत्रकार को “ब्लैकमेलर” कहकर संबोधित किया, जिससे यह मामला सुर्खियों में आ गया है। सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल विडियो पर समाजवादी पार्टी के नेताओं ने मंत्री को “तानाशाही मानसिकता” वाला बताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है। इसी कड़ी में, कांग्रेस ने भी पूरे मामले की स्वतंत्र जांच की मांग उठाई है। मंत्री जी का राजनीतिक कैरियर भी हमेशा विवादों से घिरा रहा है। 2007 में बीएसपी से विधायक बने बाद में सपा और फिर बीजेपी में शामिल हुए। 2022 में बीजेपी से जीतकर मंत्री बने। उन पर पहले से ही 13 आपराधिक मामले दर्ज हैं। अतीक अहमद की पत्नी और बहन ने भी उन पर आर्थिक धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। चर्चा तो यहाँ तक है कि मंत्री के गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) में बिल्डरों के साथ कथित साठगांठ भी हैं। सूत्रों के अनुसार, कुछ बिल्डरों से संबंधित फाइलें नोएडा प्राधिकरण से मंत्री के निर्देश पर विशेष प्राथमिकता से मंगाई जाती हैं। वहीं, कुछ मामलों में उनके करीबी कथित तौर पर सीधे हस्तक्षेप करते हैं। अब सभी की निगाहें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर टिकी हैं कि वह इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अधिकारियो, पत्रकारों और अपनी ही सरकार पर आरोप लगाने वाले मंत्री को मुख्यमंत्री का समर्थन मिलता है, या उन्हें इसका राजनीतिक खामियाजा भुगतना पड़ेगा।