उत्तर प्रदेश के सिटी आफ अपेरल के नाम से जाने वाले गौतम बुद्ध नगर जिले के निर्यातकों पर अमेरिकी टैरिफ का खतरा मंडरा रहा है, जिसने स्थानीय अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंकाओं को जन्म दे दिया है। 25 प्रतिशत तक के टैरिफ और जुर्माने की घोषणा के बाद से, निर्यात समुदाय में गहरी चिंता व्याप्त है। टैरिफ लागू होने की तारीख में बार-बार की जा रही देरी ने जहां एक ओर अनिश्चितता का माहौल बनाया है, वहीं दूसरी ओर उद्यमियों के मन में यह आस भी जगाई है कि शायद ये अमेरिका की एक गीदड़ भभकी साबित हो।
फिलहाल अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बडबोलेपन की अनिश्चितता की यह स्थिति न केवल निर्यात क्षेत्र को प्रभावित कर रही है, बल्कि जिले के समग्र बाजार पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। स्थानीय व्यापारियों का मानना है कि यदि यह टैरिफ लागू हो जाता है, तो बाजार में मंदी का एक लंबा और गंभीर दौर शुरू हो जाएगा, जिससे व्यापक स्तर पर आर्थिक नुकसान हो सकता है और लोगो के रोजगार पर असर पद सकता है।
अनिश्चितता का माहौल और उद्यमी असमंजस में
अमेरिकी टैरिफ की घोषणा के बाद से ही, जिले के हजारों निर्यातक लगातार असमंजस की स्थिति में हैं। एक तरफ उन्हें यह चिंता सता रही है कि टैरिफ लागू होने से उनके उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता घट जाएगी और मांग में भारी कमी आएगी। वहीं, दूसरी तरफ, टैरिफ लागू होने की तारीख का बार-बार आगे बढ़ना, उन्हें एक मिली-जुली भावना दे रहा है। यह देरी कुछ हद तक राहत देती है कि शायद राष्ट्रपति के उलट अमेरिकी प्रशासन इस पर गंभीरता से विचार कर रहा है, लेकिन लगातार बदलती स्थिति उन्हें भविष्य की योजनाओं को अंतिम रूप देने से रोके रखती है।
निर्यातकों का कहना है कि वे न तो बड़े ऑर्डर ले पा रहे हैं और न ही नई निवेश योजनाएं बना पा रहे हैं, क्योंकि उन्हें यह नहीं पता कि कल उनके उत्पादों पर कितनी लागत आएगी और वे बाजार में कितने प्रतिस्पर्धी रह पाएंगे। यह अनिश्चितता व्यापारिक गतिविधियों में ठहराव ला रही है।
जिले की आर्थिक रीढ़ पर सीधा प्रहार
सिटी आफ अपेरल के नाम से जाने वाला गौतम बुद्ध नगर जिला देश के उन अग्रणी जिलों में से एक है जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आंकड़ों के अनुसार, जिले से लगभग 35 हजार से अधिक उद्यमी विश्व के विभिन्न बाजारों में विविध प्रकार के उत्पादों का निर्यात करते हैं। सालाना करीब 52 हजार करोड़ रुपये का निर्यात किया जाता है, जो जिले की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा आधार है।
इन निर्यात उत्पादों में मुख्य रूप से गारमेंट एक्सपोर्ट, ऑटो पार्ट्स, इलेक्ट्रिक उपकरण, सुरक्षा उपकरण, हस्तशिल्प, हथकरघा उत्पाद और अन्य विशिष्ट वस्तुएं शामिल हैं। ये सभी उत्पाद हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करते हैं, जिससे स्थानीय परिवारों की आजीविका चलती है।
आंकड़ों पर गौर करें तो, विश्व के सभी देशों की तुलना में अकेले अमेरिका से ही हमारे जिले का करीब 39 प्रतिशत निर्यात होता है। यह दर्शाता है कि अमेरिकी बाजार पर हमारी निर्यात निर्भरता कितनी अधिक है। ऐसे में अमेरिका द्वारा अचानक 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के साथ-साथ जुर्माना लगाने की घोषणा, इस क्षेत्र के लिए एक बड़े झटके से कम नहीं है।
मंदी का डर, कारखानों में छंटनी और अंततः बेरोजगारी बढ़ने की आशंका
निर्यातकों को सबसे बड़ा डर यह सता रहा है कि टैरिफ लागू होने से उनके उत्पादों की कीमत में भारी बढ़ोतरी हो जाएगी। बढ़ी हुई कीमत के कारण अंतरराष्ट्रीय खरीदार अन्य प्रतिस्पर्धी देशों की ओर रुख कर सकते हैं, जिससे निर्यात में भारी गिरावट आएगी। इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा, जिससे कारखानों में छंटनी और अंततः बेरोजगारी बढ़ने की आशंका है।
यह संकट केवल निर्यातकों तक ही सीमित नहीं रहेगा। स्थानीय व्यापारियों ने भी गहरी चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि निर्यात में कमी का मतलब है – उद्योगों में कम पैसे का प्रवाह, जो अंततः मजदूरों और कर्मचारियों की आय को प्रभावित करेगा। जब लोगों के पास खर्च करने के लिए कम पैसे होंगे, तो स्थानीय बाजार में उत्पादों की मांग घटेगी। इससे छोटे से लेकर बड़े सभी व्यापार प्रभावित होंगे, दुकानें बंद हो सकती हैं और समग्र रूप से बाजार में मंदी का एक लंबा दौर शुरू हो सकता है। यह एक ऐसी स्थिति है जो जिले के हर नागरिक को सीधे तौर पर प्रभावित करेगी।
ऐसे में भारत सरकार अमेरिकी प्रभाव को कम करने के लिए जल्द ही क्या रास्ते अपनाती है, अमेरिका के बाज़ार के बदले नए देशो में कैसे भारतीय निर्यातक अपनी राह बनाते हैं ये आने वाले दिनों में तय होगा।