नोएडा में आवारा कुत्तों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि ने स्थानीय निवासियों के लिए चिंता का विषय बना दिया है। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, पिछले सात महीनों में लाखों लोग आवारा और पालतू कुत्तों के हमलों का शिकार हुए हैं। समस्या इतनी गंभीर हो गई है कि जुलाई महीने में अकेले 18,000 से अधिक कुत्ते काटने के मामले सामने आए हैं, जबकि पिछले दो महीनों में 32,000 से ज्यादा लोग बंदरों और बिल्लियों से भी प्रभावित हुए हैं।
स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, इस बढ़ते खतरे के चलते जिला अस्पताल सहित अन्य सरकारी संस्थानों में लाखों लोगों को एंटी रैबिज वैक्सीन दी जा चुकी है। यह समस्या केवल कुत्तों तक सीमित नहीं है, क्षेत्रवासियों को अब बिल्लियों और बंदरों के हमलों का भी सामना करना पड़ रहा है।
नोएडा प्राधिकरण की ओर से इस समस्या के समाधान के लिए उठाए गए कदमों की कमी ने स्थानीय लोगों को निराश किया है। डॉग लवर्स और आम नागरिकों के बीच इस मुद्दे पर लगातार झगडे होते रहते है, लेकिन सार्वजनिक सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आवारा कुत्तों की संख्या में वृद्धि का मुख्य कारण है कुत्तों के प्रति लापरवाह रवैया और सड़कों पर पशुओं को नियंत्रित करने की विफलता।
स्थानीय निवासियों ने इस समस्या को लेकर प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए हैं। गौर सिटी में रहने वाले एक निवासी ने कहा, “आवारा कुत्ते अब हमारी सुरक्षा के लिए खतरा बन चुके हैं। हमें महसूस होता है कि कोई सुनने वाला नहीं है।”
नोएडा के विभिन्न गांवों और सेक्टरों में बढ़ते डॉग बाइट के मामलों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंताओं को बढ़ा दिया है। जनवरी से जुलाई के बीच दर्जनों मामलों ने अधिकारियों को चेतावनी दी है कि स्थिति पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है।
जैसे-जैसे समस्या बढ़ती जा रही है, स्थानीय नागरिक यह उम्मीद कर रहे हैं कि शासन अपने दायित्वों को समझेगा और आवारा जानवरों के नियंत्रण के लिए ठोस पहलों का आयोजन करेगा। इस स्थिति पर ध्यान केंद्रित करने के लिए नागरिकों की मांग और प्रशासन की जिम्मेदारी को समझना अत्यंत आवश्यक है, ताकि सभी के लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।