क्या नोएडा प्राधिकरण अपनी जिम्मेदारियों को उचित तरीके से निभा रहा है? स्थिति ऐसी बन रही है कि स्थानीय निवासियों और जागरूक नागरिकों में गहरी निराशा और आक्रोश पनप रहा है, और इसकी वजह बन रहे हैं अवैध निर्माण के खिलाफ की गई औपचारिक कार्रवाई के बावजूद कब्जाधारियों का बढ़ता हौसला। बीते दिनों प्राधिकरण की और से जो रिपोर्ट दर्ज कराई गई उसमें कहा गया कि ग्राम वाजिदपुर, तहसील दादरी, जनपद गौतमबुद्धनगर स्थित नोएडा की अर्जित कब्जा प्राप्त भूमि खसरा संख्या 111, 113 व 107 पर अवैध, अनाधिकृत निर्माण हो रहा है।
प्राधिकरण के जूनियर इंजीनियर (जेई) हरेन्द्र मलिक ने हाल ही में गांव में अवैध निर्माण की शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन उनकी यह कोशिशें उस समय बेमानी साबित हुईं, जब उन्हीं लोगों ने फिर से निर्माणकार्य शुरू कर दिया, जिनके खिलाफ कार्रवाई की गई थी। यह घटना यह दर्शाती है कि कब्जाधारी प्राधिकरण की चेतावनियों और कानूनी कार्रवाई को कितनी गंभीरता से ले रहे हैं।
प्राधिकरण द्वारा दर्ज की गई रिपोर्ट के अनुसार, ग्राम वाजिदपुर में कुछ व्यक्तियों ने बिना अनुमति और बिना किसी वैध निर्माण के, प्राधिकरण की उपयुक्त भूमि पर बहुमंजिला इमारत खड़ी कर दी है। जिन व्यक्तियों के खिलाफ यह कार्रवाई की गई, उनमें संजय चैहान, देवेंद्र चैहान, अतुल और अभिषेक जैसे नाम शामिल हैं। रिपोर्ट में यह साफ कहा गया है कि यह निर्माण न केवल अवैध है, बल्कि यह प्राधिकरण द्वारा किए जा रहे सुनियोजित विकास में भी बाधा उत्पन्न कर रहा है।
अनदेखी की सीमा:
लेकिन सवाल यही उठता है कि जब प्राधिकरण की ओर से इतनी स्पष्ट जानकारी और सबूत हैं, तो फिर कार्रवाई में क्या रुकावट आ रही है? क्या प्राधिकरण केवल दिखावे के लिए कार्यवाही करता है, या भू-माफियाओं के खिलाफ लड़ाई में उसकी ईमानदारी पर सवाल उठाना आवश्यक है? यदि थाने में रिपोर्ट दर्ज करने के बाद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो एक सामान्य नागरिक को यह अनुभूति होती है कि प्राधिकरण का अपना ही कोई डेटा-प्रबंधन नहीं है, और यह उस स्थिति को गंभीरता से नहीं ले रहा है जिसको सुलझाने का यह चुनौतीपूर्ण दायित्व लिया है।
भू-माफिया का बढ़ता प्रभाव:
यह फिर से उसी प्रश्न की ओर हमें लौटाता है: क्या भू-माफियाओं का प्रभाव प्राधिकरण की प्रयासों पर इस स्तर तक बढ़ गया है कि वे बिना किसी अर्थपूर्ण परिणाम के कार्रवाईयों का मज़ाक उड़ाते हैं? क्या भू-माफिया ने इस इलाके में अपना एक ऐसा आडंबर खड़ा कर लिया है जो कि किसी भी प्राधिकरण की कार्यवाही को बेमानी बना देता है?
यह वक्त है कि प्राधिकरण अपनी कार्यप्रणाली पर पुनर्विचार करे और इस अवैध निर्माण के खिलाफ केवल दिखावे की कार्रवाई करने के बजाय ठोस कार्रवाई करने का संकल्प ले। अन्यथा, यह स्थिति केवल और भी खराब होती जाएगी, और अंततः स्थानीय निवासियों के लिए सुरक्षित और व्यवस्थित विकास का सपना मात्र एक दुष्कर कार्य रह जाएगा।