स्थानीय विशेष न्यायाधीश (गैंगस्टर एक्ट) अभिषेक कुमार पांडेय की अदालत ने ग्रैंड वेनिस मॉल के मालिक सतेंद्र सिंह भसीन उर्फ मोंटू के खिलाफ गैर जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी किया है। यह कार्रवाई बाइक बोट घोटाले से जुड़े गैंग्स्टर मामले में की गई है, जिसमें भसीन सहित अन्य आरोपियों पर गंभीर धाराएं लगाई गई हैं।
विशेष लोक अभियोजन बबलू चंदेला ने बताया कि यह मामला 2021 के गैंगस्टर के मामले से संबंधित है, जिसमें भसीन के साथ ललित, वीके शर्मा उर्फ विजय कुमार शर्मा और अन्य आरोपियों को शामिल किया गया है। आरोपी गिरोह ने कथित तौर पर 3500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी को अंजाम दिया है।
गिरोह के सदस्यों में दिनेश पांडे, रविंद्र, रेखा, तरुण शर्मा, विदेश भाटी, बद्रीनारायण तिवारी, मनोज कुमार त्यागी और अनिल शाह भी शामिल हैं। सभी आरोपियों पर आरोप है कि वे संगठित रूप से लोगों के साथ ठगी कर रहे थे और इनमें से कई पहले से ही धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक षड्यंत्र और सार्वजनिक धन के गबन जैसे गंभीर मामलों में आरोपित हैं।
शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान, मोंटू भसीन के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल किसी निजी कार्य के कारण उपस्थित नहीं हो सके। हालांकि, अदालत ने उनकी हाजिरी माफी को अस्वीकार करते हुए भसीन के अलावा वीके शर्मा, कपिल, रेखा और विदेश के खिलाफ भी एनबीडब्ल्यू जारी किया।
स्थानीय निवासियों के लिए यह घटना चिंता का विषय बनी हुई है, क्योंकि यह मामला न केवल व्यापारिक धोखाधड़ी का संकेत देता है, बल्कि संगठित अपराध के बढ़ते प्रभाव को भी दर्शाता है। ऐसे में सार्वजनिक सुरक्षा और सरकार की कार्यवाही के प्रति लोगों का ध्यान बढ़ रहा है।
स्थानीय व्यवसायियों और व्यापार संघों ने इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है, ताकि ऐसे अपराधियों को कठोरतम सजा मिल सके और भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी को रोका जा सके। स्थानीय पुलिस ने आश्वासन दिया है कि वे मामले की गहन जांच करेंगे और सभी आरोपियों को न्याय के कटघरे में लाने का प्रयास करेंगे।
अब सवाल उठता है कि क्या मोंटू भसीन और अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया जा सकेगा, और क्या न्यायालय इस मामले में कठोरतम सजा सुनाएगा। स्थानीय निवासियों और पीड़ितों की निगाहें इस दिशा में हैं, जबकि सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियां मामले की गंभीरता को समझते हुए आगे की कार्रवाई की योजना बना रही हैं।