आशु भटनागर । यमुना प्राधिकरण के नए मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) राकेश कुमार सिंह ने अपने कार्यकाल के पहले 45 दिनों में कई सवालों को जन्म दिया है। स्थानीय किसानो और व्यवसायियों में यह चर्चा आम है कि क्या राकेश कुमार सिंह की कार्यप्रणाली से प्राधिकरण में कोई सकारात्मक बदलाव आया है, या यह केवल आसमान में उड़ती बातें हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जहाँ आने वाले दिनों में ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के लिए तैयारी शुरू कर दी है। नवंबर में होने वाले इस कार्यक्रम के जरिये प्रदेश में पांच लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव को धरातल पर उतारने की तैयारी है। इन्वेस्ट यूपी ने यमुना प्राधिकरण से औद्योगिक आवंटन के लिए उपलब्ध जमीन, आधारभूत ढांचे, पालिसी, आवंटन दर समेत अन्य जानकारी मांगी हैं। वहीं ऐसी खबरों से इस पूरी मुहीम को बड़ा झटका लग सकता है।
पहले 45 दिनों में, कई लोगों का मानना है कि नए सीईओ ने केवल अधीनस्थ अधिकारियों को डाटने और अपनी छवि को प्रमोट करने का कार्य किया है। हाल ही में, एक किसान जो अपनी समस्याओं को लेकर सीईओ के पास गया था, क्या उसे सीईओ की कार्यशैली से सफलता हाथ लगी। मीडिया में दावा है कि सीईओ ने उसके नाम पर न सिर्फ अधीनस्थ कर्मचारी को डांट लगाने और उसे अपनी गाडी से उसके ऑफिस भेजे जाने के विडियो जिस तरह से बाहर आये उससे ये मामला समस्या सुलझाने से अलग अपनी छवि बनाने का लगा है। यह रवैया न केवल किसानों में, व्यापारियों में बल्कि अधीनस्थो भी असंतोष पैदा कर रहा है।

किसी भी सीईओ के लिए ईमानदार होने के साथ साथ या फिर उससे जयादा व्यवहारिक और परिणाम देने वाला होना आवश्यक है। सिर्फ ईमानदारी के आवरण से संस्थाओं का हास होता है । जिले में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार ग्रेटर नोएडा प्रधिकरण में 15 वर्ष पूर्व एक ऐसे ही अधिकारी को याद करते हुए कहते है कि उन्होंने अपने दौर में हर प्रोजेक्ट पर जांच बैठा दी जिसका परिणाम ये हुआ कि उनकी ईमानदारी की तो चर्चा हुई पर प्राधिकरण और लोगो को कोई फायदा नहीं हुआ।
व्यवसायियों में भी नई शिकायतें उभरकर सामने आ रही हैं। चर्चा है कि पुराने सीईओ के समय में वे हमेशा अच्छे समर्थन और सहयोग का अनुभव कर रहे थे, जबकि राकेश कुमार सिंह के आगमन के बाद से ऐसा माहौल नहीं दिखता है। नाम न बताने की शर्त पर यहाँ उधोग लगाने आये कई उधोगपतियो का कहना है कि उनके लिए यहाँ उधम लगाना अब कठिन लग रहा है। ऐसे में निवेश मित्रो के फ़ोन आने के बाबजूद उधमी यहाँ नवंबर में होने वाली ग्राउंड सेरेमनी के लिए टालमटोल कर रहे है। आपको बता दें बीते माह इन्वेस्ट यूपी के माध्यम से यमुना प्राधिकरण को 57 निवेश प्रस्ताव भेजे गए हैं, लेकिन प्राधिकरण ने अभी तक तीन प्रस्तावों को धरातल पर उतारने के लिए जमीन आवंटन किया है। दस प्रस्तावों के लिए सिर्फ आशय पत्र जारी किया गया है।
“हमने पुराने सीईओ के भरोसे पर ज़मीनें लीं, लेकिन नए सीईओ के साथ अब ऐसा नहीं लग रहा है कि उद्योगपतियों के लिए यहां अनुकूल माहौल है, किसानो से अभी तक विवाद जारी है। अतिक्रमण को लेकर प्राधिकरण के सीईओ की पालिसी नज़र नहीं आ रही है ऐसे उधमी के लिए कर्मचारियों की सुरक्षा, उनके लिए स्कुलो अस्पतालों के ना होने को लेकर कई चिंताए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार इज ऑफ डूइंग की बातें करती है पर धरातल पर अनुभव कटु हैं ”
उधमी
ऐसे गंभीर मुद्दों के चलते, कुछ व्यापारी जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलने का रास्ता प्रशस्त करने पर विचार कर रहे हैं। यह चर्चा हो रही है कि यदि सीईओ के ऐसे रवैये से लालफीताशाही का दौर एक बार फिर शुरू होता है, तो 2015 की स्थिति से निपटना मुश्किल हो जाएगा, जब प्राधिकरण को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में मर्ज किए जाने की चर्चाएं चल रही थीं।
लोगो का आरोप है कि पिछले सीईओ की जनहित की कई आवासीय योजनाओं पर नए सीईओ ने कोई ठोस योजना तैयार नहीं की है I चर्चा है कि डा अरुणवीर सिंह ने यहाँ लग रही कम्पनियों में काम करने वाले मजदूरो के 30 मीटर प्लाट लाने की एक बड़ी योजना को बोर्ड से पास कराया था I इस स्कीम के तहत औद्योगिक श्रमिकों और कम आय वाले अन्य लोगों (EWS Category) को महज 7.5 लाख रुपये में 30 मीटर (करीब 35 गज) आवासीय प्लॉट मुहैया कराया जाना था। एयरपोर्ट के पास यीडा सिटी में सेक्टर 18 और 20 में कुल 28,000 प्लाट वाली इस योजना के प्रथम चरण में 8288 प्लॉट की योजना को लॉन्च कराना था। इसी बीच सीईओ डा अरुणवीर सिंह के सेवा निवृत होने के बाद योजना ठन्डे बस्ते में चली गयी I प्राधिकरण के सूत्रों की माने तो नए सीईओ की ऐसी जनहित योजनाओं में फिलहाल कोई रूचि नहीं हैI
सवाल यह उठता है कि क्या राकेश कुमार सिंह को किसानों और व्यवसायियों की समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करने की प्रेरणा मिलेगी, या उन्हें सभी मुद्दों का समाधान करने के लिए उनकी सेवानिवृत्ति का इंतजार करना होगा? ऐसे सवालों ने न केवल प्राधिकरण के भीतर, बल्कि स्थानीय किसानो, व्यवसायियों और निवासियों के बीच भी बेचैनी का माहौल बना दिया है।
1 मिलियन डालर की इकानमी बनाने का सपना देखने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को ये समझना होगा ग्राउंड सेरेमनी से 3 माह पहले, यमुना प्राधिकरण में बहुत कुछ इसी बात पर निर्भर करता है कि यमुना प्राधिकरण सीईओ किस प्रकार की नीतियां अपनाते हैं। क्या वे सिर्फ अपनी शक्तियों को प्रदर्शित करने में लगे रहेंगे, या स्थानीय किसानो, व्यवसायियों और यहाँ आने वाले गरीब कामगारों की भलाई के लिए वास्तव में कार्य करेंगे? यह इन सभी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है कि सीईओ की प्राथमिकता उनमें हो या फिर मात्र 45 दिन बाद उनके सेवानिवृत्त होने के बाद कोई जनहित की प्राथमिकता वाला सीईओ नियुक्त हो।