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RWA की राजनीती और नोएडा प्राधिकरण की जर्जर जल और सीवरेज व्यवस्था: क्या है समाधान?

आशु भटनागर। हाल ही में गोल्डन सिटी अवार्ड से नवाज़े गए नोएडा शहर की जल और सीवरेज व्यवस्था की सचाई किसी से छिपी नहीं है। 50 वर्षों से अधिक पुरानी इस व्यवस्था के ढांचे की हालत काफी गंभीर हो गई है। एक घंटे की बारिश से ही सीवर लाइनें जाम हो जाती हैं, जिससे सड़कों पर पानी भर जाता है और यातायात व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो जाती है। इससे न केवल लोगों की आत्म-सुरक्षा को खतरा पैदा होता है, बल्कि यह शहर की अव्यवस्थाओं को भी उजागर करता है।

नोएडा प्राधिकरण के जल एवं सीवर विभाग के उच्च अधिकारियों से सामान्य नागरिकों की ओर से पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देने में असमर्थता ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। वरिष्ठ पत्रकार राजेश बैरागी ने इस मुद्दे पर अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी सतीश पाल से जानकारी जुटाने की कोशिश की, लेकिन अव्यवस्था की सच्चाई से पर्दा उठाने के लिए न तो स्पष्ट आंकड़े उपलब्ध थे और न ही विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारी पर विश्वास किया जा सकता है।

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नोएडा के वरिष्ठ पत्रकार राजेश बैरागी द्वारा द्वारा नोएडा प्राधिकरण के जल एवं सीवर विभाग के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी सतीश पाल से निम्नलिखित बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई थी –
1) नोएडा शहर में सीवरेज और पेयजल की लाइनों की लम्बाई कितनी है?
नोएडा शहर में डाली गई सीवरेज और पेयजल की लाइनें कितने वर्ष पुरानी हैं?
इन लाइनों की आयु कितनी होती है?
क्या सीवरेज और पेयजल में बहने वाले रसायनों से इन लाइनों की आयु पर कोई असर आता है?
क्या जमीन के नीचे दबी इन लाइनों में लीकेज की जानकारी हासिल करने के लिए कोई मैकेनिज्म है? यदि नहीं है तो लीकेज से होने वाली जमीन धंसने की घटनाओं से कैसे बचा जा सकता है?

सीवरेज और पेयजल लाइनों की सामान्य आयु 20 वर्ष होती है, और इन लाइनों में उत्पन्न होने वाली गैसों से ये अपनी आयु से पहले ही कमजोर हो जाती हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि नोएडा प्राधिकरण के पास न तो किसी प्रकार की निगरानी तंत्र है और न ही समस्या का समाधान निकालने की इच्छाशक्ति।

सेवानिवृत्त अभियंता, नोएडा प्राधिकरण

नोएडा की सीवरेज और पेयजल लाइनों की कुल लम्बाई लगभग 1,500 किलोमीटर बताई जा रही है, जिनमें से अधिकांश लाइनों की आयु 40 वर्षों से अधिक हो चुकी है। यहां सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह उठता है कि नागरिकों की आवाज़ सुनी क्यों नहीं जा रही है? नोएडा प्राधिकरण के सामान्य नागरिको के प्रति जवाबदेही से बचने की प्रवृत्ति और आरडब्ल्यूए नेताओं की जमीनी समस्याओं की अनदेखी करने की मानसिकता से नागरिकों का विश्वास उठता जा रहा है। देखा जाए तो प्राधिकरण के चतुर अधिकारियो ने सामान्य जनता के प्रश्नों से बचने के लिए पहले RWA और फिर RWA के संघ के नाम पर FONRWA (FederationOfNoidaRWA) जैसी एक NGO को नोएडा वासियों का भाग्य बना कर खड़ा कर दिया I अब ये संस्था सिर्फ राजनीति का अखाडा बन गयी है जिसके चलते दूसरा पक्ष यह है कि शहर में रहने वाले लोग आमतौर पर अपनी समस्याओं को सीधे प्राधिकरण तक पहुंचाने में असमर्थ नहीं होते और केवल सोशल मीडिया पर अपनी व्यथा व्यक्त करते हैं।

आरडब्ल्यूए का नाम लेकर स्थानीय चुनावों में जीतने की कोशिश कर रहे कथित नेता अक्सर ऊपर से ही दिखावे की राजनीति करते हैं। उदाहरण के लिए, सेक्टर 50 के आरडब्ल्यूए अध्यक्ष ने विपक्ष के नेता से प्राधिकरण से 12 करोड़ रुपये के कार्य कराए जाने का दावा किया, जबकि उसी क्षेत्र में सीवर लाइन फटने की घटनाएं हो रही हैं। ऐसा में प्रश्न ये है कि 12 करोड़ के खर्च के बाबजूद असली समस्याओ पर RWA अध्यक्ष का ध्यान नहीं था या कि उन्हें असली समस्याओं के समाधान से अधिक अपनी राजनीतिक पूंजी बढ़ाने में दिलचस्पी है, इस खेल में घोटालो की सम्भावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है I

कर्मचारियों का ध्यान मेन्टेनेंस के नाम पर बतौर बिल बढ़ाने में ही होता है, जिससे शहर में वास्तविक समस्याओं का समाधान नहीं होता। बिना ठोस कार्यों की जगह RWA के इन कथित नेताओं को प्रसन्न करने ने की चाह में सतही सफाई पर ध्यान देने से नोएडा प्राधिकरण को गोल्डन सिटी अवार्ड मिल जाता है, जबकि वास्तविकता में नागरिकों को अब भी जल, सीवर और सफाई जैसी बुनियादी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

एक RWA के द्वारा 12 करोड़ के खर्च के कथित दावे को अगर सही न भी मान कर मात्र 6 करोड़ औसत माना जाए तो भी नॉएडा के 168 सेक्टर पर इस हिसाब से 1000 करोड़ का खर्च बैठ रहा है उसके बाबजूद भी नोएडा में जल, सीवर और सफाई बेहाल है तो 1000 करोड़ कहाँ जा रहे है इसकी जांच आवश्यक है I ये प्रश्न इसलिए भी है कि वर्षो वर्ष RWA के चुनाव नहीं होते है होते भी है तो इनमे सामान्य लोगो को आने नहीं दिया जाता है, हालात ये है कि कई सेक्टरो में बीते दशक भर से कुछ भी लोग पद बदल बदल कर लगे रहते है जिसका कारण विकास कार्यो के नाम पर और सेक्टरो में कम्युनिटी सेंटर के ठेकों और बुकिंग के नाम पर होने वाला भ्रष्टाचार मुख्य कारण है और इसमें हिस्सेदारी न होने पर विभिन्न माध्यमो से विरोध और ज्ञापन भी होने लगते है

निष्कर्ष के तौर पर, प्राधिकरण की जर्जर स्थिति के बीच, अगर कुछ ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो नोएडा के नागरिकों को और भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। यह समय है कि प्राधिकरण को अपनी जिम्मेदारियों का गंभीरता से ध्यान रखना होगा और नागरिकों की आवाज़ को सुनना होगा। वरना, गोल्डन सिटी का तमगा सिर्फ एक दिखावा बनकर रह जाएगा।

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आशु भटनागर

आशु भटनागर बीते 15 वर्षो से राजनतिक विश्लेषक के तोर पर सक्रिय हैं साथ ही दिल्ली एनसीआर की स्थानीय राजनीति को कवर करते रहे है I वर्तमान मे एनसीआर खबर के संपादक है I उनको आप एनसीआर खबर के prime time पर भी चर्चा मे सुन सकते है I Twitter : https://twitter.com/ashubhatnaagar हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I एनसीआर खबर पर समाचार और विज्ञापन के लिए हमे संपर्क करे । हमारे लेख/समाचार ऐसे ही सीधे आपके व्हाट्सएप पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक मूल्य(501) हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये देकर उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे

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