आशु भटनागर। नोएडा-ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में रियल एस्टेट बाजार ने हाल के महीनों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है। एनारॉक रिसर्च की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, नोएडा के सेक्टर-150 में प्रॉपर्टी की कीमतें रिकॉर्ड 139% की वृद्धि के साथ ₹13,600 प्रति स्क्वायर फुट तक पहुंच गई हैं। वहीं, किराए में भी 71% की बढ़ोतरी देखी गई है, जिससे 2BHK का औसत किराया पहले के ₹16,000 से बढ़कर ₹27,300 तक पहुँच गया है।
हालांकि इस तेजी के पीछे क्या कारण हैं और क्या यह वृद्धि स्थायी होगी, इस पर विशेषज्ञों के बीच चर्चा जारी है। रियल एस्टेट सेक्टर में यह बदलाव आर्थिक स्थिरता की ओर एक संकेत हो सकता है, लेकिन निचले मध्यम वर्ग के लोगों के लिए यह एक हाथ से फिसलती ज़िंदगी की कहानी बनकर उभरी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि संक्रमणकालीन स्थिति में मध्यम वर्ग के लिए बढ़ती कीमतें और किराया जीवन यापन को अत्यंत कठिन बना रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, मासिक आय का लगभग 80% हिस्सा आवश्यक खर्चों में चला जा रहा है, जिसमें होम लोन की भारी किस्तें, किराया, बच्चों की स्कूल फीस और अन्य घरेलू खर्च शामिल हैं।
स्थानिक अव्यवस्था के चलते, जैसे कि नोएडा-ग्रेटर नोएडा में फ्लैट न मिल पाना और रजिस्ट्रियों की लंबी प्रक्रिया, यह निश्चित करने में सहायक है कि रियल एस्टेट का यह तेजी से बढ़ता बाजार संदेहास्पद है। ग्रेटर नोएडा में गोल्डन आई जैसे कई कमर्शियल प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक पूरा कर चुके कुलदीप सिंह का मानना है कि बड़े निवेशक बाजार को कंट्रोल कर रहे हैं। मगर इस तेजी का एक दुष्परिणाम भी है: जब बाजार अस्थिर होता है, तो निवेशकों के लिए अपने निवेश को बनाए रखना मुश्किल हो जाता है।
वर्तमान में, ग्रेटर नोएडा और यमुना क्षेत्र में प्रीमियम आवासीय प्रोजेक्ट्स की कीमतें ₹8,000 से ₹9,000 प्रति स्क्वायर फुट की जगह ₹1200 से ₹13,000 प्रति स्क्वायर फुटपर है, लेकिन यदि निवेशक पहले से ही बढ़ी हुई कीमतों पर खरीददारी कर रहे हैं, तो बाजार में स्थिरता आना कठिन हो सकता है।
2016 में ग्रेटर नोएडा के कनॉट प्लेस मॉल में 300 स्क्वायर फीट की एक दुकान में अपना पैसा इन्वेस्ट करने वाले संजय कुमार बताते हैं कि ऐसी ही तेजी देख पर उन्होंने अपने जीवन भर की कमाई फंसा दी है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से पार्शियल ओसी लेकर बिल्डर ने निवेशको से तो पूरे पैसे वसूल लिए किंतु आज तक माल का बड़ा हिस्सा पूरा नहीं है। और ये केवल एक प्रोजेक्ट की कहानी भर नहीं है ऐसे कई प्रोजेक्ट में इन्वेस्टर निकलना चाह रहे हैं पर निकल नहीं पा रहे है। ऐसे में नए प्रोजेक्ट में बढ़ती कीमतें पुराने इन्वेस्टर के लिए चिंता और बढ़ा देती है इन निवेशकों को यह डर भी लग रहा है कि कहीं इस तेजी से आने वाले समय में कई नए कनॉट प्लेस पैदा ना हो जाए।
भले ही निवेशकों की मदद से कीमतें बढ़ रही हों, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस बाजार में अपेक्षित दीर्घकालिक बुनियादी सुधार की कमी एक गंभीर चुनौती बन सकती है। अगर कीमतों में एक बुलबुला फूटता है, तो भारतीय रियल एस्टेट बाजार को संभालना एक चुनौती होगी।
सम्पूर्णता में, नोएडा और ग्रेटर नोएडा का रियल एस्टेट बाजार तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन यह तेजी आम लोगों के जीवन पर भारी पड़ रही है। योग्य निवेशकों को अब यह तय करना होगा कि क्या वे बाजार में बने रहना चाहते हैं या तेजी के प्रति सतर्क रहकर जोखिम में नहीं पड़ना चाहेंगे।
अंततः, समय बताएगा कि क्या यह वृद्धि वास्तव में क्षेत्र के विकास के लिए एक स्थायी समाधान है, या फिर यह एक टेम्पोररी बुलबुला है जो अंततः फूटने के लिए तैयार है।