यमुना नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन हाल के दिनों में कोंडली ड्रेन के कारण स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोंडली ड्रेन यमुना नदी को प्रदूषित करने में मुख्य भूमिका निभा रहा है। इसके विरोध में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नोएडा प्राधिकरण पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
इस मुद्दे को लेकर नोएडा प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। प्राधिकरण का कहना है कि उनकी ओर से यमुना के प्रदूषण को रोकने के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं, जिसमें 8 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs) का कार्य करना शामिल है। इन प्लांट्स की कुल क्षमता 411 मिलियन लीटर डेली (एमएलडी) है।
प्राधिकरण का कहना है कि जल्द ही 180 एमएलडी क्षमता के दो नए STPs भी स्थापित किए जाएंगे, जिससे उपचारित पानी को नोएडा के विभिन्न सेक्टरों में ग्रीन एरिया में सिंचाई के लिए उपयोग किया जाएगा। कदम उठाने की योजनाओं में, सेक्टर-62 में खोडा-मकनपुर के पास अतिरिक्त 16,000 वर्ग मीटर जमीन पर नया एसटीपी निर्माण प्रस्तावित है, जिसके अंतर्गत 100 एमएलडी सीवेज को निस्तारित करने की योजना है।
इस बीच, प्राधिकरण ने यह भी स्वीकार किया है कि कई सोसाइटियों में STPs का कार्य नहीं हो रहा है और इसके लिए ज़िम्मेदार सोसाइटियों पर जुर्माने लगाने की बात भी की जा रही है। कहा जा रहा है कि यदि कोई सोसाइटी अपने परिसर में सीवेज ट्रीटमेंट की सुविधा उपलब्ध नहीं कराती है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि पर्यावरणविद् अभिष्ट कुसुम गुप्ता की याचिका पर एनजीटी का यह आदेश आया था, जिसमें उन्होंने यह दावा किया था कि नोएडा प्रशासन स्थानीय सीवरों का गंदा पानी कोंडली ड्रेन के माध्यम से यमुना में डाल रहा है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 13 अगस्त को इस मामले पर फैसला सुनाया जाएगा, जो यमुना नदी और स्थानीय निवासियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।